कोविड महामारी के बाद वैश्विक पुनर्निर्माण टिकाऊ समाज बनाने का अनूठा अवसर: रामफोसा

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उन्होंने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण को नुकसान, उत्पादन तथा संसाधनों की कमी ऐसी चुनौतियां हैं जिनका समाधान केवल सामूहिक रूप से और एकजुटता के साथ किया जा सकता है।’’ रामफोसा ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका सतत विकास के लिए कहीं अधिक और विस्तारित वैश्विक साझेदारी का आह्वान करता है और यह विकास के लिए वित्तपोषण पर ‘अदीस अबाबा एक्शन एजेंडा’ में उल्लिखित ठोस नीतियों और कार्यों द्वारा समर्थित होना चाहिए।

अफ्रीकी संघ के शनिवार को जी20 का स्थायी सदस्य बनने पर, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने कम कार्बन उत्सर्जन, जलवायु परिवर्तन से निपटने और टिकाऊ समाज बनाने की ओर बढ़ने में तेजी लाने का आह्वान किया। रामफोसा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में यह भी कहा कि दक्षिण अफ्रीका विकास के लिए वित्तपोषण पर ‘अदीस अबाबा एक्शन एजेंडा’ (एएएए) में उल्लिखित सुझावों द्वारा समर्थित सतत विकास के लिए वैश्विक साझेदारी बढ़ाने और इसे विस्तारित करने का आह्वान करता है। उन्होंने अफ्रीकी संघ के जी20 का सदस्य बनने पर प्रसन्नता जतायी।

‘एक्स’ पर रामफोसा के पोस्ट पर, अपनी प्रतिक्रिया में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, अफ्रीकी संघ द्वारा जी20 परिवार को मजबूत करने के साथ, हम ऐसी साझेदारियों को मजबूत करेंगे जो सर्वांगीण विकास को प्राथमिकता देंगी, जिससे हमारी धरती बेहतर बनेगी। भारत की जी20 अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए 55 सदस्यीय अफ्रीकी संघ शनिवार को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समूह का नया स्थायी सदस्य बन गया। वर्ष 1999 में जी20 के गठन के बाद से यह इस प्रभावशाली समूह का पहला विस्तार है। जी20 के सभी सदस्य देशों ने ‘ग्लोबल साउथ’ के प्रमुख समूह को दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी में लाने के प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।

‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल अक्सर विकासशील और अल्प विकसित देशों के लिए किया जाता है, जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में स्थित हैं। रामफोसा ने ‘एक्स’ पर किये गये अपने पोस्ट में कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी के मद्देनजर वैश्विक पुनर्निर्माण, कम कार्बन उत्सर्जन, जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ समाज बनाने की ओर बढ़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। इस संकट के लिए सबसे कम जिम्मेदार होने के बावजूद विकासशील देश जलवायु परिवर्तन का खामियाजा भुगत रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि अफ्रीकी और अन्य विकासशील देश के रूप में, हम गरीबी, असमानता और बेरोजगारी जैसी महत्वपूर्ण विकासात्मक चुनौतियों के बीच अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के दबाव का सामना कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण को नुकसान, उत्पादन तथा संसाधनों की कमी ऐसी चुनौतियां हैं जिनका समाधान केवल सामूहिक रूप से और एकजुटता के साथ किया जा सकता है।’’ रामफोसा ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका सतत विकास के लिए कहीं अधिक और विस्तारित वैश्विक साझेदारी का आह्वान करता है और यह विकास के लिए वित्तपोषण पर ‘अदीस अबाबा एक्शन एजेंडा’ में उल्लिखित ठोस नीतियों और कार्यों द्वारा समर्थित होना चाहिए।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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