संवैधानिक आयोगों में पदों के खाली रहने का मुद्दा फिर उठा

[email protected] । Mar 29 2017 3:54PM

विभिन्न संवैधानिक आयोगों में सदस्यों के पदों के खाली रहने का मुद्दा आज एक बार फिर राज्यसभा में उठा और विपक्षी दलों के सदस्यों ने इस विषय पर चर्चा कराए जाने की मांग की।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग सहित विभिन्न संवैधानिक आयोगों में सदस्यों के पदों के खाली रहने का मुद्दा आज एक बार फिर राज्यसभा में उठा और विपक्षी दलों के सदस्यों ने इस विषय पर चर्चा कराए जाने की मांग की जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया। उम्मीद है कि इस मुद्दे पर गुरुवार को सदन में चर्चा हो सकती है। उच्च सदन की सुबह बैठक शुरू होने पर सपा के रामगोपाल यादव ने यह मुद्दा उठाया और कहा कि उन्होंने इस पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत नोटिस दिया है। उन्होंने मंगलवार को भी नियम 267 के तहत चर्चा कराने के लिए नोटिस दिया था जिसे आसन ने स्वीकार नहीं किया था। उपसभापति पीजे कुरियन ने कहा कि उन्होंने उनके नोटिस को अस्वीकार कर दिया है और अगर वह चर्चा चाहते हैं तो उन्हें अल्पकालिक चर्चा के लिए नोटिस देना चाहिए। इस पर रामगोपाल ने कहा कि वह नोटिस देने के लिए तैयार हैं लेकिन चर्चा कराने के लिए आसन को आश्वासन देना चाहिए।

इसी दौरान सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि उन पर मंगलवार को सदन में कुछ आरोप लगाए गए थे और वह इस संबंध में अपनी बात रखना चाहते हैं। हालांकि कुरियन ने कहा कि उन्होंने कल ही स्पष्टीकरण दे दिया है। सरकार का पक्ष रखते हुए संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि उन्होंने आयोगों में रिक्तियों के संबंध में कल भी स्थिति स्पष्ट करने का प्रयास किया था। उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सरकार के तैयार होने का जिक्र करते हुए कहा कि आसन कोई समय तय करे और सरकार जवाब देने के लिए तैयार है।

बसपा नेता मायावती ने आरोप लगाया कि सरकार ने इन आयोगों को निष्प्रभावी बना दिया है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर अल्पकालिक चर्चा से काम नहीं चलेगा और सरकार को ठोस जवाब देना होगा तथा यह बताना होगा कि विभिन्न पद खाली क्यों हैं। शून्यकाल में ही कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने गोवा की राज्यपाल के आचरण के संबंध में अपने समुचित नोटिस के बारे में सवाल किया और कहा कि उन्हें कब तक प्रतीक्षा करनी होगी।

इस पर उपसभापति कुरियन ने कहा कि उनके नोटिस को आसन ने स्वीकार कर लिया है और इस संबंध में सरकार और सदन के नेता को समय देना है। उन्होंने कहा कि आसन उनके जवाब की प्रतीक्षा कर रहा है।

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