Shaurya Path: India-China, Global South, Israel-Hamas, Russia-Ukraine और PM Modi Podcast से जुड़े मुद्दों पर Brigadier Tripathi से वार्ता

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि इस सबके बीच यह भी माना जा रहा है कि गाजा पर फिर से हमले इसलिए हो रहे हैं क्योंकि बेंजामिन नेतन्याहू हमास को फिर से ताकतवर देखकर बेहद आक्रोशित हैं।
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने चीन की बढ़ती सैन्य क्षमताओं, गाजा में इजराइली हमलों, रूस-यूक्रेन युद्ध और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया पॉडकास्ट से जुड़े मुद्दों पर ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से बातचीत की। पेश है विस्तृत साक्षात्कार-
प्रश्न-1. सेना प्रमुख ने कहा है कि चीन के उभरने से ग्लोबल साउथ का स्वाभाविक नेतृत्व करने के भारत के प्रयास बाधित हुए हैं। इसे आप कैसे देखते हैं?
उत्तर- सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा है कि चीन के एक प्रमुख आर्थिक और सामरिक शक्ति के रूप में उभरने से जटिलता बढ़ रही है, प्रतिस्पर्धा पैदा हो रही और ग्लोबल साउथ का नेतृत्व करने के भारत के प्रयासों में बाधा आ रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में जनरल बिपिन रावत स्मृति व्याख्यानमाला में हुए सेनाध्यक्ष ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘विकसित भारत 2047’ के आह्वान में, ‘‘उभरते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में हमारे लिए अपना उचित स्थान तलाशने का अवसर’’ निहित है। उन्होंने कहा कि अपने संबोधन में जनरल द्विवेदी ने कहा था कि अगर आप हर तरफ से सोच विचार कर देखें तो हम पाते हैं कि चीन, स्थापित नियम-आधारित प्रणाली को चुनौती दे रहा है। एशिया, अफ्रीका और यूरोप में ‘बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव’ में निवेश इसका उदाहरण है। उन्होंने कहा कि इस उभरती विश्व व्यवस्था में भारत की स्थिति के बारे में जनरल द्विवेदी ने कहा था कि एक प्रमुख आर्थिक और सामरिक शक्ति के रूप में चीन का उभरना भी जटिलता बढ़ाता है, प्रतिस्पर्धा पैदा करता है और ग्लोबल साउथ के लिए नेतृत्व करने के भारत के प्रयासों को बाधित करता है।
प्रश्न-2. गाजा में इजराइली हमलों में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई है। संघर्षविराम के बीच इस तरह की घटनाएं क्या दर्शा रही हैं?
उत्तर- गाजा में जो कुछ हो रहा है उसके बारे में व्हाइट हाउस ने कहा है कि हमें इस बारे में इजराइल ने पहले ही जानकारी दे दी थी। उन्होंने कहा कि गाजा में हो रहे हमलों के बारे में यह भी कहा जा रहा है कि इजराइली प्रधानमंत्री जिस तरह से घरेलू राजनीतिक मोर्चे पर घिर गये हैं उससे ध्यान हटाने के लिए उन्होंने यह कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि एक चर्चा यह भी चल रही है कि कहीं डोनाल्ड ट्रंप यह सब रूस को सख्त संदेश देने के लिए तो नहीं करवा रहे हैं।
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इस सबके बीच यह भी माना जा रहा है कि गाजा पर फिर से हमले इसलिए हो रहे हैं क्योंकि बेंजामिन नेतन्याहू हमास को फिर से ताकतवर देखकर बेहद आक्रोशित हैं। उन्होंने कहा कि नेतन्याहू को लग रहा है कि इतनी लंबी लड़ाई लड़ने और हमास के शीर्ष नेताओं का खात्मा करने के बावजूद यदि यह संगठन फिर से अपने पैरों पर खड़ा होने की ताकत रखता है तो इसका मतलब है कि इसे नेस्तनाबूद करने के इजराइली प्रयासों में कहीं ना कहीं कोई कमी जरूर रह गयी है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों कुछ बंधकों को छोड़े जाने के दौरान जिस तरह हमास नेता हठधर्मिता दिखा रहे थे वह देखकर नेतन्याहू हैरान हैं। उन्होंने कहा कि वैसे भी हमास को जब भी सबक सिखाने की बारी आती है तो नेतन्याहू एक मिनट की भी देरी नहीं लगाते। उन्होंने कहा कि लेकिन पहले ही जो शहर मलबे में तब्दील हो चुका है वहां और मिसाइलें गिरने से गाजा पूरी तरह बर्बाद हो सकता है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ताजा खबर यह है कि गाजा के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि गुरुवार को इजरायल द्वारा गाजा पट्टी पर बमबारी अभियान फिर से शुरू करने के बाद 70 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए और दर्जनों घायल हो गए। चिकित्सकों ने बताया कि इजरायली हमलों ने गाजा पट्टी के उत्तरी और दक्षिणी इलाकों में कई घरों को निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि बुधवार को इजरायली सेना ने कहा था कि जनवरी से व्यापक रूप से चले आ रहे युद्धविराम के टूटने के बाद, उसके बलों ने मध्य और दक्षिणी गाजा में जमीनी अभियान फिर से शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2023 में संघर्ष की शुरुआत के बाद से सबसे घातक हमलों में से एक हवाई हमले में 400 से अधिक फिलिस्तीनियों के मारे जाने के एक दिन बाद नए सिरे से जमीनी अभियान शुरू किए गए। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया है कि मंगलवार से हवाई हमलों में 510 फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें से आधे से अधिक महिलाएं और बच्चे हैं। उन्होंने कहा कि वहीं हमास ने कहा है कि जमीनी अभियान और नेत्ज़ारिम कॉरिडोर में घुसपैठ युद्धविराम समझौते का "नया और खतरनाक उल्लंघन" था।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि गाजा के अधिकारियों के अनुसार, इस संघर्ष में 49,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं, और यह पूरा इलाका मलबे में तब्दील हो गया है। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ इजराइल में हो रहे प्रदर्शन दर्शा रहे हैं कि उनकी चुनौतियां बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा युद्ध को फिर से शुरू करने और फिलिस्तीनी क्षेत्र पर बमबारी करने के निर्णय ने इजराइली प्रदर्शनकारियों के गुस्से को और भड़का दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों का कहना है कि युद्ध फिर से शुरू होने पर उन लोगों का जीवन खतरे में आ गया है जिन्हें हमास ने बंधक बनाया हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार राजनीतिक कारणों से युद्ध जारी रख रही है।
प्रश्न-3. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच वार्ता से क्या रूस-यूक्रेन युद्ध के थमने के आसार बढ़े हैं?
उत्तर- रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेनी ऊर्जा संस्थानों पर अस्थायी रूप से हमला बंद करने पर सहमति जताई है लेकिन 30 दिन के पूर्ण युद्धविराम की बात मानने से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को उम्मीद थी कि यह स्थायी शांति समझौते की दिशा में पहला कदम होगा मगर पुतिन पूरी तरह नहीं माने हैं। उन्होंने कहा कि वहीं यूक्रेन ने इस मुद्दे पर कहा है कि वह इस बात का समर्थन करेगा, जिसके तहत दोनों देशों को एक-दूसरे के ऊर्जा बुनियादी ढांचे पर लगभग एक महीने तक हमला नहीं करना होगा। उन्होंने कहा कि ट्रंप-पुतिन वार्ता पर नजर डालें तो एक बात साफ दिखती है कि ऐसे में जबकि पूर्वी यूक्रेन में रूसी सैनिक लगातार आगे बढ़ रहे हैं तब पुतिन ने किसी प्रकार के पूर्ण युद्धविराम की बात को मानने से इंकार कर दिया है लेकिन फिर भी जो सहमति बनी है उससे कुछ तो शांति होगी ही। उन्होंने कहा कि वैसे भी यह बातचीत रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करवाने से ज्यादा अमेरिका और रूस के संबंधों को फिर से प्रगाढ़ बनाने पर ज्यादातर केंद्रित थी।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हालांकि यह भी एक सच्चाई है कि ट्रंप लगातार प्रयास कर रहे हैं कि यह युद्ध समाप्त हो जाये या युद्धविराम हो जाये। उन्होंने कहा कि उन्होंने पुतिन से बात करने के लिए दो घंटे का समय निकाला जोकि बड़ी बात है और शांति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप पहले भी कह चुके हैं कि यूक्रेन में संघर्ष तीसरे विश्व युद्ध में बदल सकता है और रूस के साथ बेहतर संबंध अमेरिका के रणनीतिक हित में हैं। उन्होंने कहा कि क्रेमलिन ने भी दोनों नेताओं के बीच लंबी फोन चर्चा के बाद कहा है कि पुतिन ने ट्रंप के प्रस्ताव पर सहमति जताई है कि रूस और यूक्रेन 30 दिनों के लिए एक-दूसरे के ऊर्जा बुनियादी ढांचे पर हमला करना बंद कर दें।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि व्हाइट हाउस ने कहा है कि ट्रंप और पुतिन के बीच लंबी बातचीत के बाद, काला सागर में समुद्री युद्ध विराम के साथ-साथ अधिक पूर्ण युद्ध विराम और स्थायी शांति समझौते पर बातचीत तुरंत शुरू होगी। उन्होंने कहा कि हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यूक्रेन उन वार्ताओं में शामिल होगा या नहीं। उन्होंने कहा कि इस वार्ता के बारे में ट्रंप के दूत स्टीव विटकॉफ ने कहा है कि यह रविवार को सऊदी अरब के जेद्दा में होगी। उन्होंने कहा कि क्रेमलिन ने हालांकि विटकॉफ की टिप्पणियों पर जवाब नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि क्रेमलिन ने कहा है कि पुतिन ने ट्रंप से बात करने के बाद रूसी सेना को ऊर्जा स्थलों पर हमले बंद करने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि हालांकि पुतिन ने चिंता जताई है कि एक अस्थायी युद्धविराम यूक्रेन को फिर से हथियारबंद होने और अधिक सैनिकों को जुटाने का मौका दे सकता है। उन्होंने कहा कि इसीलिए पुतिन ने इस बात पर जोर दिया है कि यूक्रेन को सभी सैन्य और खुफिया सहायता समाप्त करनी चाहिए।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ट्रंप ने फॉक्स न्यूज़ को बताया है कि पुतिन से बातचीत में यूक्रेन को दी जाने वाली सहायता का मुद्दा नहीं उठा। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने फॉक्स न्यूज़ के "द इंग्राहम एंगल" शो में बताया है कि हमारी कॉल बहुत अच्छी रही। यह लगभग दो घंटे तक चली। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा है कि उनका देश 30 दिनों के लिए ऊर्जा सुविधाओं और बुनियादी ढांचे पर हमले रोकने के प्रस्ताव का समर्थन करेगा। उन्होंने कहा कि जेलेंस्की ने टेलीग्राम मैसेजिंग एप पर कहा है कि पुतिन ने वास्तव में पूर्ण युद्ध विराम के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि दुनिया के लिए यह सही होगा कि पुतिन द्वारा युद्ध को लंबा खींचने के किसी भी प्रयास को अस्वीकार कर दिया जाए।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यह भी एक ओर रूस-यूक्रेन के बीच संघर्षविराम के लिए बात चल रही थी और दूसरी ओर दोनों देशों ने बुधवार को ही एक-दूसरे पर हवाई हमले करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यह हमला तब हुआ जब उनके नेताओं ने ऊर्जा संबंधी बुनियादी ढांचे पर हमलों को रोकने के लिए सीमित युद्धविराम पर सहमति जताई थी। उन्होंने कहा कि एक सच्चाई यह है कि रूस इस समय तक यूक्रेन के 20 फीसदी हिस्से पर कब्जा कर चुका है। यूक्रेन का 50 फीसदी बुनियादी ढांचा ध्वस्त हो चुका है और आधी से ज्यादा आबादी भी दूसरे देशों में शरणार्थी जीवन गुजार रही है और बड़ी संख्या में लोग मारे जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि तीन साल तक युद्ध खिंचने पर भी यूक्रेन को कुछ हासिल नहीं हुआ है और वह अब अपने कई बड़े शहरों पर से नियंत्रण खोने की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि लोग भी जानना चाहते हैं कि अब तक कुल मिलाकर उसे 260 बिलियन डॉलर की जो सहायता मिली उससे क्या हासिल हुआ?
प्रश्न-4. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक पॉडकास्ट से अमेरिका और चीन के साथ भारत के संबंध एकदम से मधुर नजर आ रहे हैं। यह कैसी डिप्लोमेसी थी?
उत्तर- प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की विदेश नीति में जो आवश्यक बदलाव किये हैं यह उसी का ही परिणाम है कि पूरी दुनिया उनकी मुरीद नजर आती है। उन्होंने कहा कि यहां तक कि विपक्षी पार्टी के एक बड़े नेता ने भी माना है कि तीन साल पहले उन्होंने यूक्रेन युद्ध पर मोदी सरकार की नीति की जो आलोचना की थी वह गलत है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के पॉडकास्ट के बाद अमेरिका और चीन के बयान देखकर कहा जा सकता है कि भारत के प्रधानमंत्री की बात पूरी दुनिया सुनती भी है और उसे सराहती भी है। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर डोनाल्ड ट्रंप जबसे अमेरिका के दोबारा राष्ट्रपति बने हैं तबसे एकमात्र मोदी को छोड़कर उनके संबंध हर विदेशी नेता से तनावपूर्ण ही दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर जो गर्मागर्मी दिख भी रही थी वह प्रधानमंत्री के पॉडकास्ट के बाद थोड़ी ठंडी पड़ गयी है। उन्होंने कहा कि यह कोई सामान्य बात नहीं है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया मंच 'ट्रुथ सोशल' पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका के लोकप्रिय पॉडकास्टर एवं कंप्यूटर वैज्ञानिक लेक्स फ्रीडमैन के साथ बातचीत का वीडियो लिंक साझा किया है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ एक पॉडकास्ट में चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके बीच परस्पर विश्वास का रिश्ता है और वे बेहतर तरीके से एक-दूसरे के संपर्क में रहते हैं, क्योंकि वे हर चीज से ऊपर अपने राष्ट्रीय हितों को रखने में विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा कि मोदी ने कहा था कि ट्रंप के साथ उनका आपसी विश्वास का रिश्ता तब भी अडिग रहा जब रिपब्लिकन पार्टी के नेता राष्ट्रपति नहीं थे। उन्होंने कहा कि पॉडकास्ट में मोदी ने ट्रंप की प्रशंसा करते हुए उन्हें एक साहसी व्यक्ति बताया था, जिसने अपने फैसले खुद किए और जो अमेरिका के प्रति अटूट रूप से समर्पित रहे हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वहीं चीन ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भारत-चीन संबंधों पर ‘‘सकारात्मक’’ टिप्पणी की सराहना की है जिसमें उन्होंने विवाद के बजाय संवाद पर जोर दिया था। उन्होंने कहा कि चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा है कि चीन ने चीन-भारत संबंधों पर प्रधानमंत्री मोदी की हालिया सकारात्मक टिप्पणी पर ध्यान दिया है और इसकी सराहना करता है। उन्होंने कहा कि मोदी की इस टिप्पणी पर कि भारत और चीन के बीच संबंध कोई नयी बात नहीं है, क्योंकि दोनों देशों की संस्कृतियां और सभ्यताएं प्राचीन हैं और वे सदियों से एक-दूसरे से सीखते आए हैं, माओ ने कहा था कि मैं इस बात पर जोर देना चाहती हूं कि दो हजार से अधिक वर्षों के इतिहास में चीन-भारत संबंधों की मुख्य धारा मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान और आपसी सीख रही है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि मोदी ने अपने पॉडकास्ट में कहा था कि पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच 2020 में हुई झड़पों से उत्पन्न तनाव को कम करने के लिए राष्ट्रपति शी के साथ उनकी हालिया बातचीत के बाद भारत-चीन सीमा पर सामान्य स्थिति लौट आई है। उन्होंने कहा कि विश्व के दो सर्वाधिक जनसंख्या वाले देशों के बीच संबंधों के प्रति आशावादी रुख अपनाते हुए मोदी ने कहा था कि पड़ोसियों के बीच मतभेद स्वाभाविक हैं तथा उन्होंने उनके बीच प्राचीन सांस्कृतिक संबंधों पर जोर दिया था, जब दोनों सभ्यताएं एक-दूसरे से सीखती थीं तथा उनके बीच बहुत कम संघर्ष होता था। उन्होंने कहा कि मोदी ने कहा था कि उनके प्रयासों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उनके मतभेद विवाद में न बदल जाएं और विवाद के बजाय संवाद पर जोर देते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने पॉडकास्ट में यह भी बताया था कि दोनों देशों ने एक समय वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 50 प्रतिशत से अधिक का योगदान दिया था। उन्होंने कहा कि देखा जाये तो इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत और चीन के बीच पारस्परिक सहयोग ना सिर्फ दोनों के लिए लाभकारी है बल्कि वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए आवश्यक भी है।
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