माँ बेटी की हत्या का कलंक ढ़ो रहे पीड़ित को ग्वालियर हाईकोर्ट ने माना निर्दोष,2 लाख के मुआवजे और आरोपियों पर कार्यवाही का दिया आदेश
17 वर्ष पहले हुए दोहरी हत्या के मामले में आरोपी को बाईज्जत बरी करते हुए साजिश करने वाले पुलिस अधिकारी और असली आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
भोपाल। मध्य प्रदेश की ग्वालियर हाइकोर्ट खंडपीठ ने दतिया जिले के तैढौत गांव में 17 वर्ष पहले हुए दोहरी हत्या के मामले में आरोपी को बाईज्जत बरी करते हुए साजिश करने वाले पुलिस अधिकारी और असली आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने पीड़ित को 2 लाख का मुआवजा देने के निर्देश भी दिए हैं।
इसे भी पढ़ें:बढ़ती महंगाई को लेकर कमलनाथ ने बीजेपी सरकार पर साधा निशाना, कहा- अबकी बार जीडीपी बढ़ाने वाली सरकार
मामला दतिया जिले के गोदन थाना के तेढौत गांव का है जहां जमीनी विवाद में पड़ोसियों ने पहलवान सिंह को अपनी सगी मां और पुत्री के कत्ल में झूठा फंसा दिया था। जिसके बाद से वह जेल में था तथा अपनी माँ और बेटी की हत्या का कलंक ढो रहा था। मामले में असली आरोपियों ने अपनी पहुँच का फायदा उठाकर फरियादी को ही आरोपी सिद्ध करवा दिया था। पुलिस अधिकारी से सेटिंग करके उन्होंने निचली अदालत से आजीवन कारावास की सजा भी करवा दी थी। जिसके खिलाफ पहलवान सिंह ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। आज 17 साल उसे न्याय मिला है।
दोहरे कत्ल में फरियादी को ही आरोपी बनाकर पुलिस की मिलीभगत से आजीवन कारावास की सजा दिलवाने के मामले में हाईकोर्ट ने 17 साल बाद फैसला सुनाया है। कोर्ट ने निर्दोष ठहराए गए पहलवान सिंह को क्षतिपूर्ति के रूप में दो लाख रुपये एक महीने के भीतर सरकार को देने के निर्देश दिए गए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार चाहे तो इस रकम को दोषपूर्ण विवेचना करने वाले पुलिस अधिकारी एसडी नायर से भी वसूल सकती है।
इसे भी पढ़ें:मध्य प्रदेश में हो रही है लगातार अघोषित बिजली कटौती, जानिए क्या है कारण
यह है पूरा मामला
दतिया जिले के गोदन थाना क्षेत्र के तैढौत गांव निवासी पहलवान सिंह की मां ब्रज रानी और बेटी चांदनी की 28 अक्टूबर 2000 को हत्या कर दी गई थी। मकान पर कब्जे के विवाद में पड़ोसियों में संघर्ष हुआ था। मामले में पहलवान सिंह के भाई अतर सिंह की शिकायत पर आरोपी बट्टू और शोभाराम के खिलाफ एफआईआर लिखाई गई थी, लेकिन आरोपियों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए मामले में जांच कमेटी बनवा ली जिसका जिम्मा भोपाल पुलिस मुख्यालय के उप निरीक्षक विशेष कार्य दल एसडी नायर को मिला। आरोपियों ने नायर से मिलीभगत करके पहलवान सिंह को ही उसकी मां और बेटी के कत्ल में आरोपी बनवा दिया और सेशन कोर्ट से 2004 में पहलवान सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
इसे भी पढ़ें:बढ़ती बेरोजगारी ने फिर किया एक परिवार को बर्बाद,बेरोजगार युवक ने रौंदा अपना ही गला
पहलवान सिंह ने सेशन कोर्ट की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी जिसपर आज कोर्ट ने उसे निर्दोष माना। कोर्ट ने आरोपी बट्टू और शोभाराम के खिलाफ दोहरे कत्ल की शिकायत पर कार्रवाई के लिए पुलिस विभाग को पत्र लिखा गया है। दोषपूर्ण विवेचना करने वाले सब इंस्पेक्टर एसडी नायर के खिलाफ विभागीय जांच की रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के भी आदेश दिए गए हैं।
अन्य न्यूज़