Prabhasakshi NewsRoom: भारतीय विदेश नीति में आये बदलाव और Modi-Trump संबंधों पर जयशंकर ने खुलकर की बात
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मुंबई में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘इसलिए हमारी कूटनीति का अधिकतर हिस्सा निर्यात को बढ़ावा देने, निवेश आकर्षित करने, सर्वोत्तम तरीकों का पता लगाने, प्रौद्योगिकियों की पहचान करने और पर्यटन का विस्तार करने के लिए समर्पित है।’’
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि आर्थिक कूटनीति पर ध्यान देना भारतीय विदेश नीति में आए प्रमुख बदलावों में से एक है और अब इस नीति का मूल उद्देश्य राष्ट्रीय विकास एवं सुरक्षा है। हम आपको बता दें कि जयशंकर ने मुंबई में आदित्य बिड़ला समूह के छात्रवृत्ति कार्यक्रम के रजत जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की पर्यटन, शिक्षा या कार्य की संभावनाओं समेत विभिन्न क्षेत्रों में विश्व के बारे में जानने की इच्छा भी बढ़ी है। जयशंकर ने कहा, ‘‘बाहरी दुनिया और हमारे राष्ट्रीय प्रयासों के बीच यह गहरा संबंध हमें विकसित भारत की दिशा में तेजी से आगे बढ़ने का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। हम वास्तव में इसे इतनी गंभीरता से लेते हैं कि मैं घोषणा कर सकता हूं कि अब विदेश नीति का मूल उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के अलावा राष्ट्रीय विकास को आगे बढ़ाना है।’’ उन्होंने कहा कि दोनों लक्ष्य निःसंदेह एक-दूसरे से निकटता से जुड़े हुए हैं।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘इसलिए हमारी कूटनीति का अधिकतर हिस्सा निर्यात को बढ़ावा देने, निवेश आकर्षित करने, सर्वोत्तम तरीकों का पता लगाने, प्रौद्योगिकियों की पहचान करने और पर्यटन का विस्तार करने के लिए समर्पित है।’’ उन्होंने कहा कि इसका प्रभाव घरेलू स्तर पर रोजगार के अवसरों में वृद्धि से जुड़ा है। जयशंकर ने कहा, ‘‘आर्थिक कूटनीति पर ध्यान देना मौजूदा समय में हमारी विदेश नीति में आए प्रमुख परिवर्तनों में से एक है। अंतरराष्ट्रीय स्थिति के मद्देनजर भी इस दिशा में अधिक मजबूत प्रयासों की आवश्यकता है। कोविड के अनुभव ने दुनिया को एक सीमित भूगोल पर निर्भर रहने के खतरों से अवगत कराया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘विश्व के साथ हमारे संबंध और उसमें रुचि आनुपातिक रूप से बढ़ी है... विश्व आज भारत की गाथा की सराहना कर रहा है।''
जयशंकर ने कहा कि इस समय अधिक विविधतापूर्ण, बहुध्रुवीय दुनिया की तरफ रुझान बना हुआ है लेकिन पुरानी, औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं का दौर खत्म नहीं हुआ है और अभी भी ये निवेश का प्रमुख लक्ष्य बनी हुई हैं। जयशंकर ने आदित्य बिड़ला समूह की तरफ से दी जाने वाली छात्रवृत्ति के रजत जयंती समारोह में कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति के रूप में वापसी के बाद तमाम देश अमेरिका को लेकर थोड़े घबराए हुए हैं, लेकिन भारत उनमें से एक नहीं है। उन्होंने वैश्विक शक्ति की गतिशीलता के बारे में पूछे जाने पर कहा, "हां, बदलाव हुआ है। हम खुद इस बदलाव का उदाहरण हैं... अगर आप हमारे आर्थिक वजन को देखते हैं तो आप हमारी आर्थिक रैंकिंग को देखते हैं, आप भारतीय कॉरपोरेट जगत, उनकी पहुंच, उनकी मौजूदगी, भारतीय पेशेवरों को देखते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि पुनर्संतुलन हुआ है।" इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा होना अपरिहार्य भी था। उन्होंने कहा, "औपनिवेशिक काल के बाद देशों को स्वतंत्रता मिली और उन्होंने अपनी नीतियां खुद चुननी शुरू कर दी थीं। फिर उनका आगे बढ़ना भी तय था। इनमें से कुछ तेजी से बढ़े, कुछ धीमी गति से बढ़े, कुछ बेहतर तरीके से बढ़े, और वहां शासन की गुणवत्ता और नेतृत्व की गुणवत्ता आई।"
विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में कहा, "अधिक विविधतापूर्ण, बहुध्रुवीय दुनिया की ओर रुझान है। लेकिन, एक ऐसा दौर भी है जब देश वास्तव में आगे बढ़ते हैं। मेरा मतलब है, यह वैसा ही है जैसा कॉरपोरेट जगत में भी हुआ।" इसके साथ ही जयशंकर ने इस बात पर बल दिया कि पश्चिम में औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और वे प्रमुख निवेश लक्ष्य बने हुए हैं। उन्होंने कहा, "पुरानी, पश्चिमी अर्थव्यवस्थाएं, पुरानी औद्योगिक अर्थव्यवस्थाएं खत्म नहीं हुई हैं। वे अभी भी मायने रखती हैं और वे प्रमुख निवेश लक्ष्य हैं। वे बड़े बाजार हैं, मजबूत प्रौद्योगिकी केंद्र हैं, नवाचार के केंद्र हैं।"
विदेश मंत्री ने भारत-अमेरिका संबंधों और ट्रंप की जीत पर कहा, "प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संभवतः उन पहले तीन लोगों में थे, जिनसे नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने बात की।" उन्होंने कहा कि भारत और प्रधानमंत्री मोदी ने कई राष्ट्रपतियों के साथ तालमेल बनाया है। उन्होंने कहा, "आज बहुत सारे देश अमेरिका को लेकर घबराए हुए हैं.... लेकिन हम उनमें से नहीं हैं।"
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