भारत का ICJ से अनुरोध, कुलभूषण जाधव की मौत की सजा निरस्त हो
साल्वे ने सुनवाई के पहले दिन कहा,‘‘उनके (जाधव) द्वारा बीते तीन वर्ष में झेली गई मानसिक प्रताड़ना को देखते हुए, उनकी रिहाई का निर्देश देना मानवाधिकार को वास्तविक बनाने के लिए न्याय के हित में होगा।’’
द हेग। भारत ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) से अनुरोध किया कि पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा कुलभूषण जाधव को दिये गये मृत्युदंड को निरस्त किया जाए और उनकी तत्काल रिहाई के आदेश दिये जाएं। भारत ने कहा कि यह मामला कानूनी प्रक्रिया के न्यूनतम मानकों को भी पूरा नहीं करता। सेवानिवृत्त भारतीय नौसैन्य अधिकारी जाधव (48) को ‘‘जासूसी और आतंकवाद’’ के आरोपों में पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में बंद कमरे में सुनवाई के बाद मौत की सजा सुनाई थी। जाधव की सजा पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। भारतीय नागरिक जाधव तक राजनयिक संपर्क की अनुमति देने से बार बार इंकार करके वियना संधि के प्रावधानों का पाकिस्तान द्वारा ‘‘खुला उल्लंघन’’ करने पर भारत मई 2017 में आईसीजे की शरण में गया था।
Harish Salve in ICJ: Pakistan offered to allow Jadhav's family to visit him, the terms were agreed & the meeting was held on 25th December, 2017. India was dismayed at the manner the meeting with Jadhav's family was conducted & wrote a letter on 27 December marking its protest pic.twitter.com/NowhpGYZKy
— ANI (@ANI) February 18, 2019
आईसीजे में भारत और जाधव का प्रतिनिधित्व कर रहे पूर्व सॉलीसिटर जनरल हरीश साल्वे ने कहा कि पाकिस्तान की सैन्य अदालतें इस अदालत में भरोसा उत्पन्न नहीं कर सकतीं और उन्हें इस मामले में पुनर्विचार करने का निर्देश देकर दोषमुक्त होने का मौका नहीं दिया जाना चाहिए। भारत जाधव की दोषसिद्धि को निरस्त करने तथा यह निर्देश देने का अनुरोध करता है कि उन्हें तुरंत रिहा किया जाए। आईसीजे मुख्यालय में यहां सोमवार को चार दिवसीय सुनवाई ऐसे समय शुरू हुई है जब जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद द्वारा किये गये आतंकी हमले में 41 सीआरपीएफ जवानों के शहीद होने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बहुत बढ़ गया है। साल्वे ने कहा कि पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा जाधव पर चलाया गया मुकदमा कानूनी प्रक्रिया के न्यूनतम मानकों को भी पूरा करने में नाकाम रहा और इसे गैरकानूनी घोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सैन्य अदालतें स्वतंत्र नहीं हैं और इन अदालतों के कामकाज की यूरोपीय संसद ने निंदा की है।
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साल्वे ने कहा, ‘‘विदेशी कैदी का जीवन जीने, निष्पक्ष सुनवाई और स्वतंत्र न्यायपालिका का अधिकार होता है। हालांकि, पाकिस्तान में सैन्य अदालतों ने बीते दो वर्ष में अपारदर्शी कार्यवाही में 161 नागरिकों को मौत की सजा सुनाई है।’’ उन्होंने आईसीजे से जाधव को इस कारण राहत देने का अनुरोध किया कि उनकी सुनवाई एक सैन्य अदालत में हुई है। साल्वे ने सुनवाई के पहले दिन कहा,‘‘उनके (जाधव) द्वारा बीते तीन वर्ष में झेली गई मानसिक प्रताड़ना को देखते हुए, उनकी रिहाई का निर्देश देना मानवाधिकार को वास्तविक बनाने के लिए न्याय के हित में होगा।’’ पाकिस्तान का दावा है कि उसके सुरक्षाबलों ने तीन मार्च 2016 को अशांत बलूचिस्तान प्रांत से जाधव को उस समय गिरफ्तार किया था जब वह कथित रूप से ईरान से घुसे थे। हालांकि, भारत का कहना है कि जाधव का ईरान से अपहरण किया गया जहां वह नौसेना से सेवानिवृत्ति के बाद व्यवसाय के सिलसिले में गए थे।
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