नागरिकों की स्वतंत्रता के मामलों में हर एक दिन मायने रखता है : Supreme Court

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उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय को दिल्ली आबकारी नीति से संबंधित कथित भ्रष्टाचार के एक मामले में एक व्यवसायी की नियमित जमानत याचिका पर फैसला करने का निर्देश देते हुए शुक्रवार को कहा कि नागरिकों की स्वतंत्रता से संबंधित मामलों में हर एक दिन मायने रखता है। दिल्ली आबकारी नीति अब रद्द की जा चुकी है।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय को दिल्ली आबकारी नीति से संबंधित कथित भ्रष्टाचार के एक मामले में एक व्यवसायी की नियमित जमानत याचिका पर फैसला करने का निर्देश देते हुए शुक्रवार को कहा कि नागरिकों की स्वतंत्रता से संबंधित मामलों में हर एक दिन मायने रखता है। दिल्ली आबकारी नीति अब रद्द की जा चुकी है। व्यवसायी अमनदीप सिंह ढल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ को बताया कि याचिकाकर्ता की नियमित जमानत याचिका पर उच्च न्यायालय ने 40 बार सुनवाई की है और अब मामले को आठ जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। 

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा नहीं हो सकता कि 40 बार सुनवाई के बाद भी आप नियमित जमानत याचिका पर फैसला नहीं करें।’’ पीठ ने कहा कि उसे सूचित किया गया है कि याचिकाकर्ता ने नियमित जमानत याचिका पिछले साल जुलाई में दायर की थी। उसने कहा, ‘‘नागरिकों की स्वतंत्रता के मामले में हर एक दिन मायने रखता है। नियमित जमानत के मामले को लगभग 11 महीने तक लंबित रखना याचिकाकर्ता को उसकी स्वतंत्रता से वंचित करता है।’’ पीठ ने कहा, ‘‘हम उच्च न्यायालय से ग्रीष्मकालीन अवकाश शुरू होने से पहले जमानत याचिका पर फैसला करने का अनुरोध करते हैं।’’ 

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उच्च न्यायालय में ग्रीष्मकालीन अवकाश तीन जून से शुरू होगा और 31 मई अंतिम कार्य दिवस होगा। ढल आबकारी नीति से जुड़े अलग-अलग मामलों में आरोपी हैं। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इन मामलों की जांच कर रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय का धनशोधन का मामला सीबीआई द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी पर आधारित है। इससे पहले, एक अधीनस्थ अदालत ने सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के एक मामले में ढल की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी थी। सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति में संशोधन के दौरान अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नीति लागू की थी और भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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