पटपड़गंज में लंबे मंथन के बाद बदली गई है Sisodiya सीट, आप को सताने लगा था एंटी-इनकम्बेंसी का डर
10 साल से काबिज आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने पटपड़गंज विधानसभा सीट पर अपने पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया की सीट बदलकर सबको सकते में डाल दिया था। आप ने दिल्ली चुनाव के लिए जगह हाल ही में पार्टी में शामिल हुए अवध ओझा को पटपड़गंज से टिकट दिया है।
दिल्ली की सत्ता पर लगातार 10 साल से काबिज आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने पटपड़गंज विधानसभा सीट पर अपने पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया की सीट बदलकर सबको सकते में डाल दिया था। आप ने दिल्ली चुनाव के लिए जगह हाल ही में पार्टी में शामिल हुए अवध ओझा को पटपड़गंज से टिकट दिया है। तो वहीं सिसोदिया को जंगपुरा भेजा गया है। उन्होंने इस सीट से तीन बार चुनाव जीते हैं, इसके बाद भी उन्हें जंगपुरा क्यों भेजा गया? राजनीतिक विश्लेषक इसके कई कारण बता रहे हैं।
आप का प्रदर्शन पटपड़गंज में खराब हुआ है
पिछले दिल्ली विधानसभा चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें, तो यह पता चलता है कि पटपड़गंज सीट पर आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन खराब हुआ है। जब 2013 में पहली बार मनीष सिसोदिया ने चुनाव लड़ा तो वो 13 हजार वोटों से जीते थे। 2015 में हुए विधानसभा चुनावों में सिसोदिया को 28 हजार वोटों से जीत मिली थी। लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में सिसोदिया को बीजेपी ने कड़ी टक्कर दी। वो महज 4 हजार वोट से ही जीत पाए।
सिसोदिया को 2020 के चुनाव में मनीष सिसोदिया को 70163 वोट मिले थे वहीं बीजेपी के रविंदर सिंह नेगी को 66956 वोट मिले थे। उनकी जीत का अंतर काफी कम था। सिसोदिया को 49.51 प्रतिशत वोट मिले, जबकि बीजेपी उम्मीदवार को 47.25 प्रतिशत वोट मिले। काउटिंग के दौरान कभी सिसोदिया तो कभी नेगी आगे दिखाई देते रहे। 11वें राउंड में तो बीजेपी उम्मीदवार ने काफी अंतर से बढ़त बना ली थी।
पार्टी को था एंटी-इनकम्बेंसी का डर!
मनीष सिसोदिया के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी काफी बढ़ गई है। पटपड़गंज सीट पर ये उनके सामने एक बड़ी चुनौती बन चुकी थी। पिछले चुनावों में भी उन्हें इसका सामना करना पड़ा था। सिसोदिया शराब घोटाले मामले में काफी वक्त तक जेल में रहे। इसके साथ ही वो दिल्ली के डिप्टी सीएम भी थे, ऐसे में उनके ऊपर तमाम जिम्मेदारियां थी। इन वजहों से इस बार सिसोदिया पटपड़गंज की जनता के बीच भी कम ही पहुंचे। इस बार आम आदमी पार्टी के कराए गए सर्वे के मुताबिक ही सीटों की अदला-बदली करने की जानकारी मिली है।
दरअसल इस बार आम आदमी पार्टी ने सभी सीटों का सर्वे कर इस बात पर गौर किया है कि किस सीट पर कौन से जातिगत समीकरण और अन्य मुद्दे फिट बैठेंगे। इन सब पर विचार करते हुए आम आदमी पार्टी की दूसरी लिस्ट में सभी विधानसभा में नए चेहरे उतारे गए हैं।
AAP नहीं लेना चाहती कोई रिस्क
मनीष सिसोदिया केजरीवाल के बाद आम आदमी पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं। ऐसे में पार्टी उन्हें लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। वैसे भी यह चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए लिटमस टेस्ट की तरह है। केजरीवाल ने इस्तीफा देते वक्त कहा था वो चुनाव जीतकर खुद को निर्दोष सिद्ध करेंगे। वहीं जंगपुरा सीट आम आदमी पार्टी के लिए सेफ मानी जाती है। इसलिए पार्टी ने यहां से मनीष सिसोदिया को उम्मीदवार बनाया है। जबकि जंगपुरा विधायक प्रवीन कुमार को पार्टी ने जनकपुरी से उम्मीदवार बनाया है।
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