उच्च न्यायालय ने कचरा बीनने वालों से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई की

High Court
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शहरी विकास सचिव उपस्थित हुए और कूड़ा बीनने वालों के उत्थान के लिए नगर निगम को दिए गए निर्देशों के अनुरूप शपथ पत्र पेश करने के लिए एक दिन का समय मांगा। अदालत अब मामले की सुनवाई 10 जनवरी को करेगी।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कचरा बीनने वाले और उनके बच्चों को प्रदेश में सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलने से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई की।

उच्च न्यायालय ने कचरा बीनने वालों के बारे में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की एक रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया था और इस विषय पर अदालत की सहायता करने के लिए अधिवक्ता नवनीश नेगी को न्यायमित्र नियुक्त किया था।

अदालत ने न्यायमित्र को इन लोगों से मिलने और उन्हें दी जा रही सुविधाओं की जांच करने तथा इस संबंध में अदालत के सामने रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। मामले में पेश निदेशक, शहरी विकास ने अदालत के सामने कहा कि एक सर्वेंक्षण के अनुसार, प्रदेश में कचरा बीनने वाले 549 लोग हैं और उनमें से अनेक के पास राशन कार्ड, आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र हैं और वे कई सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं।

इससे पहले, प्राधिकरण ने अपनी सर्वेंक्षण रिपोर्ट में कहा था कि उच्च न्यायालय और अन्य जिला विधिक प्राधिकरणों की रिपोर्ट के अनुसार कचरा बीनने वालों को राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा प्रदान की जा रही आवश्यक सुविधाएं नहीं मिल रही हैं जिसके कारण उनके बच्चे भी यही काम कर रहे हैं जिससे उनका मानसिक और बौद्धिक विकास अवरूद्ध हो रहा है।

मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ के सामने शहरी विकास सचिव उपस्थित हुए और कूड़ा बीनने वालों के उत्थान के लिए नगर निगम को दिए गए निर्देशों के अनुरूप शपथ पत्र पेश करने के लिए एक दिन का समय मांगा। अदालत अब मामले की सुनवाई 10 जनवरी को करेगी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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