Gyanvapi ASI Survey: अगले राउंड के सर्वे की शुरुआत, अबतक साफ हुआ तहकाना, जाने पूरी अपडेट यहां...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वेक्षण को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद से ही एएसआई सर्वे तीसरे दिन भी जारी है। इस सर्वे में मंदिर पक्ष ने गुंबद के नीचे विश्वेश्वर मंदिर के गर्भग्रह के होने का दावा किया गया है। इसकी जीपीआर जांच की मांग हो रही है।
ज्ञानवापी परिसर में शुक्रवार चार अगस्त से एएसआई का सर्वे शुरू हो चुका है। रविवार यानी छह अगस्त को इस सर्वे का तीसरा दिन है, जब एएसआई की टीम यहां सर्वे का काम करेगी। इसके लिए एएसआई की टीम सुबह आठ बजे से मंदिर परिसर में सर्वेक्षण का काम कर रही है। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन और सुधीर त्रिपाठी भी ज्ञानवापी पहुंचे हुए है। वहीं ये भी दावा किया गया है कि मुख्य गुंबद के नीचे आदि विश्वेश्वर मंदिर का गर्भगृह है। सर्वे के तीसरे दिन जांच के लिए एएसआई की टीम मशीनों का भी उपयोग करेगी।
ये दावा मंदिर पक्ष की ओर से किया गया है। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी परिसर में मुख्य गुंबद के नीचे भी जांच की जानी चाहिए। इस स्थान पर आदि विश्वेश्वर मंदिर का गर्भगृह हुआ करता था। शिवलिंग और अन्य कई साक्ष्य इसके नीचे उपस्थित हो सकते है। कई मौकों पर अदालत में भी इनकी जानकारी दी गई है।
वहीं हिंदू पक्ष की वादिनी महिला और अधिवक्ता का दावा है कि तहखाने में भी एएसआई की टीम को कई मूर्तियों और मंदिर के टूटे हुए खंभों के अवशेष मिले हैं। इस संबंध में हिंदू पक्ष को विश्वास है कि ज्ञानवापी से संबंधित विवाद थमेगा। मंदिर को लेकर जरुरी सबूत मिलेंगे। बता दें कि एएसआई की टीम लगातार ज्ञानवापी मंदिर परिसर में गुंबद, खंबों की वीडियो भी बना रही है, जिसमें दीवारों, गुंबदों और खंभों के चिन्हों को रिकॉर्ड किया गया है। माना जा रहा है कि एएसआई को यहां त्रिशूल, स्वास्तिक, घंटी आदि की आकृतियां मिली है, जिनकी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी हुई है। इसके साथ ही आकृति की निर्माण शैली, प्राचीनता आदि की जानकारी दर्ज की है।
मुस्लिम पक्ष ने दी चेतावनी
इस बीच, मुस्लिम पक्ष ने सर्वेक्षण को लेकर झूठी खबरें प्रसारित किए जाने का आरोप लगाते हुए प्रक्रिया से अलग होने की चेतावनी दी। सरकारी वकील राजेश मिश्रा ने बताया, “एएसआई ने रविवार को लगातार तीसरे दिन सर्वे कार्य शुरू किया। सर्वे टीम सुबह आठ बजे ज्ञानवापी परिसर में दाखिल हुई। सर्वे का काम शाम पांच बजे तक चलेगा। दोपहर में दो घंटे का भोजन अवकाश होगा।”
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने सर्वे के लिए परिसर में प्रवेश करने से पहले संवादाताओं से कहा कि तीसरे दिन का सर्वे कार्य शुरू हो रहा है। उन्होंने बताया कि शनिवार को सर्वे के लिए डीजीपीएस समेत कई मशीनों का इस्तेमाल किया गया था और रविवार को रडार का उपयोग किए जाने की संभावना है।
त्रिपाठी के मुताबिक, हिंदू और मुस्लिम दोनों ही पक्ष अब तक किए गए सर्वे से संतुष्ट हैं। इस बीच, ज्ञानवापी मस्जिद की रखरखावकर्ता अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने बताया कि सर्वे को लेकर उच्चतम न्यायालय का आदेश आने के बाद मुस्लिम पक्ष दूसरे दिन के सर्वेक्षण में शामिल हुआ और आज भी उसके वकील सर्वे में मौजूद हैं, लेकिन सर्वे को लेकर जिस तरह की बेबुनियाद बातें फैलाई जा रही हैं, अगर उन्हें नहीं रोका गया तो मुस्लिम पक्ष सर्वेक्षण का फिर से बहिष्कार कर सकता है।
यासीन ने आरोप लगाया कि शनिवार को सर्वे के दौरान मीडिया के एक वर्ग ने अफवाह फैलाई कि मस्जिद के अंदर तहखाने में मूर्तियां, त्रिशूल और कलश मिले हैं, जिससे मुस्लिम समाज आहत है। उन्होंन कहा कि अगर इस तरह की हरकतों पर लगाम नहीं लगी, तो मुस्लिम पक्ष एक बार फिर सर्वे का बहिष्कार कर सकता है।
जीपीआर का हो रहा प्रयोग
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण में इस्तेमाल की जा रही ‘जीपीआर’ प्रौद्योगिकी बिना तोड़फोड के यह पता लगाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि मस्जिद के नीचे कोई संरचना दबी हुई है या नहीं। जमीन के अंदर की तस्वीर लेने वाली रडार प्रौद्योगिकी ‘जीपीआर’ की मदद से सर्वेक्षण किया जा रहा है। ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण यह तय करने के लिए किया जा रहा है कि 17वीं शताब्दी में बनी इस मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर के ढांचे के ऊपर तो नहीं किया गया है।
एएसआई के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक बी.आर. मणि ने कहा कि जीपीआर प्रौद्योगिकी में कुछ विशेष प्रकार के उपकरण शामिल होते हैं। मणि ने कहा, ‘‘इन उपकरणों को जमीन पर रखा जाता है और विद्युत चुम्बकीय तरंगों को जमीन के नीचे उप-सतह स्तर पर भेजा जाता है। ये तरंगें ईंट, रेत, पत्थर और धातुओं जैसी किसी भी चीज के संपर्क में आती हैं और इसे एक ‘मॉनिटर’ पर रिकॉर्ड किया जाता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘विशेषज्ञ इसका अध्ययन करके पता लगाते हैं कि जमीन के नीचे कुछ ठोस वस्तु मौजूद है या नहीं।’’ मणि ने कहा, ‘‘ज्ञानवापी परिसर में जीपीआर सर्वेक्षण से यह साबित हो जाएगा कि मस्जिद के नीचे कोई ढांचा दबा हुआ है या नहीं और अगर है तो वह किस तरह का ढांचा है।’’ उन्होंने कहा कि ‘जीपीआर’ प्रौद्योगिकी बिना तोड़फोड के जमीन के नीचे का सर्वेक्षण करने के लिए सबसे अच्छी प्रौद्योगिकी है और इसका उपयोग विशेषज्ञ की देखरेख में ही किया जाना चाहिए।
मणि ने कहा कि एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण में उप-सतह या दबी हुई वस्तुओं या संरचनाओं को समझने के लिए मैग्नेटोमीटर, रेडियोमीटर, फ्लक्सगेट सेंसर और रिमोट सेंसिंग जैसे विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय से हरी झंडी मिलने के बाद एएसआई की एक टीम कड़ी सुरक्षा के बीच शुक्रवार सुबह ज्ञानवापी परिसर में दाखिल हुई थी और सर्वेक्षण कार्य शुरू किया था। शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने भी सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हालांकि, प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एएसआई को सर्वेक्षण के दौरान परिसर में किसी भी तरह की तोड़फोड़ की कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया था।
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