Kashmir में पारंपरिक Namda Artwork को पुनर्जीवित करने के लिए हस्तशिल्प विभाग की अनोखी पहल

Kashmir Namda Artwork
Prabhasakshi

कश्मीर में पारंपरिक हस्तनिर्मित नमदा कला को पुनर्जीवित करने और उसे बढ़ावा देने के लिए लड़कियों को मुफ्त प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सदियों पुरानी यह कश्मीरी कला, विशेषकर घाटी के कारीगरों द्वारा तैयार हाथ से बने उत्पाद अपनी बेहतर गुणवत्ता के कारण अलग महत्व रखते हैं।

कश्मीर में पारम्परिक कलाओं को पुनर्जीवित करने का काम तेजी से चल रहा है। इसके लिए हस्तशिल्प एवं हथकरघा विभाग की ओर से पूरे केंद्र शासित प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर प्रशिक्षण शिविर चलाये जा रहे हैं। इन प्रशिक्षण शिविरों में महिलाओं को कश्मीरी हस्तकला के संबंध में प्रशिक्षण तो दिया ही जाता है साथ ही उन्हें कुछ भत्ते भी प्रदान किये जाते हैं ताकि वह आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें। इन प्रशिक्षण शिविरों में प्रशिक्षण प्राप्त कर महिलाएं आत्मनिर्भर भी बन रही हैं क्योंकि हुनर सीखने के बाद उन्हें काम भी आसानी से मिल जाता है।

हम आपको बता दें कि कश्मीर में पारंपरिक हस्तनिर्मित नमदा कला को पुनर्जीवित करने और उसे बढ़ावा देने के लिए लड़कियों को मुफ्त प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सदियों पुरानी यह कश्मीरी कला, विशेषकर घाटी के कारीगरों द्वारा तैयार हाथ से बने उत्पाद अपनी बेहतर गुणवत्ता के कारण अलग महत्व रखते हैं। लेकिन आज के दौर में मशीन से बने उत्पादों के कारण कश्मीर के सदियों पुराने पारंपरिक गलीचे, विशेष रूप से "नामदा" बुरी तरह प्रभावित हुए। इसीलिए पिछले कुछ वर्षों से हस्तशिल्प और हथकरघा विभाग पारंपरिक नमदा कार्य सहित कश्मीर कला को पुनर्जीवित और बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहा है। 

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हम आपको बता दें कि नमदा ऊन से बना पूरी तरह से हस्तनिर्मित उत्पाद है और सर्दियों में गर्माहट बनाये रखने में दूसरा कोई कपड़ा इसे मात नहीं दे सकता। खासतौर पर नमदा से बने कपड़े साज-सज्जा के लिए अच्छे माने जाते हैं। इसीलिए हस्तशिल्प एवं हथकरघा विभाग के पेशेवर प्रशिक्षकों की देखरेख में कई लड़कियाँ गलीचे बनाने की इस पारम्परिक कला के बारे में निःशुल्क प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। वर्तमान में रैनावाड़ी श्रीनगर सहित घाटी के विभिन्न स्थानों पर कई प्रशिक्षण केंद्र चल रहे हैं जहां लड़कियां नमदा बनाना सीख रही हैं। हम आपको बता दें कि इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों की मदद से लड़कियों को काफी मजबूती मिल रही है जिसके परिणामस्वरूप वे मांग कर रही हैं कि इस तरह के प्रशिक्षण को घाटी के सभी जिलों में जारी रखा जाना चाहिए।

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