Prajatantra: Congress से तकरार, PDA को रफ्तार, 2024 से पहले किस ओर जा रही अखिलेश की साइकिल
अखिलेश और कांग्रेस के बीच अनबन को देखते हुए सबसे बड़ा सवाल ही है कि आखिर इंडिया गठबंधन का आगे की रणनीति क्या रहने वाली है? बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाने के बाद से अखिलेश यादव ग्रैंड ओल्ड पार्टी से जबरदस्त तरीके से निराश हैं।
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच पिछले कुछ दिनों से जो कुछ भी हो रहा है वह हम सभी के सामने हैं। दोनों दल एक दूसरे पर जबरदस्त तरीके से वार-पलटवार कर रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही दल भाजपा के खिलाफ बने इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं। बावजूद इसके दोनों दलों के बीच तकरार लगातार बढ़ती जा रही है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव तो अब सीधे-सीधे कांग्रेस नेताओं को चुनौती देते हुए नजर आ रहे हैं। राहुल गांधी एक और जहां जाति आधारित जनगणना को मुद्दा बनाते हुए इसे एक्स-रे बता रहे हैं। तो वहीं अखिलेश यादव ने राहुल गांधी को चुनौती देते हुए साफ तौर पर कह दिया कि जब एमआरआई और सीटी स्कैन जैसी नई तकनीक उपलब्ध है तो एक्स-रे क्यों। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कह दिया कि जब आप सत्ता में थे तो क्यों नहीं कराया?
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अखिलेश की रणनीति
अखिलेश और कांग्रेस के बीच अनबन को देखते हुए सबसे बड़ा सवाल ही है कि आखिर इंडिया गठबंधन का आगे की रणनीति क्या रहने वाली है? बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाने के बाद से अखिलेश यादव ग्रैंड ओल्ड पार्टी से जबरदस्त तरीके से निराश हैं। यही कारण है कि वह उत्तर प्रदेश जो की राजनीति के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य है, वहां अपनी पकड़ को और मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं और अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है जिनमें उन्हें जयंत चौधरी और कुछ अन्य छोटे दलों का समर्थन मिल सकता है। इसके साथ ही अखिलेश कांग्रेस को यह भी संदेश देना चाहते हैं की छोटी पार्टियों को लेकर उन्हें बड़ा दिल दिखाना होगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए गठबंधन की राह मुश्किल हो सकती है और अखिलेश यादव मध्य प्रदेश का बदला उत्तर प्रदेश में ले सकते हैं।
PDA पर फोकस
इंडिया गठबंधन बनने के बाद सभी दल लगातार इसको आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि बातचीत फिलहाल बंद है जिसकी वजह से नीतीश कुमार ने भी नाराजगी जताई थी। हालांकि, अखिलेश यादव लगातार PDA की बात कर रहे हैं यानी कि पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक। उत्तर प्रदेश में एमवाई को आधार बनाकर राजनीति करने वाली समाजवादी पार्टी अब पिछड़ों और दलितों को भी अपने साथ जोड़ने की कोशिश में है। इसका बड़ा कारण उत्तर प्रदेश में मायावती का कमजोर पड़ जाना है। अखिलेश किसी भी कीमत पर नहीं चाहते कि पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों का वोट कांग्रेस की ओर ट्रांसफर हो। अगर ऐसा होता है तो कहीं ना कहीं उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के लिए यह करारा झटका होगा। इसके अलावा अखिलेश यादव को यह भी बात अच्छे से पता है कि उत्तर प्रदेश में बिना समाजवादी पार्टी के कांग्रेस के लिए अपनी गढ़ वाली सीट भी निकलना मुश्किल हो जाएगा।
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यूपी में I.N.D.I.A कागज पर ही बाकी
उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन की बात करें तो यह अब कागजों पर ही नजर आ रहा है क्योंकि सपा और कांग्रेस के बीच तकरार बढ़ती जा रही है। 26 पार्टियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए भाजपा के खिलाफ गठबंधन तो बना लिया लेकिन कहीं ना कहीं यह अब दिशा से भटकता हुआ दिखाई दे रहा है। उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस लगातार ओबीसी वोट बैंक को टारगेट करने की कोशिश कर रही है जिस पर अखिलेश यादव की लगातार पकड़ रही है। कांग्रेस और राहुल गांधी ओबीसी को साधने के लिए जाति जनगणना की मांग कर रही है। हालांकि वह अखिलेश यादव ही थे जिन्होंने उत्तर प्रदेश में सबसे पहले जातीय जनगणना की मांग उठाई थी।
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