Prabhasakshi NewsRoom: Ramdev और उनकी कंपनी वाकई नियमों का उल्लंघन करते हैं या कोई है जो उनके पीछे पड़ गया है?
हम आपको यह भी याद दिला दें कि इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद को विभिन्न गंभीर रोगों के उपचार के लिए अपने उत्पादों का विज्ञापन करने से रोकते हुए गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा था कि ‘‘पूरे देश के साथ छल किया गया है।''
बाबा रामदेव और उनके पतंजलि आयुर्वेद का विवाद पीछा नहीं छोड़ रहे हैं। लगातार रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद को जिस तरह अदालतों से झटके लग रहे हैं उससे सवाल उठता है कि क्या कंपनी की ओर से नियमों के अनुपालन में जानबूझकर कोताही बरती जा रही है या कोई है जो रामदेव और उनकी तेजी से बढ़ती कंपनी के पीछे पड़ गया है? जहां तक रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ आये नये अदालती फैसलों की बात है तो आपको बता दें कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को योग गुरु रामदेव को यह दावा करने से रोक दिया कि ‘कोरोनिल’ कोविड-19 का इलाज है। अदालत ने उन्हें तीन दिनों के भीतर सभी वेबसाइट और सोशल मीडिया मंचों से पतंजलि के इस उत्पाद के संबंध में ऐसे दावे हटाने का निर्देश दिया है।
हम आपको बता दें कि न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने रामदेव के खिलाफ चिकित्सकों के कई संघों द्वारा दायर याचिका पर अपने अंतरिम आदेश में कहा कि वैधानिक अनुमोदन ने टैबलेट को ‘कोविड-19 के लिए सहायक उपाय’ के रूप में उपयोग करने की अनुमति दी, जो कि रामदेव के इस दावे से ‘‘बहुत दूर’’ है कि यह इस संक्रमण का इलाज है। न्यायाधीश ने कहा कि इस तरह के विज्ञापन और उत्पाद के प्रचार की अनुमति देने से न केवल जनता को खतरा होगा, बल्कि आयुर्वेद की भी ‘‘बदनामी’’ हो सकती है। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘कुछ आपत्तिजनक पोस्ट और सामग्री को हटाने के निर्देश दिए जाते हैं। प्रतिवादी को तीन दिनों में उन ट्वीट को हटाने के निर्देश दिए जाते हैं।’’ अदालत ने कहा कि अगर निर्देश का पालन नहीं किया जाता है, तो संबंधित सोशल मीडिया मंच इस सामग्री को हटा देंगे।
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हम आपको बता दें कि यह याचिका रामदेव, उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ चिकित्सक संघों द्वारा दायर 2021 के मुकदमे का एक हिस्सा है। न्यायमूर्ति भंभानी ने पक्षकारों को सुनने के बाद 21 मई को इस मुद्दे पर आदेश सुरक्षित रख लिया था। मुकदमे के अनुसार, रामदेव ने ‘कोरोनिल’ के संबंध में ‘‘अप्रमाणित दावे’’ करते हुए इसे कोविड-19 की दवा बताया था, जबकि इसे केवल ‘‘रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने’’ की दवा के तौर पर लाइसेंस दिया गया था। दरअसल, चिकित्सक संघों ने आरोप लगाया है कि रामदेव द्वारा बेचे जाने वाले उत्पादों की बिक्री को बढ़ाने के लिए गलत सूचना के आधार पर अभियान चलाया गया, जिसमें ‘कोरोनिल’ भी शामिल है। ‘कोरोनिल’ को कोविड-19 के लिए एक वैकल्पिक उपचार होने का दावा किया गया था।
इसके अलावा, बंबई उच्च न्यायालय ने 2023 के एक अंतरिम आदेश की अवहेलना के लिए सोमवार को पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड पर चार करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। आदेश में मंगलम ऑर्गेनिक्स लिमिटेड द्वारा दायर ‘ट्रेडमार्क’ उल्लंघन मामले के संबंध में पतंजलि के कपूर उत्पाद बेचने पर रोक लगाई गई थी। न्यायमूर्ति आर.आई. चागला की एकल पीठ ने कहा कि पतंजलि ने अदालत के आदेश का "जानबूझकर" उल्लंघन किया। पीठ ने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि पतंजलि का इरादा अदालत के आदेश का उल्लंघन करने का था। पीठ ने मंगलम ऑर्गेनिक्स लिमिटेड द्वारा दायर याचिका का निपटारा कर दिया, जिसमें अदालत की रोक के बावजूद कपूर उत्पाद बेचने के लिए पतंजलि के खिलाफ अवमानना कार्रवाई का अनुरोध किया गया था।
न्यायमूर्ति चागला ने पतंजलि को दो सप्ताह में चार करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया। हम आपको बता दें कि इससे पहले, इस महीने की शुरुआत में अदालत ने कंपनी को 50 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया था। दरअसल, मंगलम ऑर्गेनिक्स ने अपने कपूर उत्पादों के ‘कॉपीराइट’ के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए पतंजलि के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। मंगलम ऑर्गेनिक्स ने बाद में एक आवेदन दायर कर दावा किया था कि पतंजलि अंतरिम आदेश का उल्लंघन करते हुए कपूर उत्पाद बेच रही है।
हम आपको यह भी याद दिला दें कि इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद को विभिन्न गंभीर रोगों के उपचार के लिए अपने उत्पादों का विज्ञापन करने से रोकते हुए गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा था कि ‘‘पूरे देश के साथ छल किया गया है।’’ इसके साथ ही देश की शीर्ष अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद और इसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को कड़ी फटकार लगाते हुए अवमानना कार्यवाही शुरू करने की बात कही थी जिसके बाद रामदेव और बालकृष्ण को अखबारों में माफीनामा छपवाना पड़ा था।
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