देश के नए उपराष्ट्रपति बने जगदीप धनखड़, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ

Jagdeep Dhankhar oath
ANI
अंकित सिंह । Aug 11 2022 12:35PM

उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति भी होता है। आपको बता दें कि पिछले 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुए थे। इसमें जगदीप धनखड़ ने विपक्ष की साझा उम्मीदवार मार्गेट अल्वा को हराया था। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सहित सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई नेता मौजूद रहे।

जगदीप धनखड़ देश के नए उपराष्ट्रपति हैं। उन्हें आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ दिलवाई है। राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह रखा गया था। जगदीप धनखड़ ने पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू की जगह ली है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति भी होता है। आपको बता दें कि पिछले 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुए थे। इसमें जगदीप धनखड़ ने विपक्ष की साझा उम्मीदवार मार्गेट अल्वा को हराया था। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सहित सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई नेता मौजूद रहे। उपराष्ट्रपति बनने से पहले जगदीप धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे।

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जगदीप धनखड़ देश के 14वें उपराष्ट्रपति हैं। इससे पहले भारत के नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शपथ ग्रहण करने से पहले बृहस्पतिवार को सुबह राजघाट जा कर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी थी। धनखड़ ने ट्वीट किया, ‘‘पूज्य बापू को श्रद्धांजलि देते हुए राजघाट की शांत भव्यता में भारत की सेवा में तत्पर रहने के लिए अपने आप को धन्य एवं प्रेरित महसूस किया।’’ एकतरफा मुकाबले में धनखड़ को कुल 528 मत मिले, जबकि अल्वा को सिर्फ 182 वोट से ही संतोष करना पड़ा। इस चुनाव में कुल 725 सांसदों ने मतदान किया, जिनमें से 710 वोट वैध पाए गए, 15 मतपत्रों को अवैध पाया गया।

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जगदीप धनखड़ की 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप नियुक्ति ने सभी को चौंका दिया था और अब देश के नए उपराष्ट्रपति के रूप में उनके निर्वाचन ने भी सभी को आश्चर्यचकित कर दिया है। 71 वर्षीय धनखड़ एक प्रसिद्ध वकील थे। उन्होंने राजस्थान में जाट समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। केन्द्र में कुछ दिनों के लिए संसदीय कार्य मामलों के कनिष्ठ मंत्री रह चुके धनखड़ को उनका यह अनुभव राज्यसभा के सभापति के रूप में सदन का संचालन करने में मददगार साबित होगा। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, जब धनखड़ छठी कक्षा में थे, तब वह चार-पांच किलोमीटर पैदल चलकर एक सरकारी स्कूल जाते थे। क्रिकेट प्रेमी होने के साथ-साथ उनका झुकाव आध्यात्मिकता की ओर भी रहा है। धनखड़ के उपराष्ट्रपति चुने जाने का तात्पर्य यह है कि लोकसभा और राज्यसभा दोनों के पीठासीन अधिकारी अब राजस्थान से होंगे, जहां वर्तमान में कांग्रेस की सरकार है।

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