डॉ हर्षवर्धन बोले, भारत बड़े महासागर मिशन के लिए क्षमताएं विकास कर रहा है
मौसम की भविष्यवाणी पर डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि जब हम वापस पीछे मुड़कर देखते हैं तो पता चलता है कि (2004 में सुनामी के बाद से) हमारे वैज्ञानिकों ने कितना विकास किया है। अब हम गर्व से कह सकते हैं कि सुनामी की शुरुआती चेतावनी का पूर्वानुमान लगाने में हम दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देश हैं।
चेन्नई। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने शनिवार को कहा कि सरकार ऐसी क्षमता विकसित करने की प्रक्रिया में है जिसमें वैज्ञानिक समुद्री खोज के लिए तीन किलोमीटर से अधिक गहराई तक समुद्र में जा सकते हैं। यहां एक समारोह में भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि भारत मौसम पूर्वानुमान में शीर्ष पर स्थित है और कभी भी चक्रवात को लेकर गलत चेतावनी जारी नहीं की। उन्होंने यहां चेन्नई पोर्ट ट्रस्ट पर तटीय अनुसंधान पोत सागर अवनेशिका को देश को समर्पित करने के बाद कहा, ‘‘आम तौर पर समुद्र में नीचे जाकर कुछ अनुसंधान गतिविधियां करने और वापस आने में लगभग छह घंटे लगते हैं। हम उस क्षमता को विकसित कर रहे हैं जिसमें वैज्ञानिक समुद्र में तीन किलोमीटर से अधिक गहराई तक जा सकते हैं और वे लगभग 16 घंटे (अनुसंधान उद्देश्यों के लिए) वहां रह सकते हैं।’’
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मौसम की भविष्यवाणी पर, उन्होंने कहा, जब हम वापस पीछे मुड़कर देखते हैं तो पता चलता है कि (2004 में सुनामी के बाद से) हमारे वैज्ञानिकों ने कितना विकास किया है। अब हम गर्व से कह सकते हैं कि सुनामी की शुरुआती चेतावनी का पूर्वानुमान लगाने में हम दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देश हैं। हमने कभी भी गलत चेतावनी जारी नहीं की है। मेरे वैज्ञानिकों ने मुझे बताया कि जापान ने सुनामी पर गलत चेतावनी जाोरी की है।’’ मंत्री ने कहा कि शुरुआती चेतावनी जारी करने की सुविधाओं के कारण, राज्य और प्रशासन लोगों की सुरक्षा के लिए एहतियाती कदम उठाने में सक्षम हो पाए हैं।
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उन्होंने बताया, कुछ चक्रवातों से बहुत बड़ी क्षति हो सकती थी, लेकिन उनको लेकर 10 दिन या दो सप्ताह पहले ही आगाह कर दिया गया ताकि सरकार और संबंधित राज्यों को सभी सावधानियों और एहतियातों के लिए पर्याप्त समय और अवसर मिल सके और लोगों की जिंदगी बचाई जा सके तथा जीवनयापन के स्रोतों को संरक्षित किया जा सके।’’ उन्होंने कहा कि देश का सबसे महत्वाकांक्षी मिशन एक गहरा महासागर मिशन शुरू करना है जो समुद्र के सभी पहलुओं का अनुसंधान करेगा, खनिजों, जल के स्रोत का पता लगाएगा और वैज्ञानिक समुदाय को मजबूत करेगा। हर्षवर्धन ने कहा, हम पहले से ही इस प्रक्रिया में लगे हुए हैं और फिर हम इसके लिए डीआरडीओ, इसरो, आईआईटी जैसे बड़े संस्थानों की मदद लेंगे।
Sagar Anveshika is equipped with advanced navigation systems as well as research & exploration apparatus.
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) January 9, 2021
Enhancing multidisciplinary oceanographic research along the Indian coast, it'll deepen our understanding of the ocean & help harness its enormous potential.@moesgoi pic.twitter.com/21rxxDuCQ4
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