Bajrang Bali ने BJP पर पहली बार नहीं चलाई है गदा, इससे पहले भी हनुमानजी भाजपा को सिखा चुके हैं सबक!
कांग्रेस ने जब अपने घोषणापत्र में पीएफआई और बजरंग दल पर प्रतिबंध की बात कही तो भाजपा ने बजरंग दल को बजरंग बली से जोड़कर गलती कर दी। भाजपा बजरंग दल को बजरंग बली से जोड़कर राज्य भर में हनुमान चालीसा का पाठ करती रही।
कर्नाटक विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की करारी हार दर्शा रही है कि भाजपा अपनी राज्य सरकार की उपलब्धियां लोगों के बीच पहुँचा नहीं पाई जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ा है। कर्नाटक में भाजपा शुरुआत से गलती पर गलती करती चली जा रही थी। उसने उत्तर और पश्चिम के अपने हिट फॉर्मूलों को दक्षिण में भी आजमाना चाहा लेकिन नाकामयाबी हासिल हुई। भाजपा को बड़ी संख्या में अपने विधायकों के टिकट काटना भारी पड़ गया। साथ ही जो नेता असंतुष्ट हो गये थे उन्हें अंतिम क्षण तक मनाने के प्रयास भी सफल नहीं हुए। इसके अलावा भाजपा ने मुद्दों के चयन में बहुत गड़बड़ियां कीं। कर्नाटक में स्थानीय मुद्दों को आगे नहीं रखकर सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने का निर्णय भाजपा को भारी पड़ गया।
इसके अलावा कांग्रेस ने जब अपने घोषणापत्र में पीएफआई और बजरंग दल पर प्रतिबंध की बात कही तो भाजपा ने बजरंग दल को बजरंग बली से जोड़कर गलती कर दी। भाजपा बजरंग दल को बजरंग बली से जोड़कर राज्य भर में हनुमान चालीसा का पाठ करती रही लेकिन कांग्रेस यह विश्वास दिलाने में सफल रही कि वह भी बजरंग बली की भक्त है लेकिन बजरंग बली और बजरंग दल में अंतर है। कांग्रेस ने हनुमान चालीसा का सार्वजनिक पाठ करने के आयोजन तो नहीं किये लेकिन उसके नेता लगातार हनुमान मंदिर जाकर सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर आगे बढ़ते रहे। दूसरा जब भाजपा ने बजरंग बली को मुद्दा बनाया तो एक पक्ष का ध्रुवीकरण पूरी तरह कांग्रेस के पक्ष में हो गया जिसका खामियाजा भाजपा के अलावा जनता दल सेक्युलर को भी उठाना पड़ा है।
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वैसे यह पहली बार नहीं है कि जब बजरंग बली को चुनावी मुद्दा बनाने का खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ा है। 2018 में राजस्थान विधानसभा चुनावों के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए हनुमानजी को दलित बता दिया था जिस पर खूब हंगामा हुआ था। बाद में योगी ने कहा कि हनुमानजी वनवासी और वंचित थे। इस बयान पर भी खूब हंगामा हुआ और मंदिरों के पुजारियों से लेकर कई धार्मिक-सामाजिक संगठनों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। राजस्थान विधानसभा चुनावों के परिणाम जब आये तो कांग्रेस को जीत मिली थी।
इसी प्रकार 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जब एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में हनुमान चालीसा पढ़ी और भाजपा ने इसे मुद्दा बनाया और मनोज तिवारी ने एक ट्वीट कर केजरीवाल की हनुमान भक्ति पर सवाल उठाया तो केजरीवाल हर जगह हनुमान चालीसा पढ़ने लगे थे। बाद में जब आज की तरह 2020 में भी शनिवार के दिन विधानसभा चुनाव के परिणाम आये तो हनुमानजी की गदा भाजपा पर चल चुकी थी।
हम आपको बता दें कि ऐसा ही प्रकरण महाराष्ट्र में भी देखने को मिलता है जब निर्दलीय सांसद नवनीत राणा को हनुमान चालीसा पढ़ने से तत्कालीन उद्धव ठाकरे सरकार ने रोका था तब कुछ ही दिनों में उनकी सरकार ही गिर गयी थी। बहरहाल, यह सब घटनाक्रम मात्र एक संयोग ही हो सकता है लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यह भी मान्यता है कि इस कलियुग में सिर्फ हनुमानजी ही एकमात्र ऐसे देव माने जाते हैं जो इस पृथ्वी पर विराजमान हैं।
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