बंगाल धार्मिक लड़ाई का सबसे बड़ा मैदान बना हुआ है। वैस तो बंगाल की राजनीति में धर्म की जड़ें 1947 से गड़ी हुई हैं। लेकिन वर्तमान में जमीन बचाने और बनाने की लड़ाई बन गया है पश्चिम बंगाल। सारे चरित्र एक-एक कर सामने आते जा रहे हैं। सियासत का चरित्र, नमाज का चरित्र, पाठ का चरित्र, भीड़ का चरित्र, तमाशे का चरित्र और तमन्नाओं का चरित्र। पश्चिम बंगाल में सड़क पर नमाज के विरोध में हनुमान चालीसा पढ़ी गई। हावड़ा में भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने सड़क पर हनुमान चालीसा पढ़ी। सोशल मीडिया पर ममता का मीम शेयर करने वाली प्रियंका शर्मा ने हनुमान चालीसा खुद पढ़ी। इसकी वजह से कई घंटों तक रास्ता बंद रहा। युवा मोर्चा के अध्यक्ष ओम प्रकाश ने कहा कि हावड़ा में अलग-अलग जगह इसी तरह हर मंगलवार हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा।
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भाजपा ने इसे धार्मिक अतिक्रमण के खिलाफ मुहिम बताया है। ये नमाज बनाम हनुमान चालीसा नहीं है। भाजपा इसे धार्मिक अतिक्रमण बनाम हनुमान चालीसा की लड़ाई बता रही है। हनुमान चालीसा के सियासी पाठ से सड़क जाम माहौल बिगाड़ने की कोशिश है या सियासत को चमकाने का मौका, लेकिन ये संकेत मिल रहे हैं कि हर मंगलवार को बंगाल में इसी तरह हनुमान चालीसा होगी 2021 तक। 2021 तक इसलिए क्योंकि उसी वर्ष बंगाल में विधानसभा चुनाव होंगे। वैसे तो सड़क पर नमाज पर दुनिया के कई देशों में कानून भी बनाए गए हैं। अबु धाबी में सड़क किनारे नमाज पर 19000 रूपये का जुर्माना है। चीन में सरकारी भवन, कॉर्पोरेट ऑफिस में नमाज बैन है। फ्रांस में सड़क पर नमाज पर रोक है।
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बता दें कि पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के दौर से ही धार्मिक लड़ाई जोर पकड़ने लगी थी। मई 2019 में जय श्री राम का नारा लगाने पर 8 लोग हिरासत में लिए गए थे। उत्तर 24 परगना में जय श्री राम के नारों से नाराज हुईं थी ममता। पश्चिमी मिदनापुर इलाके में जय श्री राम बोलने पर 3 लोग गिरफ्तार किए गए थे। इसके अलावा बांकुरा जिले में पुलिस फायरिंग में एक स्कूली छात्र और दो भाजपा कार्यकर्ता घायल हो गए थे। भाजपा का आरोप है कि पत्रासयार इलाके में जय श्री राम का नारा लगाने के बाद पुलिस फायरिंग में उसके दो कार्यकर्ता घायल हो गए। जिसमें 14 साल का एक लड़का भी घायल हुआ था। वहीं दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल में एक मदरसे के शिक्षक मोहम्मद शाहरुख हलदर ने शिकायत दर्ज कराई है कि 'जय श्री राम' नहीं बोलने की वजह से कुछ लोगों के एक समूह ने उसे पीटा और चलती ट्रेन से धक्का दे दिया।
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28 फीसदी मुसलमान वाले बंगाल की राजनीति हिन्दू बनाम मुस्लमान के उस दौर में चली गई है। जिसमें भाजपा 1990 के अयोध्या आंदोलन से शीर्षस्थ रही है। ये अलग बात है कि तब भी बंगाल में रथ यात्रा की राजनीति नहीं चली थी। बंगाल की राजनीति के कुछ तथ्य हैं जिन पर गौर करना जरूरी है। 2014 में राष्ट्रीय दलों के 95 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। जमानत जब्त उम्मीदवारों में 10 उम्मीदवार भाजपा के थे। 2016 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बंगाल की 291 सीटों में से 3 सीटें जीती थीं। केवल छह विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में महज 17 फ़ीसदी वोट के साथ दो सीटें जीतने वाली भाजपा के वोटों का आंकड़ा 2019 में 40 फ़ीसदी पहुंचने को जबरदस्त राजनीतिक उलटफेर कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। जिसके बाद से ही बंगाल दिल्ली से जंग का सबसे बड़ा मैदान बना है। ममता बनर्जी के लिए पश्चिम बंगाल प्रतिष्ठा का प्रश्न है तो भाजपा के लिए अंदाजे पर खेली जा रही एक अबूझ पहेली। बहरहाल, रथ यात्रा और जय श्री राम से शुरु हुई बंगाल की सियासत नमाज और हनुमान चालीसा पर पहुंच गई है। हिन्दु और मुसलमान, आरती और अजान, मेरा धर्म, सर्वोत्तम' जैसे दावों और जंग में जनता के प्रमुख मुद्दे गुम हो गए हैं। ऐसे में क्या 2021 की लड़ाई रोटी, कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी जरूरतों की बजाए धर्म के धरातल पर लड़ी जाएगी?
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