वकीलों की मांग पर सरकार खुले दिमाग से गौर करेगी: रविशंकर प्रसाद

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[email protected] । Feb 12 2019 3:01PM

विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान कहा कि सरकार वकीलों की मांगों पर खुले दिमाग से विचार करेगी।

नयी दिल्ली। अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए बजटीय आवंटन बढ़ाने, उनके चैंबर संबंधी सुविधाओं और आवास आदि की मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे वकीलों की मांगों पर सरकार ने मंगलवार को खुले दिमाग से विचार करने का आश्वासन दिया। विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान कहा कि सरकार वकीलों की मांगों पर खुले दिमाग से विचार करेगी।

उन्होंने वकीलों के पेशे के प्रति पूरी तरह सम्मान जाहिर करते हुए कहा कि हड़ताल कर रहे कुछ वकीलों ने उनसे कल और कुछ ने आज मुलाकात की और अपनी समस्याओं के बारे में बताया। प्रसाद ने कहा कि सरकार उनकी मांगों पर खुले दिमाग से विचार करेगी। शून्यकाल में यह मुद्दा तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय ने उठाया। उन्होंने कहा कि देश भर में करीब 15 लाख वकील अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं। इन मांगों में अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए बजटीय आवंटन बढ़ाने, चैंबर संबंधी सुविधाओं, बीमा और आवास आदि शामिल हैं।

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मंत्री के आश्वासन के बाद सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि खुले दिमाग के साथ साथ सकारात्मक सोच रखते हुए मांगों पर विचार किया जाना चाहिए। इस पर प्रसाद ने कहा कि खुले दिमाग में सकारात्मक सोच शामिल है। मनेानीत सदस्य राकेश सिन्हा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त कुछ शिक्षकों को पेन्शन न मिलने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में करीब 30 साल तक सेवाएं देने के बाद सेवानिवृत्त हुए करीब 600 शिक्षकों को पेन्शन नहीं मिल रही है। इनमें से छह का निधन हो चुका है। कुछ शिक्षक तो 10 साल से पेंशन का इंतजार कर रहे हैं। 

उन्होंने मांग की कि इन सेवानिवृत्त शिक्षकों की पेंशन शीघ्र तय करने के लिए कदम उठाया जाना चाहिए। शिवसेना के संजय राउत ने कोल इंडिया द्वारा संचालित दो कोलियरी स्कूलों के शिक्षकों को न्यूनतम एवं नियमित वेतन न मिल पाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि यह मांग उठाने वाले कुछ शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है। राउत ने मांग की कि निलंबित शिक्षकों को बहाल किया जाए और सभी शिक्षकों को समय पर बकाया वेतन का भुगतान कर दिया जाए। द्रमुक के तिरूचि शिवा ने पटाखों से जुड़ा मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि हरित पटाखों का इस्तेमाल करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद सामान्य पटाखों पर प्रतिबंध की वजह से तमिलनाडु में कई पटाखा कंपनियों के बंद हो जाने के कारण करीब आठ लाख कामगार बेरोजगार हो गए हैं।

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शिवा ने मांग की कि इस स्थिति को देखते हुए सरकार को पर्यावरण सुरक्षा कानूनों से पटाखा इकाइयों को छूट देना चाहिए। माकपा के इलामारम करीब ने श्रमजीवी पत्रकारों के लिए वेजबेर्ड के गठन तथा इसके दायरे में श्रव्य मीडिया कर्मियों को भी लाए जाने की मांग की। भाजपा के हरनाथ सिंह यादव ने भी पत्रकारों से जुड़ा मुद्दा उठाते हुए कहा कि तमाम चुनौतियों के बीच काम करने वाले पत्रकार वर्ग के लिए सेवा सुरक्षा नियमावली बनाई जाए और उन्हें सरकारी कर्मियों की तरह ही वेतन एवं भत्ते दिए जाएं।

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