Kashmir में LoC से सटे सीमावर्ती गांवों में विकास पहुँचने और पर्यटन बढ़ने से स्थानीय लोगों को रहा है बड़ा लाभ
संघर्षविराम के चलते सीमावर्ती क्षेत्रों के किसानों को अपनी फसल की देखरेख करने में भी आसानी होती है और गोलाबारी के चलते उनकी फसल को कोई नुकसान नहीं पहुँचता है। साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों को जिस तरह विकसित किया जा रहा है उससे यहां पर्यटक भी आ रहे हैं।
केंद्र की मोदी सरकार ने देश के सीमावर्ती गांवों का भाग्य बदल कर रख दिया है। एक समय था जब सीमावर्ती गांव अलग-थलग महसूस करते थे लेकिन अब वहां विकास पहुँचने से स्थानीय लोगों को बड़ा फायदा हो रहा है। खासतौर पर कश्मीर की बात करें तो पाकिस्तान के साथ संघर्षविराम होने से सीमावर्ती गांवों के लोगों का जीवन ही बदल गया है। संघर्षविराम के चलते सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों को अब जब तब अपने परिवार और कीमती सामान को लेकर बंकरों में नहीं भागना पड़ता है। संघर्षविराम के चलते सीमावर्ती क्षेत्रों के किसानों को अपनी फसल की देखरेख करने में भी आसानी होती है और गोलाबारी के चलते उनकी फसल को कोई नुकसान नहीं पहुँचता है। साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों को जिस तरह विकसित किया जा रहा है उससे यहां पर्यटक भी आ रहे हैं जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। यहां बाइटें लग जायेंगी।
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हम आपको यह भी बता दें कि कुछ साल पहले तक देश के सीमावर्ती गांव विकास के लिए तो तरसते ही थे साथ ही आखिरी गांव का जो ठप्पा उन पर लगा हुआ था उससे भी वह परेशान रहते थे। लेकिन समय बदला और सीमावर्ती गांवों तक विकास पहुँचने लगा और जिन गांवों के बाहर कल तक आखिरी गांव का बोर्ड लटका रहता था आज वहां पहले गांव का बोर्ड लगा दिखाई देता है। जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी सीमा से सटे भारतीय गांवों की बात करें तो यहां हाल के वर्षों में अभूतपूर्व विकास हुआ है और सुविधाएं भी बढ़ायी गयी हैं।
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