न्यायालय ने तमिलनाडु में कॉपर संयंत्र बंद करने के खिलाफ वेदांता की याचिका खारिज की

Supreme Court
ANI

मामले के इतिहास का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई 42 दिन तक चली थी और उसने सभी तथ्यात्मक और कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए फैसला सुनाया था।

उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु के थूथुकुडी में तांबा गलाने वाले संयंत्र को बंद करने के खिलाफ वेदांता समूह की याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी। प्रदूषण कारणों से यह संयंत्र मई, 2018 से बंद है। अदालत ने कहा कि स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य और भलाई को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय के 18 अगस्त, 2020 के उस फैसले के खिलाफ वेदांता की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) को खारिज कर दिया जिसने स्टरलाइट कॉपर इकाई को फिर से खोलने की अनुमति देने के अनुरोध संबंधी याचिका को खारिज कर दिया था।

पीठ में न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि क्षेत्र के निवासियों का स्वास्थ्य और भलाई ‘‘गंभीर चिंता’’ का विषय है और राज्य सरकार उनकी चिंताओं को दूर करने और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है।

इसने कहा, ‘‘हमने मामले में दलीलों को कई दिनों तक सुना है और तथ्यात्मक और कानूनी सामग्री का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया है। हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि औद्योगिक इकाई द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) के जरिये संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत हस्तक्षेप वांछित नहीं होगा। उपरोक्त कारणों से एसएलपी खारिज की जाती है।’’

अनुच्छेद 136 देशभर में किसी भी अदालत या न्यायाधिकरण द्वारा पारित किसी भी मामले में किसी भी फैसले, डिक्री या आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए विशेष अनुमति देने की शीर्ष अदालत की शक्तियों से संबंधित है।

संयंत्र के कारण कथित प्रदूषण को लेकर विरोध प्रदर्शन और पुलिस की कार्रवाई में 13 लोगों की मौत के बाद यह संयंत्र मई, 2018 से बंद है। उच्चतम न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने हमारी सरकार द्वारा रखी गई मजबूत दलीलों के कारण थूथुकुडी में स्टरलाइट को बंद रखने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया और इसने फैक्ट्री प्रबंधन की सभी दलीलों को खारिज कर दिया।’’

पीठ ने कहा कि वह इस बात से अवगत है कि इकाई राष्ट्र की उत्पादक क्षमता में योगदान दे रही है और रोजगार पैदा कर रही है, लेकिन अदालत को सुस्थापित सिद्धांतों के प्रति सचेत रहना होगा।

मामले के इतिहास का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई 42 दिन तक चली थी और उसने सभी तथ्यात्मक और कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए फैसला सुनाया था।

पीठ ने तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) द्वारा दायर एक अलग याचिका को भी खारिज कर दिया। मद्रास उच्च न्यायालय ने अगस्त, 2020 में अपनी स्टरलाइट कॉपर इकाई को फिर से खोलने की अनुमति देने संबंधी वेदांता समूह की याचिका खारिज कर दी थी।

पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के संस्थापक एस रामदास, मरुमलारची द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एमडीएमके) नेता वाइको और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की राज्य इकाई सहित तमिलनाडु के नेताओं ने भी शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत किया।

थूथुकुडी, जिसे पहले तूतीकोरिन के नाम से जाना जाता था, तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले में एक औद्योगिक शहर है। उच्चतम न्यायालय के समक्ष पहले की दलीलों के दौरान, वेदांता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने आगे का रास्ता सुझाते हुए कहा था कि अदालत विशेषज्ञों की एक समिति नियुक्त कर सकती है।

कॉपर संयंत्र और इसके प्रस्तावित विस्तार के कारण कथित तौर पर होने वाले प्रदूषण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों की भारी भीड़ पर 22 मई, 2018 को पुलिस की कार्रवाई में कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गये थे। इसके बाद, तमिलनाडु सरकार और टीएनपीसीबी ने प्रदूषण संबंधी चिंताओं को लेकर वेदांता समूह के इस संयंत्र को बंद करने का आदेश दिया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़