हिंदू नेताओं ने रामजन्म भूमि आंदोलन में आडवाणी, अशोक सिंघल के योगदान को सराहा
भाजपा नेता उमा भारती ने बताया कि फैसले के बाद वह आडवाणी से मिलीं और उनका चरण स्पर्श किया। उन्होंने आंदोलन को गति देने के लिए विहिप के दिवंगत नेता सिंघल की भी प्रशंसा की।
नयी दिल्ली। राम जन्म भूमि आंदोलन से जुड़े अहम हिंदू नेताओं ने इस आंदोलन में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के दिवंगत नेता अशोक सिंघल और भाजपा के वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण आडवाणी के योगदान को सराहा। आंदोलन से जुड़े रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने उच्चतम न्यायालय के फैसले को ‘ऐतिहासिक’ बताते हुए कहा कि इसका सभी समुदायों को ‘खुले मन’ से स्वागत करना चाहिए।
#WATCH Uma Bharti,BJP on #AyodhyaVerdict: Court ne ek nishpaksh kintu divya nirnaya diya hai. Main Advani ji ke ghar mein unko maatha tekne aayi hoon, Advani ji hi veh vyakti the jinhone pseudo-secularism ko challenge kiya tha...unhi ki badaulat aaj hum yahan tak pahunche hain. pic.twitter.com/YYtY4RCz06
— ANI (@ANI) November 9, 2019
भाजपा नेता उमा भारती ने बताया कि फैसले के बाद वह आडवाणी से मिलीं और उनका चरण स्पर्श किया। उन्होंने आंदोलन को गति देने के लिए विहिप के दिवंगत नेता सिंघल की भी प्रशंसा की। उमा भारती ने पत्रकारों से कहा कि आडवाणी ने इसे एक धार्मिक मुद्दे से बदलकर राष्ट्रवाद से जोड़ दिया और दिखाया कि यह देश में बदलाव ला सकता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाली उमा भारती ने कहा कि मंदिर निर्माण के प्रति आडवाणी का समर्पण भाजपा की सफलता के मूल में है और इसने पार्टी की सत्ता में वापसी सुनश्चित की है।उल्लेखनीय है कि लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी 1992 में विवादित ढांचे के विध्वंस मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व विचारक के एन गोविंदाचार्य ने फैसले पर ‘ खुशी’ जताई और कहा कि देश अब ‘राम मंदिर से राम राज्य’ की ओर बढ़ सकता है। जब उनसे पूछा गया कि रामजन्म भूमि आंदोलन की सफलता का श्रेय वह किसे देंगे? गोविंदाचार्य ने कहा, ‘‘लाखों लोगों ने जिन्होंने बलिदान दिया, आंदोलन के नेतृत्व को और सबसे अधिक इसका श्रेय मैं अशोक सिंघल और लाल कृष्ण आडवाणी को दूंगा।’’ सिंघल लंबे समय तक विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष थे और भाजपा के आंदोलन में शामिल होने से पहले उन्होंने ही इसे व्यापक रूप दिया। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने शनिवार को सर्वसम्मति के फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ करते हुये केन्द्र को निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिये किसी वैकल्पिक लेकिन प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ भूखंड आबंटित किया जाये।
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