मोदी सरकार की सौ दिन की उपलब्धियां भी कम नहीं

Narendra Modi
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मोदी सरकार का दावा है कि उसने अपने तीसरे कार्यकाल के पहले सौ दिनों में मध्यम वर्ग को भी बहुत राहत दी है। अब सात लाख तक की आय पर टैक्स नहीं लेने का फैसला किया गया है। वहीं मानक कर कटौती की सीमा 75 हजार कर दी गई है।

संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी सरकार के लिए सौ दिनों का समय बहुत ज्यादा नहीं होता। हां, अगर शपथ ग्रहण से पहले भी उसी दल और नेतृत्व की सरकार हो तो सौ दिन के कार्यकाल में बहुत कुछ किया जा सकता है। इन अर्थों में देखें तो मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के खाते में कई उपलब्धियों का बोलबाला है। मोदी सरकार ने अपनी उपलब्धियों का खुद भी एक लेखा-जोखा पेश किया है। जिसमें सामाजिक, आर्थिक और कूटनीतिक तीनों तरह की कामयाबी शामिल है। 

प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल के नवंबर महीने में विकसित भारत संकल्प यात्रा को संबोधित करते हुए चार जातियों का उल्लेख किया था। उनकी नजर में अब चार जातियां हैं, गरीब, युवा, महिला और किसान हैं, जिन पर उनका पूरा ध्यान है। कहना न होगा कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में इन चारों जातियों को लेकर तमाम योजनाएं बनाई और शुरू की गई हैं। वहीं बुनियादी ढांचा के विकास, पिछड़ी जातियों, दलितों, आदिवासियों को लेकर भी कई योजनाएं मंजूर की गई हैं। मोदी सरकार ने अपने पहले सौ दिन के कार्यकाल में कानून व्यवस्था को सुधारने, भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति को आगे बढ़ाने के साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के मोर्चे पर कई कदम उठाए हैं।

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जहां तक बुनियादी ढांचे के विकास की बात है तो मोदी सरकार ने अपने पहले सौ दिन के कार्यकाल में सड़क विकास, रेल मार्ग, हवाई सेवा और बंदरगाह के विकास को लेकर तीन लाख करोड़ की योजनाओं को स्वीकृति दी है। इस दौरान आठ हाई स्पीड कारीडोर बनाने की मंजूरी दी गई है। जाहिर है कि अगर ये योजनाएं जमीनी हकीकत बनीं तो जहां लाखों नए रोजगार का सृजन होगा, वहीं कारोबार को नई गति मिलेगी और किसानों को उनकी उपज के बाजार तक सीधी और तीव्र पहुंच मिलने का योग बनेगा। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में ही देशभर के पात्र किसानों को किसान सम्मान निधि की उन्नीसवी किश्त जारी की गई, जिसके तहत नौ लाख तीस हजार किसानों के खाते में बीस हजार करोड़ की रकम सीधे पहुंचाई गई है। मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल के पहले सौ दिनों में पर्यावरण केंद्रित ऊर्जा संरक्षण और उत्पादन की दिशा में भी बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत देश के पूर्वोत्तर इलाके में 41 सौ करोड़ की लागत से पनबिजली, सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा की योजनाएं मंजूर की हैं। इसके साथ ही राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन भी चालू किया गया है।

मोदी सरकार का दावा है कि उसने अपने तीसरे कार्यकाल के पहले सौ दिनों में मध्यम वर्ग को भी बहुत राहत दी है। अब सात लाख तक की आय पर टैक्स नहीं लेने का फैसला किया गया है। वहीं मानक कर कटौती की सीमा 75 हजार कर दी गई है। जबकि पारिवारिक पेंशन की छूट का दायरा 25 हजार किया गया है। हालांकि इसका फायदा अगले वित्त वर्ष से ही मिल सकेगा। वैसे यहां एक बात और ध्यान रखने की है कि मध्य वर्ग ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में कर छूट में और वृद्धि की उम्मीद लगाए बैठा था। मानसून के दौरान भारी बारिश के चलते खाद्यान्न और सब्जियों की महंगाई ने मध्यम वर्ग पर नया बोझ भी बढ़ाया है। जिसकी तरफ अभी सरकारी तंत्र का ध्यान नजर नहीं आ रहा। 

मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल में ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ यानी कारोबार को सहज एवं आसान बनाने की दिशा में भी बड़ी पहल की है। देश में विदेशी निवेश बढ़ सके, इस दिशा में सरकार ने विदेशी कंपनियों के लिए कारपोरेट टैक्स को चालीस प्रतिशत से घटाकर 35 प्रतिशत कर दिया है। इसके साथ ही अंतरिक्ष क्षेत्र में स्टार्टअप के लिए एक हजार करोड़ के वेंचर कैपिटल फंड का प्रावधान भी किया गया है। मोदी सरकार ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास की ओर भी ध्यान दिया है। इसके तहत 23 अगस्त को पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाना शुरू किया गया है। इसी दिन पिछले साल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भारत का मिशन सफल हुआ था। इसके साथ ही गुजरात के साणंद में सेमीकंडक्टर इकाई लगाई गई है। 

मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल के पहले सौ दिन में महिलाओं के लिए जहां दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत दस करोड़ महिलाओं को संगठित करके 90 लाख स्वयंसहायता समूह बनाने का लक्ष्य पूरा किया है, वहीं 11 लाख नई लखपति दीदियों प्रमाण पत्र दिया है। मोदी सरकार ने इस अवधि में आदिवासियों की सामाजिक स्थिति में सुधार को लेकर भी कदम उठाए हैं। आदिवासी समुदाय के लिए जारी नमस्ते योजना का विस्तार किया गया है। वहीं साठ साल से अधिक उम्र वाले दिव्यांग लोगों को एक लाख 17 हजार नए दिव्यांग कार्ड दिए गए हैं। 

भारत युवाओं का देश है। उनमें बेरोजगारी भी है। इसे ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने अपने इस कार्यकाल में दो लाख करोड़ के प्रधानमंत्री पैकेज का ऐलान किया है, जिसका इस्तेमाल रोजगार को बढ़ावा देने के साथ ही कौशल विकास में किया जा रहा है। इसके साथ ही एक करोड़ युवाओं को देश की प्रमुख कंपनियों में एक साल के लिए इंटर्नशिप का अवसर भी दिया जा रहा है। युवाओं और खिलाड़ियों को ध्यान में रखते हुए ‘खेलो इंडिया’ के तहत नई योजना शुरू की गई है। इसके साथ ही कर्मचारी प्रोविडेंड फंड संगठन की व्यवस्था में भी सुधार किया गया है।

भारत इतना विशाल है कि कहीं सूखा तो कहीं बाढ़ तो कहीं भूस्खलन तो कहीं भूकंप तो कहीं तूफान आदि आपदाएं आती रहती हैं। इस दिशा में काम करते हुए मोदी सरकार ने 2005 के आपदा प्रबंधन संशोधन अधिनियम में सुधार का प्रस्ताव रखा है। इसी तरह वक्फ संशोधन विधेयक संसद में पेश किया जा चुका है, जिस पर संसद की संयुक्त समिति विचार कर रही है। मोदी सरकार ने स्वास्थ्य सेवा को सुलभ और सहज बनाने की दिशा में भी इस अवधि में काम किया है। जिसके तहत साढ़े चार करोड़ परिवारों को छह करोड़ उन नागरिकों को आयुष्मान भारत योजना के दायरे में लाया गया है, जिनकी आयु सत्तर वर्ष से ज्यादा हो चुकी है। इसके साथ ही मेडिकल की पढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए 75 हजार सीटें बढ़ाई गई हैं।

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में उत्तर पूर्व के आतंकी संगठनों एनएलएफटी और एटीटीएफ के साथ शांति समझौता किया है। साइबर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पांच साल में पांच हजार साइबर सुरक्षा कमांडो तैनात करने का भी फैसला लिया गया है। हालांकि सुरक्षा के मोर्चे पर मोदी सरकार के लिए मणिपुर अब भी चिंता की वजह बना हुआ है, जहां अभी तक शांति नहीं ला जा सकी है। रह-रहकर वहां हिंसा भड़क रही है। कानून व्यवस्था को सुधारने की दिशा में अंग्रेजों के जमाने के कानूनों को बदलकर भारतीय न्याय संहिता समेत तीन कानून देशभर में एक साथ एक जुलाई से लागू किए जा चुके हैं। तीसरे कार्यकाल के सौ दिनों की अवधि में विदेश नीति के मोर्चे पर भारत सरकार ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। इसी दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जहां यूक्रेन और रूस –दोनों ही देशों की यात्रा की, वहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने फिजी व तिमोर का दौरा किया। फिजी अब अपनी आर्थिक जरूरतों के लिए भारत की तरफ देख रहा है। मोदी ने खनिज तेल से समृद्ध देश ब्रुनई का दौरा किया, जिसे भारत की ऊर्जा जरूरतों के संदर्भ में बेहतर कूटनीतिक कदम माना गया है। 

- उमेश चतुर्वेदी

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विचारक

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