दुकानों पर '60% कन्नड़ भाषा में साइनबोर्ड' का फरमान, राज्यपाल ने लौटाया अध्यादेश
शिवकुमार ने कहा कि किसी भी जनता ने इस पर आपत्ति नहीं जताई है। पता नहीं राज्यपाल ने ऐसा क्यों किया। उससे इसे स्वीकार करने का आग्रह करें। अब हम इसे विधानसभा में रखेंगे और पास कराएंगे।
कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने राज्य सरकार को वह अध्यादेश लौटा दिया है जिसमें व्यवसायों और प्रतिष्ठानों के 60 प्रतिशत साइनबोर्ड पर कन्नड़ का उपयोग अनिवार्य किया गया था। कर्नाटक कैबिनेट ने 5 जनवरी को कन्नड़ भाषा व्यापक विकास अधिनियम में संशोधन के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी। हालांकि, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने मंगलवार को खुलासा किया कि राज्यपाल ने अध्यादेश वापस भेज दिया है। शिवकुमार ने कहा कि किसी भी जनता ने इस पर आपत्ति नहीं जताई है। पता नहीं राज्यपाल ने ऐसा क्यों किया। उससे इसे स्वीकार करने का आग्रह करें। अब हम इसे विधानसभा में रखेंगे और पास कराएंगे।
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किसी भी पार्टी ने कुछ नहीं कहा, फिर इसे खारिज क्यों किया गया? सरकार ने अपने साइनेज पर कन्नड़ भाषा को प्राथमिकता नहीं देने के लिए बेंगलुरु में व्यवसायों को निशाना बनाने वाले कन्नड़ समर्थक समूहों के हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद अध्यादेश को आगे बढ़ाया। वर्तमान में कानून व्यावसायिक साइनबोर्ड के ऊपरी हिस्से में कन्नड़ को अनिवार्य करता है। सरकार के इस कदम का उद्देश्य कन्नड़ के उपयोग को और अधिक बढ़ाना है।
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