एक देश-एक चुनाव पर सामने आया सरकार का प्लान, संसद में बिल पेश करने की तैयारी, जानें आगे क्या होगा?
सूत्रों ने बताया कि गहन विचार-विमर्श सुनिश्चित करने और व्यापक आधार पर आम सहमति बनाने के लिए, सरकार विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने की योजना बना रही है।
सरकार संभवत संसद के चालू सत्र या अगले सत्र में 'एक देश, एक चुनाव' विधेयक पेश करने की तैयारी कर रही है। सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने के उद्देश्य से लाए गए विधेयक को पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अगुवाई वाली समिति की सिफारिशों के आधार पर कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है, जो प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का संकेत है।
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सूत्रों ने बताया कि गहन विचार-विमर्श सुनिश्चित करने और व्यापक आधार पर आम सहमति बनाने के लिए, सरकार विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने की योजना बना रही है। जेपीसी इस परिवर्तनकारी प्रस्ताव पर सामूहिक सहमति की आवश्यकता पर बल देते हुए सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत चर्चा करेगी। सरकार का इरादा चर्चा में विभिन्न हितधारकों को शामिल करने का भी है। सूत्रों ने आगे कहा कि सभी राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों को बुद्धिजीवियों, विशेषज्ञों और नागरिक समाज के सदस्यों के साथ अपने विचार साझा करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
इससे पहले बताया गया था कि देश में एक साथ चुनाव कराने की अपनी योजना को अमल में लाने के लिए सरकार द्वारा तीन विधेयक लाए जाने की संभावना है, जिनमें दो संविधान संशोधन से संबंधित होंगे। प्रस्तावित संविधान संशोधन विधेयकों में से एक, स्थानीय निकाय चुनावों को लोकसभा और विधानसभाओं के साथ कराये जाने से संबंधित है। इसके लिए कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों के अनुसमर्थन की आवश्यकता होगी। अपनी एक देश, एक चुनाव योजना के साथ आगे बढ़ते हुए, सरकार ने इस महीने की शुरुआत में देशव्यापी सहमति बनाने की कवायद के बाद चरणबद्ध तरीके से लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने की उच्च-स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया।
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प्रस्तावित पहला संविधान संशोधन विधेयक, लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का प्रावधान करने से संबंधित होगा। सूत्रों ने उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों का हवाला देते हुए कहा कि प्रस्तावित विधेयक में नियत तिथि से संबंधित उप-खंड (1) जोड़कर अनुच्छेद 82ए में संशोधन करने का प्रयास किया जाएगा। इसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को एक साथ समाप्त करने से संबंधित अनुच्छेद 82ए में उप-खंड (2) शामिल किया जाएगा। इसमें अनुच्छेद 83(2) में संशोधन करने और लोकसभा का कार्यकाल और इसे भंग किये जाने से संबंधित नए उप-खंड (3) और (4) सम्मिलित करने का भी प्रस्ताव है।
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