हरियाणा चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी को भर-भर के ज्ञान देने लगे INDIA गठबंधन के सहयोगी दल, कांग्रेस ने एक जवाब से कर दी सबकी बोलती बंद
हरियाणा जिसे पार्टी जीत रही थी वहाँ पर मिली हार पर काफी मंथन चल रहा हैं। हम आपको बताते हैं कि कैसे एक एक करके इंडिया गठबंधन के सहयोगी पार्टियों ने कांग्रेस की प्लानिंग पर क्या कहा और कांग्रेस ने उसका क्या जवाब दिया।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस की हार हुई हो लेकिन उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया और भाजपा को टक्कर दी। चुनावी हार के बार कांग्रेस की चारों ओर से आलोचना हो रही हैं। राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कांग्रेस के सहयोगी दल भी कांग्रेस पार्टी को हार के बाद खूब ज्ञान दे रहे हैं। हरियाणा जिसे पार्टी जीत रही थी वहाँ पर मिली हार पर काफी मंथन चल रहा हैं। हम आपको बताते हैं कि कैसे एक एक करके इंडिया गठबंधन के सहयोगी पार्टियों ने कांग्रेस की प्लानिंग पर क्या कहा और कांग्रेस ने उसका क्या जवाब दिया।
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'अति आत्मविश्वासी': आम आदमी पार्टी
आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल, जो कि इंडिया ब्लॉक का हिस्सा हैं, ने कांग्रेस को सलाह देते हुए मंगलवार को कहा कि चुनाव परिणामों का "सबसे बड़ा सबक" यह है कि किसी को कभी भी "अति आत्मविश्वासी" नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, देखिए, हरियाणा में चुनाव के नतीजे क्या हैं। सबसे बड़ी सीख यही है कि चुनाव को लेकर किसी को भी अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए। किसी भी चुनाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए। हर चुनाव और हर सीट मुश्किल होती है। सीटों के बंटवारे को लेकर मतभेद के कारण आम आदमी पार्टी और कांग्रेस हरियाणा में चुनाव पूर्व गठबंधन बनाने में विफल रहे।
शिवसेना उद्धव गुट की सलाह
शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि हरियाणा चुनाव के नतीजों का महाराष्ट्र पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जहां अगले महीने चुनाव होने की संभावना है। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस को अपनी चुनावी रणनीति पर पुनर्विचार करना चाहिए, क्योंकि भाजपा के खिलाफ सीधी लड़ाई में यह सबसे पुरानी पार्टी उम्मीदों से कम प्रदर्शन कर सकती है।
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कांग्रेस को गंभीरता से आत्मचिंतन करना चाहिए: सीपीआई
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) के महासचिव डी राजा ने भी कांग्रेस को सलाह देते हुए कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व वाली पार्टी को हरियाणा के चुनाव नतीजों पर गंभीरता से आत्मचिंतन करना चाहिए और महाराष्ट्र और झारखंड में होने वाले आगामी चुनावों में विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के सभी सहयोगियों को साथ लेकर चलना चाहिए। फिलहाल कांग्रेस महाराष्ट्र में सीटों के बंटवारे को लेकर शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी (शरदचंद्र पवार) से बातचीत कर रही है।
महाराष्ट्र में सहयोगी दलों के लिए कांग्रेस का संदेश
इस बीच, हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ने मंगलवार को महाराष्ट्र में अपने सहयोगी दलों को गठबंधन धर्म की याद दिलाते हुए कहा कि वह लोकसभा चुनाव में राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। पार्टी के एक नेता ने कहा, "मैं याद दिलाना चाहता हूं कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने महाराष्ट्र में पहला स्थान हासिल किया था। गठबंधन का एक धर्म होता है, उनके (सहयोगी दलों के) बीच जो भी होगा, वे एक-दूसरे से बात करेंगे, मीडिया के जरिए नहीं।" उन्होंने यह भी कहा, महाराष्ट्र में गठबंधन को मजबूत करना हमारा कर्तव्य है और हम अपने सहयोगियों के बारे में कुछ भी गलत नहीं कहेंगे।
कांग्रेस के लिए हरियाणा में हार एक बड़ा झटका है, जिसका असर आगामी चुनावों पर पड़ सकता है। भाजपा ने 48 सीटें जीतकर आरामदायक बहुमत हासिल किया, जबकि कांग्रेस ने 37 सीटें और आईएनएलडी ने दो सीटें जीतीं। हरियाणा में 2019 के विधानसभा चुनावों में किंगमेकर की भूमिका के मुकाबले दुष्यंत चौटाला की जेजेपी ने कोई खास कमाल नहीं किया। जेजेपी ने 2019 में 10 सीटें जीतीं। कांग्रेस के सहयोगियों (इंडिया ब्लॉक के सदस्यों) की प्रतिक्रियाओं से संकेत मिलता है कि हरियाणा चुनाव के नतीजों ने चुनावी राज्यों में कांग्रेस के रुख को कमजोर किया है। अब सीट बंटवारे की बैठकों में कांग्रेस के सहयोगी दलों का पलड़ा भारी हो सकता है।
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