महामारी से जूझ रहे डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी योद्धा हैं, इनकी सुरक्षा करनी होगी: सुप्रीम कोर्ट
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट की पीठ को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस मामले की सुनवाई के दौरान सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि कोविड-19 महामारी से निबटने के वास्ते डॉक्टरों तथा अन्य स्वास्थकर्मियों के लिये व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) और अन्य जरूरी चीजों की व्यवस्था की जा रही है तथा इस संबंध में सभी कदम उठाये जा रहे हैं।
कोर्ट में दायर इन जनहित याचिकाओं में डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) मुहैया कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने स्पष्ट किया कि वह इन याचिकाओं में किये गये अनुरोधों का विरोध नहीं कर रहे हैं। उन्होंने पीठ से कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ जंग लड़ रहे चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ और दूसरे स्वास्थ्यकर्मी ‘कोरोना योद्धा’ हैं और सरकार उनकी तथा उनके परिवार के सदस्यों की सुरक्षा और संरक्षा सुनिश्चित कर रही है। मेहता ने अस्पतालों के चिकित्सकों और स्टाफ के सदस्यों के वेतन के बारे में आ रही खबरों का खंडन किया और कहा कि केन्द्र सभी राज्यों को पत्र लिख रहा है कि पीपीई और मास्क की खरीद के लिये किसी के भी वेतन मे कटौती नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने पीठ से कहा, ‘‘अगर कोई ऐसा (वेतन कटौती) कर रहा है, तो हम पुलिस भेजेंगे। सरकार और पुलिस इस काम में जुटे चिकित्सकों और अन्य स्वास्थकर्मियों की सुरक्षा के लिये एक कदम आगे बढ़कर काम करेगी।’’ उन्होंने कहा कि परिवार के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये इन डॉक्टरों को होटलों में ठहरा रही है। याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘आप जिला स्तर पर इस तरह की व्यवस्था क्यों नहीं करते जिसमें स्थानीय लोगों के सुझाव प्राप्त करने के लिये नोडल अधिकारी नियुक्त हों।’’Solicitor General (SG), Tushar Mehta representing the Union of India, told the SC today that the Government is doing its best in this front. He said - Doctors are corona warriors. They have to be protected too. He added that many of them are being housed in hotels. #Coronavirus pic.twitter.com/Q7QHBMYd6m
— ANI (@ANI) April 8, 2020
इस सवाल के जवाब में मेहता ने कहा कि उनका एक केन्द्रीय नियंत्रण कक्ष है जिसमें स्वास्थ्य, गृह और आयुष मंत्रालयों के अधिकारी हैं। उन्होंने कहा कि राज्य स्तर पर भी इसी तरह के नियंत्रण कक्ष हैं और वे इस समस्या के बारे में सुझावों और शिकायतों के संबंध में आने वाले फोन सुनते हैं। पीठ ने कहा, ‘‘वे (चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी) योद्धा हैं। इनकी सुरक्षा की जानी चाहिए। आपको यह भी सोचना होगा कि उत्पादन कैसे शुरू हो। सेवा क्षेत्र इस समय घर से काम कर रहा है। उनकी सेहत और मानसिक स्वास्थ्य भी महत्वपूर्ण है। एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा कि वह सालिसीटर जनरल के रूख की सराहना करते है लेकिन इलाज करने वाले डॉक्टरों में भय व्याप्त है और अगर ये आगे नहीं आयेंगे तो सारी व्यवस्था चौपट हो जायेगी। रोहतगी ने कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि वाले मरीजों के अस्पतालों से भागने संबंधी खबरों की ओर भी पीठ का ध्यान आकर्षित किया। इस पर मेहता ने कहा कि सभी अस्पतालों के बाहर पुलिस का पहरा लगाया गया है ताकि वे लोग, जिन्हें दूसरों के साथ मिलना-जुलना नहीं चाहिए, अस्पताल से बाहर नहीं निकलें।
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