India-China Water War: कब्जाधारी चीन, 'जलयुद्ध' का क्या है नया सीन, जवाब देने के लिए भारत इस तरह कस रहा कमर
चीन अरुणाचल सीमा के पास 60 हजार मेगावाट की क्षमता का डैम बना रहा है। वहीं चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत भी अरुणाचल में एनएचपीसी के 8 प्रोजेक्ट्स चला रहा है।
कब्जाधारी चीन उत्तराखंड के पानी पर कब्जे के लिए नेपाल सीमा में साज़िशें रच रहा है। सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है नेपाल-भारत-चीन ट्रायंग जंक्शन पर बांध का निर्माण कर रहा है, जिससे इस इलाके के पानी पर कब्जा कर सके। चालक चीन अरुणाचल सीमा पर वॉटर वॉर की तैयारी में है। चीन अरुणाचल सीमा के पास 60 हजार मेगावाट की क्षमता का डैम बना रहा है। वहीं चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत भी अरुणाचल में एनएचपीसी के 8 प्रोजेक्ट्स चला रहा है। पानी स्टोरेज क्षमता भी बढ़ाई गयी है। नेशनल हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट ने 2 हजार मेगावाट के सुंबसारी लोअर हाइड्रो प्रोजेक्ट को तैयार कर लिया है।
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चीन की पानी वाली साजिश क्या है?
चीन तिब्बत से लेकर भारत तक पवित्र मानी जाने वाली यारलुंग त्सांगपो या ब्रह्मपुत्र नदी पर 60,000 मेगावॉट बिजली पैदा करने की क्षमता वाले एक विशाल बांध बनाने को साजिश रच रहा है। चीन की इस चाल को देखते हुए भारत ने भी समय रहते कई बड़े कदम उठाने का फैसला किया है। भारत भी अरुणाचल प्रदेश में कई बांध तैयार कर रहा है।
क्यों अहम है मुद्दा
11000 मेगावॉट क्षमता वाले एक बड़े प्रोजेक्ट की योजना भी करीब- करीब तय हो गई है। चीन मीडोग बॉर्डर पर यह बंध बनाने की योजना बना रहा है। यह जगह अरुणाचल प्रदेश के बहुत करीब है। चीन की साजिश कामयाब होती है तो फिर अरुणाचल और असम में पानी की कमी हो सकती है या बाढ़ जैसे हालात भी सामने आ सकते हैं। जानकारों का कहना है कि इस बांध को चीन एक राजनीतिक टूल के रूप में भी इस्तेमाल कर सकता है।
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भारत किस तरह दे रहा जवाब
भारत के साथ-साथ बांग्लादेश भी ब्रह्मपुत्र के पानी का ही इस्तेमाल करता है। ब्रह्मपुत्र को बांग्लादेश में जमुना के नाम से जाना जाता है। अरुणाचल प्रदेश में इस नदी को सियांग और असम में ब्रह्मपुत्र कहा जाता है। तिब्बत स्वायत्त इलाके से निकलने वाली ब्रह्मपुत्र नदी भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य के जरिए देश की सीमा में प्रवेश करती है। इसके बाद यह नदी असम पहुंचती है। असम से होकर ब्रह्मपुत्र बांग्लादेश में प्रवेश करती है। ब्रह्मपुत्र नदी भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के साथ-साथ बांग्लादेश के लिए भी बहुत अहम है। भारत भी अरुणाचल में इस नदी पर एक बड़ा बांध बनाने की तैयारी कर रहा है।
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