अधीर रंजन चौधरी को माकपा समर्थक बना चुके हैं बंधक, चुनाव हारने के बावजूद मिली थी सहानुभूति
अधीर रंजन चौधरी का जन्म 2 अप्रैल, 1956 को मुर्शिदाबाद जिले के बेरहामपुर में निरंजन चौधरी के घर पर हुआ। अधीर रंजन चौधरी ने राजीव गांधी के जमाने में कांग्रेस में शामिल हुए थे। साल 1991 में अधीर रंजन चौधरी ने पहली बार नाबाग्राम से कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था। इस दौरान उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
नयी दिल्ली। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को गांधी परिवार का खास माना जाता है और पार्टी ने उनकी रणनीति के आधार पर ही पश्चिम बंगाल का लोकसभा चुनाव लड़ा था, जहां पर उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव के बाद और संसद का सत्र शुरू होने के बाद चर्चा छिड़ गई कि कांग्रेस लोकसभा में अपना नेता बदल सकती है। ऐसे में मनीष तिवारी, शशि थरूर जैसे नेताओं के नाम चलने लगे। इसके बाद भी कांग्रेस ने अधीर रंजन चौधरी पर ही भरोसा जताया।
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कौन हैं अधीर रंजन चौधरी ?
अधीर रंजन चौधरी का जन्म 2 अप्रैल, 1956 को मुर्शिदाबाद जिले के बेरहामपुर में निरंजन चौधरी के घर पर हुआ। अधीर रंजन चौधरी ने राजीव गांधी के जमाने में कांग्रेस में शामिल हुए थे। साल 1991 में अधीर रंजन चौधरी ने पहली बार नाबाग्राम से कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था। इस दौरान उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इससे जुड़ा हुआ एक किस्सा भी काफी सुनाई देता है। अधीर रंजन चौधरी वोटिंग वाले दिन अपने क्षेत्र में घूम रहे थे, तभी उन्हें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सैकड़ों समर्थकों ने घेर लिया और फिर उन्हें बंधक बना लिया था।
चुनाव परिणाम सामने आए तो अधीर रंजन चौधरी 1,401 वोट से हार गए लेकिन उन्हें सहानुभूति बहुत ज्यादा मिली। इसके बाद साल 1996 के विधानसभा चुनाव में मुर्शिदाबाद से कांग्रेस किसे टिकट दें, इस पर चर्चा हो रही थी, ऐसे में सोमेन मित्रा ने नौजवान नेता अधीर रंजन चौधरी का समर्थन किया, लेकिन तत्कालीन कांग्रेसी नेता ममता बनर्जी इसके खिलाफ थीं फिर भी अधीर रंजन चौधरी को ही टिकट दिया गया और उन्होंने जीत दर्ज की।
इसके 3 साल बाद बहरामपुर से अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा का चुनाव लड़ाया गया और उन्होंने उसमें भी जीत हासिल की और फिर जीत का सिलसिला शुरू हो गया। अधीर रंजन चौधरी ने लगातार पांच बार लोकसभा का चुनाव जीता। जिसके बाद पार्टी ने साल 2019 में उनका कद बढ़ाते हुए उन्हें लोकसभा में पार्टी का नेता नियुक्त किया।
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संभाल चुके हैं कई जिम्मेदारियां
अधीर रंजन चौधरी साल 2000 से 2004 के बीच में विदेश मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में काम कर चुके हैं। इसके बाद यूपीए सरकार में 28 अक्टूबर, 2012 को उन्हें केंद्रीय मंत्रालय में रेल राज्यमंत्री के रूप में शामिल किया गया और फिर साल 2014 में अधीर रंजन चौधरी को पश्चिम बंगाल कांग्रेस प्रदेश कमिटी का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया।
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