अंतर्राज्यिक नदी जल विवाद हल करने के लिए विधेयक पेश
अंतर्राज्यिक नदी जल विवादों के समाधान के लिए मौजूदा कानून में संशोधन के मकसद से लोकसभा में आज एक महत्वपूर्ण विधेयक पेश किया गया।
अंतर्राज्यिक नदी जल विवादों के समाधान के लिए मौजूदा कानून में संशोधन के मकसद से लोकसभा में आज एक महत्वपूर्ण विधेयक पेश किया गया जिसमें विभिन्न जल पंचाटों को समाहित करते हुए एक पंचाट गठित करने का प्रावधान किया गया है। जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने अंतर्राज्यिक नदी जल विवाद (संशोधन) विधेयक 2017 सदन में पेश किया। बीजू जनता दल के भृतुहरि महताब इस विधेयक को पेश किए जाने पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि नदी एवं उससे जुड़े विषय राज्य के अधीन आते हैं और इस बारे में व्यापक चर्चा की जरूरत है।
महताब ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक का मसौदा बेहद खराब तरीके से तैयार किया गया है और केंद्र सरकार को इसे पेश करने से पूर्व इस पर एक बार फिर से विचार करना चाहिए। केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि इस विधेयक को सुविचारित तरीके से पेश किया गया है और इस विधेयक के माध्यम से एक क्रांतिकारी निर्णय हो रहा है। इस बारे में कानून बनाने का केंद्र को अधिकार है और संविधान में इसका उल्लेख है। उन्होंने कहा कि एक स्थायी पंचाट गठित करने के मकसद से यह विधेयक लाया गया है।
इस विधेयक को पिछली संप्रग सरकार की ही नीति का अनुसरण बताए जाने पर उन्होंने कहा कि यह विधेयक संप्रग सरकार के समय का ही है लेकिन संप्रग सरकार इतनी हिम्मत नहीं कर पायी कि इसे सदन में पेश कर सके। उन्होंने कहा कि राज्यों के बीच नदी जल विवादों के समाधान में तेजी लाने के मकसद से यह विधेयक लाया गया है। उमा भारती ने विधेयक को सदन में पेश करने के केंद्र सरकार के अधिकार पर सवाल उठाने वाली मेहताब की एक अन्य आपत्ति को भी गलत बताया। उमा भारती ने कहा कि मेहताब की यह आपत्ति इसी बात से खारिज हो जाती है कि ओडिशा सरकार ने खुद राज्य के एक नदी जल विवाद के संबंध में केंद्र सरकार से एक पंचाट गठित करने का अनुरोध किया है। विधेयक के प्रावधानों के अनुसार पंचाट के अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश होंगे और जरूरत पड़ने पर पीठों का गठन किया जाएगा और विवाद का समाधान होने पर पीठ को समाप्त कर दिया जाएगा।
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