हरसिमरत कौर बोलीं, किसानों के समर्थन में उठाई गई मेरी आवाज को नहीं सुना गया
बादल ने कहा कि सिहं कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र के इस एक वादे को छोड़कर अन्य सभी वादों को पूरा करने में विफल रही है, इसका नतीजा है कि पंजाब में किसान सड़कों पर हैं।
हरसिमरत कौर बादल पहली बार 2014 में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री बनीं थीं और भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार के 2019 से शुरू हुए दूसरे कार्यकाल में यह मंत्रालय उनके पास बना रहा। उन्होंने कहा कि वे सरकार से गुहार लगाती हैं कि किसानों की सहमति लिए बिना इन विधेयकों पर आगे न बढ़ें। शिअद ने तीनों विधेयकों के खिलाफ मतदान किया। ये विधेयक हैं- आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, और कृषि सेवाओं एवं मूल्य आश्वासन परकिसानका (संरक्षण एवं सशक्तिकरण) समझौता विधेयक। इन विधेयकों को लोकसभा में मतदान के दौरान ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दल भी इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं, जबकि शिअद इन विधेयकों के खिलाफ सामने आने वाला राजग का एकमात्र सदस्य दल है। बादल ने कहा, ‘‘मैं मंत्रिपरिषद में अध्यादेश आने के बाद से इसका विरोध करती रही हूं। मैं किसानों के सभी संदेह और डर को दूर करने के लिए किसानों और सरकार के बीच सेतु का काम कर रही थी। मैं सरकार से अपील करती हूं कि जब तक किसानों की सभी आशंकाएं दूर न हो जाएं, तब तक इन विधेयकों पर आगे न बढ़ा जाए।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘मुझे इस बात का बहुत दुःख है कि मेरी आवाज मंत्रिपरिषद में नहीं सुनी गई और सरकार ने इसे किसानों सहित सभी हितधारकों के साथ परामर्श के लिए संसद की प्रवर समिति को नहीं भेजा। अगर मेरी आवाज सुनी गई होती, तो किसान विरोध करने के लिए सड़कों पर न आते।’’I kept pleading to Govt not to go ahead with farm bills without clearing all apprehensions and fears of farmers: Harsimrat Kaur Badal to PTI
— Press Trust of India (@PTI_News) September 18, 2020
बादल ने कहा कि सरकार को इन विधेयकों को पारित कराने पर जोर नहीं देना चाहिए और इन्हें संसद की प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए, ताकि सभी हितधारकों के साथ इस पर विचार-विमर्श किया जा सके। हरसिमरत ने अपने इस्तीफे के बारे में कहा, ‘‘कृपया इसे इस्तीफे के रूप में न देखें, क्योंकि यह पंजाब और किसानों के प्रतिनिधि के रूप में मेरा कर्तव्य था।’’ पंजाब के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह ने उनके इस्तीफे को एक ‘‘नाटक’’ बताया था। इस पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘वह खुद सबसे बड़े नाटकबाज हैं और सबसे बड़े झूठे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अमरिंदर सिंह और कांग्रेस दोहरी बात कर रहे हैं। जब इन अध्यादेशों की योजना बनाई गई थी, तो सभी मुख्यमंत्रियों से परामर्श किया गया था और उन्होंने सहमति दी थी।साथ ही ये तीनों विधेयक 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र का हिस्सा थे।’’ बादल ने कहा कि सिहं कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र के इस एक वादे को छोड़कर अन्य सभी वादों को पूरा करने में विफल रही है, इसका नतीजा है कि पंजाब में किसान सड़कों पर हैं। यह पूछने पर कि क्या शिअद राजग से भी बाहर होगा, उन्होंने कहा कि यह पार्टी को तय करना है और सभी वरिष्ठ नेता इस मुद्दे पर सामूहिक निर्णय लेंगे। पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
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