गैंगस्टर अश्विन नाइक 2015 के रंगदारी मामले में बरी होने के बाद जेल से रिहा
गैंगस्टर से बिल्डर बने अश्विन नाइक और उसके दो सहयोगियों को बुधवार को नवी मुंबई की तलोजा जेल से रिहा कर दिया गया। इससे एक दिन पहले, एक सत्र अदालत ने उसे और कुछ अन्य को 2015 के रंगदारी के मामले में बरी कर दिया था।
मुंबई। गैंगस्टर से बिल्डर बने अश्विन नाइक और उसके दो सहयोगियों को बुधवार को नवी मुंबई की तलोजा जेल से रिहा कर दिया गया। इससे एक दिन पहले, एक सत्र अदालत ने उसे और कुछ अन्य को 2015 के रंगदारी के मामले में बरी कर दिया था। अधिकारी ने बताया कि 58 वर्षीय नाइक को व्हिलचेयर पर तलोजा जेल के गेट पर दोपहर करीब एक बजे लाया गया औरवहां से उसे एक निजी कार में ले जाया गया। उन्होंने कहा कि कार के साथ तीन से अधिक वाहन थे। उसे दादर पुलिस ने 2015 में मुंबई में उस समय गिरफ्तार किया था, जब वह एक बिल्डर से कथित तौर पर 50 लाख रुपये की रंगदारी वसूल रहा था।
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बाद में उसके खिलाफ सख्त महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) और शस्त्र अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। यहां की सत्र अदालत ने मंगलवार को गैंगस्टर अमर नाइक के भाई अश्विन नाइक और उसके सात सहयोगियों को मामले में सभी आरोपों से बरी कर दिया। अप्रैल 1994 में प्रतिद्वंद्वी गिरोह के सदस्यों ने उसे गोली मार दी थी जिसके बाद से अश्विन नाइक के शरीर का बायां हिस्सा लकवाग्रस्त है। उसने इंजीनियरिंग में स्नातक किया है। वह जब दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद था तो उसने अपनी पत्नी नीता की हत्या करने की कथित रूप से साजिश रची थी।
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उसकी पत्नी की 13 नवंबर 2000 को चिंचपोकली में उसके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, लेकिन पुणे की एक अदालत ने उसे 2009 में इस मामले में बरी कर दिया था। वह देश भर में रंगदारी, नशीले पदार्थों और हत्याओं से संबंधित एक दर्जन से अधिक मामलों में कई साल जेल में बिता चुका है। अधिकारियों ने पहले बताया था कि उसे पहली बार पश्चिम बंगाल पुलिस ने एक अगस्त 1999 को गिरफ्तार किया था, जब वह भारत-बांग्लादेश सीमा पार करने की कोशिश कर रहा था। गैंगस्टर मुंबई की जेलों के अलावा पुणे की यरवदा सेंट्रल जेल और दिल्ली की तिहाड़ जेल में भी रह चुका है। उसके बड़े भाई अमर नाइक को 1990 के दशक में पुलिस ने एक मुठभेड़ में मार गिराया गया था।
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