हिमाचल के स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध ,तय ड्रेस कोड पर ही छात्रों को प्रवेश मिलेगा

Himachal schools

इस मामले को धार्मिक रंग देना गलत है। यह मुद्दा नहीं होना चाहिए। हिजाब पहनकर स्कूल-कॉलेजों में आना गलत है। शिक्षण संस्थानों में गुणवत्ता, विश्वसनीयता बनी रहनी चाहिए। शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनकर आने की जिद्द करना गलत है। मैं इसकी निंदा करता हूं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता वोट की राजनीति कर रहे हैं। छद्म धर्म निरपेक्षता के तहत इस मामले की व्याख्या कर रहे हैं।

शिमला। हिमाचल प्रदेश में भले ही आज से स्कूल खुल गये हैं, लेकिन कर्नाटक के कॉलेज में हिजाब पहनने को लेकर चल रहे विवाद से प्रदेश अछूता नहीं है।  प्रदेश सरकार ने स्कूल में हिजाब पहन कर आने को लेकर रोक लगा दी है। व दलील दी है कि यूनिफार्म पहन कर ही स्कूल आना होगा। शिक्षण संस्थानों में तय ड्रेस कोड पर ही विद्यार्थियों को प्रवेश मिलेगा। हिजाब पहनने पर पूर्ण तौर पर रोक रहेगी। 

 

प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि उन्होंने कहा कि इस मामले को धार्मिक रंग देना गलत है। यह मुद्दा नहीं होना चाहिए। हिजाब पहनकर स्कूल-कॉलेजों में आना गलत है। शिक्षण संस्थानों में गुणवत्ता, विश्वसनीयता बनी रहनी चाहिए। शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनकर आने की जिद्द करना गलत है। मैं इसकी निंदा करता हूं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता वोट की राजनीति कर रहे हैं। छद्म धर्म निरपेक्षता के तहत इस मामले की व्याख्या कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में अब सभी शिक्षण संस्थान खुल गये हैं। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए बनाए गए नियमों का पालन करना अनिवार्य किया गया है। शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए फेस मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है। थर्मल स्क्रीनिंग के बाद स्कूल परिसरों में प्रवेश दिया जाएगा। हैंड सैनिटाइजर और साबुन की भी स्कूलों में पर्याप्त व्यवस्था की गई है।

इसे भी पढ़ें: हिमाचल में स्कूलों में लौटी रौनक, पहली से बारहवीं कक्षा की लगेंगी नियमित कक्षाएं

सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों की नियमित कक्षाओं के दौरान मिड डे मील नहीं परोसा जाएगा। मार्च 2022 से प्रदेश के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील नहीं परोसा जा रहा है। कोरोना संकट के चलते सरकार ने मार्च 2020 में स्कूल बंद कर दिए थे। बीते दो वर्ष के दौरान कई बार प्रदेश में स्कूलों में विद्यार्थियों की कक्षाएं लगाई गई लेकिन मिड डे मील को बंद ही रखा गया। अब कोरोना संक्रमण के मामले कम होने पर खुले स्कूलों में दोपहर का भोजन बांटना है या नहीं। इसको लेकर प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने सरकार से मंजूरी मांगी है। पहली से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को मिड डे मील दिया जाता है। स्कूल बंद रहने के दौरान विद्यार्थियों को हर माह शिक्षक सूखा राशन बांटते रहे हैं। विद्यार्थियों के बैंक खाते में कुकिंग कास्ट का पैसा दिया जाता है।

इसे भी पढ़ें: समाज सुधार के लिए संत शिरोमणि गुरु रविदास जी को सदैव याद रखा जाएगा

आंगनबाड़ी केंद्रों में मार्च से नौनिहाल बुलाए जाएंगे। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों को नियमित तौर पर केंद्रों में आना होगा। स्कूल खुलने के बाद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग कोरोना संक्रमण के मामलों की समीक्षा करने के बाद केंद्रों में बच्चों को बुलाने का फैसला लेगा। इसको लेकर सरकार से मंजूरी भी ली जाएगी। 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़