SCO की बैठक में शामिल हुए जयशंकर,अफगानिस्तान है बातचीत का सबसे बड़ा मुद्दा
भारत और पाकिस्तान के अलावा आठ सदस्यीय एससीओ में रूस, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा एक शिखर सम्मेलन में की गई थी।
नयी दिल्ली। भारत, चीन, पाकिस्तान और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के पांच अन्य सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों ने बुधवार को दुशांबे में समूह की एक महत्वपूर्ण बैठक शुरू की, जिसमें अफगानिस्तान में उभरती स्थिति पर ध्यान केन्द्रित किया गया। एससीओ विदश मंत्रियों की बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर भारत का नेतृत्व कर रहे हैं। जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘एससीओ एफएमएम की शुरुआत। संगठन की 20वीं वर्षगांठ की उपलब्धियों पर चिंतन करने और चुनौतियों पर विचार-विमर्श करने का एक उपयुक्त समय है। अफगानिस्तान और कोविड-19 के प्रभावों से निपटने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।’’ रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, चीन के विदेश मंत्री वांग यी और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद बैठक में शामिल हुए। भारत और पाकिस्तान वर्ष 2017 में एससीओ के स्थायी सदस्य बने थे।
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भारत और पाकिस्तान के अलावा आठ सदस्यीय एससीओ में रूस, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा एक शिखर सम्मेलन में की गई थी। भारत ने एससीओ और इसके क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी ढांचे (आरएटीएस) के साथ अपने सुरक्षा संबंधी सहयोग को गहरा करने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है, जो विशेष रूप से सुरक्षा तथा रक्षा से संबंधित मुद्दों से संबंधित है। भारत को 2005 में एससीओ में एक पर्यवेक्षक बनाया गया था और वह समूह की मंत्री स्तरीय बैठकों में भी भाग लेता रहा है, जो मुख्य रूप से यूरेशियन क्षेत्र में सुरक्षा तथा आर्थिक सहयोग पर केन्द्रित है।
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