कमनलाथ ने कहा दिग्विजय के विश्वास में गई मेरी सरकार, उपचुनाव में बड़ी जीत के दावे पर नंबरों का खेल समझाया
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि वह 24 में से 15 से जायदा सीटें जीतेगें। कमलनाथ ने कहा कि , यह आंकड़ों का खेल है। अभी हमारे पास 92 विधायक और उनके पास 107 हैं। 24 सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं,
भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने खुलासा किया है कि उनकी सरकार अल्पमत में क्यों आई और उन्हें सरकार क्यों गवानी पड़ी। कमलनाथ ने शुक्रवार को एक न्यूज़ चैनल से हुई बातचीत के दौरान कहा कि वो राज्य में अपनी सरकार इसलिए नहीं बचा सके, क्योंकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने उनमें झूठा विश्वास भर दिया था कि पार्टी के कुछ विधायक साथ छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। कमलनाथ ने कहा, “यह जानबूझकर नहीं किया गया था, लेकिन स्थिति को ठीक समझ नहीं पाने की वजह से ऐसा हुआ। दिग्विजय सिंह ने महसूस किया कि कुछ विधायक जो दिन में तीन बार उनसे बात कर रहे थे, वो कभी पार्टी का साथ नहीं छोड़ेंगे लेकिन उन्होंने वैसा ही किया।”
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हालंकि बाद में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने स्पष्ट किया कि आज उनसे कुछ प्रमुख चैनल के पत्रकार अनौपचारिक मुलाकात के लिए उनके निवास आए थे। इस मुलाकात के दौरान उनसे वर्तमान राजनैतिक घटनाक्रम पर व विभिन्न मुद्दों पर अनौपचारिक चर्चा चल रही थी। उस अनौपचारिक चर्चा में मेरी सरकार गिरने के मुद्दों पर बात आने पर मैनें उन्हें कहा कि स्वमं मुझको और दिग्विजय सिंह को कुछ विधायकों ने झूठा विश्वास दिलाया था कि वह वापस लौट आएगें, उनके झूठे विश्वास पर हम दोनों ने भरोसा किया और हम अपनी सरकार नहीं बचा पाए। यह सारी चर्चा अनौपचारिक थी और इसमें कही भी मैनें यह नहीं कहा कि दिग्विजय सिंह ने झूठा विश्वास भरा था, इसके कारण सरकार नहीं बची। इस अनौपचारिक चर्चा को पूरी तरह से गलत ढंग से प्रचारित व प्रसारित किया गया है।
वही ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने पर कमलनाथ ने कहा, “जहां तक ज्योतिरादित्य सिंधिया का सवाल है, मुझे पता था कि लोकसभा चुनाव हारने के बाद वह जुलाई से भाजपा के संपर्क में हैं। वह इस बात को कभी पचा नहीं पाए कि वह एक लाख से अधिक वोटों से लोकसभा चुनाव हार गए और वो भी उस उम्मीदवार से जो कांग्रेस का साधारण कार्यकर्ता था और जिसे भाजपा ने अपने पाले में लेकर उनके खिलाफ चुनाव में उतारा था। सिंधिया अपनी हार के बाद बीजेपी के संपर्क में थे, लेकिन बीजेपी की राज्य इकाई ने उन्हें कभी नहीं चाहा। लेकिन भाजपा अंततः उन्हें ले गई, क्योंकि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व किसी भी कीमत पर मध्य प्रदेश से दूसरी राज्यसभा सीट चाहता था।”
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जबकि मध्य प्रदेश में आगमी विधानसभा के उपचुनाव पर चर्चा करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि वह 24 में से 15 से जायदा सीटें जीतेगें। कमलनाथ ने कहा कि , "यह आंकड़ों का खेल है। अभी हमारे पास 92 विधायक और उनके पास 107 हैं। 24 सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं, इसलिए हमें उनमें से कम से कम 15 सीटें भाजपा के बराबर आने के लिए जीतनी होंगी। फिर बाकी 7 विधायकों का काम 4 निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा मिलकर करेंगे। स्थितियां अभी ऐसी हैं कि हम 15 से ज्यादा सीटें जीतेंगे।"
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सिंधिया समर्थक 22 विधायकों के पार्टी से इस्तीफा देने के कारण अल्पमत में आई कमलनाथ की सरकार 20 मार्च को गिर गई थी। इसके बाद 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में चौथी बार शपथ ली थी। शिवराज ने शपथ लेने के 28 दिन बाद 21 अप्रैल को मंत्रिमंडल का गठन किया था। इसमें 5 मंत्रीयों में 2 सिंधिया समर्थक मंत्री बनाए गए है। तो शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार जल्दी ही होने की खबरें सामने आ रही है। ऐसा माना जा रहा है कि उपचुनाव से पहले सिंधिया समर्थक जिन छह मंत्रीयों ने कमलनाथ कैबिनेट से इस्तीफा दिया था उन्हें बीजेपी सरकार में मंत्री बनाने के बाद ही चुनाव मैदान में उतारा जाएगा। यही नहीं कांग्रेस के 22 बागी विधायकों में इन छह के अलावा और भी पूर्व विधायकों को मंत्री पद से नवाज़ा जा सकता है।
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