Uttar Pradesh Bypolls में कांग्रेस नहीं उतरी तो सपा सभी नौ सीटों पर लड़ेगी चुनाव

Uttar Pradesh Bypolls
ANI
अजय कुमार । Oct 22 2024 3:32PM

यूपी में कांग्रेस के चुनाव नहीं लड़ने की संभावनाओं के बीच कहा यह भी जा रहा है कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के परिणाम और महाराष्ट्र में सपा के महाविकास आघाड़ी से 12 सीटें मांगे जाने पर रणनीति के तहत यूपी की दोनों सीटों पर कांग्रेस अपने प्रत्याशी उतारने से पीछे हट रही है।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होने वाले उप-चुनाव को लेकर कांग्रेस दुविधा में नजर आ रही है। कांग्रेस का दावा है कि वह सपा के साथ मिलकर पांच सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन सपा ने उसके लिये सिर्फ दो ही सीटें छोड़ी। इसके बाद चर्चा है कि कांग्रेस उप चुनाव नहीं लड़ने के फैसले की ओर आगे बढ़ती नजर आ रही है। इसी के चलते नौ विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस की ओर से उसके हिस्से आयी दोनों सीटों पर चुनाव नहीं लड़ने की दशा में सपा कांग्रेस के हिस्से की दो सीटों पर भी अपना प्रत्याशी उतार सकती है। सपा का दृष्टिकोण साफ है कि जहां वह अपने हिस्से की एक भी सीट पर समझौता करने को तैयार नहीं है, वहीं अब उसने कांग्रेस के प्रत्याशी न उतारने की दशा में खैर और गाजियाबाद में अपने प्रत्याशी को तैयार कर रही है। सपा ने करहल, मिल्कीपुर, कटेहरी, फूलपुर, मझवां, सीसामऊ और मीरापुर सीट पर होने वाले उपचुनाव में अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। कुंदरकी सीट पर प्रत्याशी के चयन के लिए मंथन चल रहा है। माना जा रहा है कि आजकल में सपा कुंदरकी सीट पर भी  अपना प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर सकती है।

उधर, यूपी में कांग्रेस के चुनाव नहीं लड़ने की संभावनाओं के बीच कहा यह भी जा रहा है कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के परिणाम और महाराष्ट्र में सपा के महाविकास आघाड़ी से 12 सीटें मांगे जाने पर रणनीति के तहत यूपी की दोनों सीटों पर कांग्रेस अपने प्रत्याशी उतारने से पीछे हट रही है। सपा प्रवक्ता उदयवीर सिंह कहते हैं कि कांग्रेस के कुछ पदाधिकारियों से पता चला है कि उनका दावा मझवां और फूलपुर सीटों पर है। मिर्जापुर लोकसभा चुनाव में डा. रमेश बिंद ने बहुत अच्छा चुनाव लड़ा था। इसलिए उनकी बेटी डॉ. ज्योति बिंद को उम्मीदवार बनाया गया है। इस सीट पर सपा वर्ष 2022 के चुनाव में दूसरे नंबर पर आयी थी।

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फूलपुर सीट भी एक लाख से अधिक वोट पाने वाले मुस्तफा सिद्दीकी की दावेदारी तो बनती ही थी। ऐसे में इन सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने के लिए संगठन ने तैयारी पहले से की थी। अब खैर और गाजियाबाद सीटें गठबंधन में कांग्रेस को दे दी हैं। अब उनको ही सब कुछ तय करना है। अभी कांग्रेस हाईकमान की ओर से दोनों सीटों पर नहीं लड़ने को लेकर कोई बात नहीं की गई है।

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