India और Germany के गहराते रक्षा संबंधों को देखकर China का चैन और Russia की नींद उड़ी
पिस्टोरियस के साथ वार्ता में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत और जर्मनी साझा लक्ष्यों पर आधारित ‘‘अधिक सहजीवी’’ रक्षा संबंध बना सकते हैं और उन्होंने उत्तर प्रदेश तथा तमिलनाडु के रक्षा गलियारों में जर्मनी को अधिक निवेश के लिए आमंत्रित किया।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के मुद्दे पर एक दिन पहले अमेरिका के रक्षा मंत्री के साथ रणनीति बनाने के बाद भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज जर्मनी के रक्षा मंत्री के साथ द्विपक्षीय और क्षेत्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर अहम वार्ता की। दोनों देशों के बीच गहराती रक्षा साझेदारी चीन के लिए नींद उड़ाने वाली बात तो है ही साथ ही इससे रूस के भी कान खड़े हो गये हैं। हम आपको बता दें कि भारत और जर्मनी ने अहम रक्षा मंचों को साथ मिलकर विकसित करने के तरीकों पर तो विचार विमर्श किया ही है साथ ही वार्ता के दौरान जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने करीब 43,000 करोड़ रुपये की लागत से छह विध्वंसक पारंपरिक पनडुब्बियों की खरीद की नयी दिल्ली की योजना में भी रुचि दिखायी है। हम आपको बता दें कि इस सौदे के दावेदारों में से एक जर्मनी की कंपनी थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (टीकेएमएस) भी है। जून 2021 में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिए छह पारंपरिक पनडुब्बियों को देश में ही बनाने की इस बड़ी परियोजना को मंजूरी दी थी। ये पनडुब्बियां रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत बनायी जाएंगी जो घरेलू रक्षा निर्माताओं को आयात पर निर्भरता कम करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले सैन्य मंच बनाने के वास्ते प्रमुख विदेशी रक्षा कंपनियों के साथ मिलकर काम करने की अनुमति देता है।
वार्ता की बड़ी बातें
इसके अलावा, पिस्टोरियस के साथ वार्ता में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत और जर्मनी साझा लक्ष्यों पर आधारित ‘‘अधिक सहजीवी’’ रक्षा संबंध बना सकते हैं और उन्होंने उत्तर प्रदेश तथा तमिलनाडु के रक्षा गलियारों में जर्मनी को अधिक निवेश के लिए आमंत्रित किया। अधिकारियों ने बताया कि दोनों रक्षा मंत्रियों ने हिंद-प्रशांत और अन्य क्षेत्रों में चीन की बढ़ती आक्रामकता समेत क्षेत्रीय सुरक्षा स्थितियों की भी समीक्षा की। बताया जा रहा है कि वार्ता में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और दुनिया पर इसके असर के बारे में भी चर्चा की गयी।
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रक्षा मंत्रालय का बयान
इस बीच, रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि दोनों मंत्रियों ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की गतिविधियों की समीक्षा की और खासतौर से रक्षा औद्योगिकी भागीदारी बढ़ाने के तरीके तलाशे। मंत्रालय ने कहा, ‘‘रक्षा मंत्री ने रक्षा उत्पादन क्षेत्र में पैदा हुए अवसरों का उल्लेख किया जिसमें उत्तर प्रदेश तथा तमिलनाडु में दो रक्षा औद्योगिक गलियारों में जर्मनी के निवेश की संभावनाएं शामिल हैं।’’ बताया जा रहा है कि भारतीय रक्षा उद्योग जर्मन रक्षा उद्योग की आपूर्ति श्रृंखला में भाग ले सकता है और आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन लाने में योगदान देने के अलावा पारिस्थितिकी तंत्र को भी मजबूत बना सकता है। देखा जाये तो भारत और जर्मनी के बीच साल 2000 से ही रणनीतिक भागीदारी रही है जो 2011 से अंतर-सरकारी विचार-विमर्श के जरिए मजबूत हुई है। हम आपको यह भी बता दें कि रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने और प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। जर्मनी की ओर से, पिस्टोरियस के साथ रक्षा मंत्रालय के अधिकारी बेनेडिक्ट जिमर के अलावा कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे। वार्ता से पहले जर्मनी के रक्षा मंत्री ने तीनों सेनाओं की ओर से दिए गए सलामी गारद का निरीक्षण किया। पिस्टोरियस की बुधवार को मुंबई जाने की योजना है जहां वह पश्चिमी नौसैन्य कमान और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड के मुख्यालय का दौरा करेंगे। पिस्टोरियस भारत की चार दिन की यात्रा पर सोमवार को दिल्ली पहुंचे थे। यह 2015 के बाद से भारत में जर्मनी के किसी रक्षा मंत्री की पहली यात्रा है।
जर्मन रक्षा मंत्री का साक्षात्कार
हम आपको यह भी बता दें कि इंडोनेशिया से भारत आने से पहले पिस्टोरियस ने जर्मनी के सरकारी प्रसारणकर्ता दायचे वेले से कहा था कि भारत की लगातार रूसी हथियारों पर निर्भरता जर्मनी के हित में नहीं है। रूसी हथियारों पर भारत की निर्भरता के संबंध में एक सवाल पर पिस्टोरियस ने कहा, ‘‘यह जर्मनी पर निर्भर नहीं है कि हम इसे बदल दें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह ऐसा मुद्दा है जिसे हमें अन्य साझेदारों के साथ संयुक्त रूप से हल करना है। लेकिन निश्चित रूप से लंबे समय में हमारा कोई हित नहीं हो सकता है कि भारत हथियारों या अन्य सामग्री की आपूर्ति के लिए रूस पर इतना निर्भर रहे।’’
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