किसानों पर पुलिस फायरिंग पूरे भारत के लिए कलंक: सिंधिया

[email protected] । Jun 15 2017 11:28AM

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में 6 जून को पुलिस फायरिंग में किसानों की मौत का दिन प्रदेश ही नहीं पूरे भारत के लिये कलंक का दिन बन चुका है।

भोपाल। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में 6 जून को पुलिस फायरिंग में किसानों की मौत का दिन प्रदेश ही नहीं पूरे भारत के लिये कलंक का दिन बन चुका है। किसानों को न्याय के लिये दो दिन का सत्याग्रह आंदोलन शुर करते हुए सिंधिया ने कहा, 6 जून को मंदसौर में जो हुआ वह प्रदेश के लिये वरन पूरे भारतवर्ष के लिये एक कलंक का दिन बन चुका है। सरकार का दायित्व गरीबों की, अन्नदाता (किसान) की रक्षा करना है, लेकिन यहां रक्षक ही भक्षक बन चुका है। जिस जनता के दम पर ये सरकार में आये हैं, उसी का दमन कर रहे हैं। जिस मंच पर सिंधिया सत्याग्रह के लिए बैठे उस मंच पर महात्मा गांधी की तस्वीर के अलावा किसान आंदोलन के दौरान छह जून को मंदसौर जिले में मारे गये छह किसानों की फोटो भी रखी गई हैं। उन्होंने सवाल किया कि किसानों की मौत पर बनाया गये जांच आयोग में यह बिन्दू क्यों नहीं शामिल किया गया कि जिस अधिकारी ने फायरिंग का आदेश दिया उसके खिलाफ जान लेने का अपराध कायम किया जायेगा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में 12 जांच आयोग हो गये हैं लेकिन किसी की रिपोर्ट अब तक नहीं आई है। सिंधिया ने कहा कि किसानों की मौत का मुद्दा राजनीतिक नहीं है। मैं प्रदेश की 7–5 करोड़ जनता की ओर से यह सवाल पूछना चाहता हूं कि सरकार को किसी किसान की जान लेने का क्या हक बनता है। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा किये गये उपवास पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भोपाल में फाइव स्टार टेंट लगाकर ढोंग और नौटंकी की गयी है। उन्होंने मुख्यमंत्री के इस कृत्य को उपवास नहीं वरन किसानों के प्रति उपहास बताया। उन्होंने कहा कि वह दो दिन के सत्याग्रह के दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के साथ किसानों से मिलेंगे तथा एक रुपरेखा बनायेंगे और उसके आधार पर आगे किसानों की लड़ाई जारी रखी जायेगी। वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि मंदसौर जिले में किसान गोली कांड का अब तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि वह जांच आयोग से पूछेंगे कि किस एसडीएम की अनुमति से गोली चली और यदि जांच आयोग ने जवाब नहीं दिया तो हम उच्च न्यायालय में जायेंगे। सत्याग्रह आंदोलन में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरण यादव, पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचौरी, मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, सेवादल के राष्टीय अध्यक्ष महेन्द्र जोशी, एवं महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष शोभा ओझा ने भी सम्बोधित किया।

गौरतलब है कि छह जून को किसान आंदोलन के उग्र होने के दौरान मंदसौर जिले के पिपलियामंडी में पुलिस फायरिंग में पांच किसानों की मौत हो गई थी। इसके अलावा, मंदसौर जिले के बडवन गांव में 26 वर्षीय एक और किसान की मौत हुई थी। स्थानीय लोगों ने नौ जून को आरोप लगाया कि उसे पुलिस ने बुरी तरह से पीटा था, जिससे उसकी मौत हुई है। मध्यप्रदेश के किसान अपनी उपज के वाजिब दाम सहित 20 मांगों को लेकर एक जून से 10 जून तक आंदोलन पर थे और इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने प्रदेश में हिंसा, आगजनी, तोडफोड एवं लूटपाट की कई घटनाएं की। इसके लिए मुख्यमंत्री चौहान ने कांग्रेस पर भोलेभाले किसानों को भडकाने का आरोप लगाया। प्रदेश में हुई इस हिंसा से आहत होकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में शांति बहाली के लिए 10 जून को भोपाल स्थित भेल दशहरे मैदान पर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे थे, लेकिन करीब 28 घंटे बाद अगले ही दिन उन्होंने अपना अनशन यह कह कर तोड दिया था कि अब प्रदेश में शांति बहाली हो गई है। सिंधिया को अगले साल के अंत में मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस द्वारा मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट किया जा सकता है। किसान आंदोलन के दौरान हुई व्यापक हिंसा एवं पुलिस फायरिंग से प्रदेश में गुटों में बंटी एवं दिन प्रतिदन कमजोर होती जा रही कांग्रेस एकजुट होती नजर आ रही है और उसने मंदसौर में हुई किसानों की हत्या एवं किसानों द्वारा प्रदेश में की जा रही आत्महत्याओं के लिए मुख्यमंत्री चौहान से पद से इस्तीफा देने की मांग की है। मध्य प्रदेश में किसानों पर गोलीबारी के मुद्दे पर कांग्रेस ने शिवराज सरकार को घेरने के लिए अब ज्योतिरादित्य सिंधिया को उतारा है।

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