मगरमच्छ के आंसुओं से नहीं होगा किसानों का हित, विपक्षी सांसदों पर भड़के धनखड़
विपक्ष ने मांग की कि किसानों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग पूरी की जानी चाहिए और इस मुद्दे पर संसद में चर्चा होनी चाहिए। विपक्ष के अपनी मांग पर कायम रहने के बावजूद धनखड़ ने कहा कि विपक्ष केवल मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहा है और नाटक कर रहा है। "मगरमच्छ के आंसुओं से किसानों का हित नहीं पूरा होगा। उन्होंने कहा कि शीतकालीन सत्र की शुरुआत के बाद से नियम 267 के तहत दायर कोई भी नोटिस किसानों के मुद्दों से संबंधित नहीं है।
राज्यसभा के सभापति और उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने बुधवार को किसान विरोध का मुद्दा उठाने की विपक्ष की मांग पर आपत्ति जताई और दावा किया कि वे इस मुद्दे का "राजनीतिकरण" करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने इस मांग को मगरमच्छ के आंसू करार दिया, जिससे विपक्षी नेताओं का एक वर्ग सदन से बाहर चला गया। सदन की बैठक शुरू होते ही धनखड़ ने कहा कि वह तमिलनाडु में चक्रवात, किसानों, अडानी समूह के खिलाफ आरोपों और उत्तर प्रदेश के संभल में हिंसा जैसे मुद्दों को उठाने के लिए चर्चा के लिए नोटिस स्वीकार नहीं कर सकते।
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विपक्ष ने मांग की कि किसानों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग पूरी की जानी चाहिए और इस मुद्दे पर संसद में चर्चा होनी चाहिए। विपक्ष के अपनी मांग पर कायम रहने के बावजूद धनखड़ ने कहा कि विपक्ष केवल मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहा है और नाटक कर रहा है। "मगरमच्छ के आंसुओं से किसानों का हित नहीं पूरा होगा। उन्होंने कहा कि शीतकालीन सत्र की शुरुआत के बाद से नियम 267 के तहत दायर कोई भी नोटिस किसानों के मुद्दों से संबंधित नहीं है।
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इसके बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के विधायक नारेबाजी करते हुए सदन के वेल के पास जमा हो गए। कांग्रेस सदस्यों ने मंगलवार को धनखड़ की टिप्पणियों का हवाला देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से पूछा कि क्या किसानों से कोई वादा किया गया था और इसे पूरा क्यों नहीं किया गया।
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