Manipur Violence को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, अदालत ने 17 मई तक मांगा रिपोर्ट, कहा- ये मानवीय संकट
सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि आरक्षण मामले की सुनवाई बाद में की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों से विस्थापितों के बारे में पूछा. कोर्ट ने कहा कि धार्मिक क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए भी कदम उठाने होंगे।
मणिपुर हिंसा मामले को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। केंद्र और मणिपुर सरकार ने राज्य में हिंसा से निपटने के लिए उठाये गये कदमों से अवगत कराते हुए कहा कि बीते दो दिनों में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है। केंद्र और मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सीएपीएफ के 35 ट्रूप, अर्धसैनिक बल और सेना तैनात हैं। पिछले दो दिनों में राज्य में कोई हिंसा नहीं हुई है और सामान्य स्थिति बहाल हो रही है। सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हेलीकॉप्टर और ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। लोगों के आवास और भोजन उपलब्ध कराने के लिए राहत शिविर स्थापित किए गए हैं।
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सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि आरक्षण मामले की सुनवाई बाद में की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों से विस्थापितों के बारे में पूछा. कोर्ट ने कहा कि धार्मिक क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए भी कदम उठाने होंगे। सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केवल कुछ धार्मिक स्थलों को ही नहीं बल्कि हर जगह लोगों और संपत्ति की रक्षा करनी होगी। कोर्ट ने राज्य से 17 मई तक रिपोर्ट जमा करने को कहा है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ये मानवीय संकट हैं; केंद्र और राज्य से राहत शिविरों में आवश्यक इंतजाम करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा दिए गए आश्वासन पर ध्यान दिया कि राज्य में स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए कदम उठाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और मणिपुर सरकार से दस दिन में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। सॉलिसिटर जनरल का कहना है कि शांति बैठक हो चुकी है और लगातार चौकसी बरती जा रही है।
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सुप्रीम कोर्ट ने नोट किया कि सॉलिसिटर जनरल ने आश्वासन दिया है कि याचिकाकर्ताओं द्वारा बताई गई चिंताओं को दूर किया जाएगा और सक्रिय आधार पर उपचारात्मक उपाय किए जाएंगे। आदिवासी संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आदिवासियों पर हमले हो सकते हैं। CJI चंद्रचूड़ का कहना है कि कोर्ट स्थिति को स्थिर करना चाहता है। गौरतलब है कि मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में आदिवासियों द्वारा मणिपुर के दस पहाड़ी जिलों में प्रदर्शन किए जाने के बाद पिछले बुधवार को हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें कम से कम 54 लोगों की मौत हो गई थी। अधिकारियों ने कहा कि अब तक 23,000 लोगों को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों से बचाया गया है और सैन्य छावनियों में ले जाया गया है।
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