MSP गारंटी कानून का वादा कर रही कांग्रेस ने ही स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को दबा कर रखा था

Farmers Protest
ANI

दूसरी ओर, कांग्रेस आज कह रही है कि हम सत्ता में आये तो सभी फसलों के लिए एमएसपी गारंटी कानून बना देंगे लेकिन यही वह पार्टी है जिसने किसानों को एमएसपी देने की स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को फाइलों के नीचे दबा दिया था।

किसान एमएसपी गारंटी कानून की मांग को लेकर दिल्ली की ओर बढ़ने के लिए आमादा हैं। सरकार उन्हें समझा रही है मगर ऐसा लगता है कि आंदोलन पर उतारू लोग नहीं समझने की सौगंध लेकर आये हैं। देखा जाये तो यह साफ नजर आ रहा है कि यह आंदोलन किसानों के लिए नहीं बल्कि अपने राजनीतिक हित साधने के लिए कुछ पार्टियों के इशारे पर छेड़ा गया अभियान भर है। मोदी सरकार देश भर में भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ अभियान छेड़े हुए है इसलिए उसका ध्यान इस तरफ से हटाने और उसके लिए नया सिरदर्द पैदा करने के इरादे से बड़े सुनियोजित ढंग से एक आंदोलन खड़ा किया जा रहा है।

दूसरी ओर, कांग्रेस आज कह रही है कि हम सत्ता में आये तो सभी फसलों के लिए एमएसपी गारंटी कानून बना देंगे लेकिन यही वह पार्टी है जिसने किसानों को एमएसपी देने की स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को फाइलों के नीचे दबा दिया था। अब सत्ता के लिए कैसे भी वादे कर रही कांग्रेस को यह भी देखना चाहिए कि उसने कर्नाटक में चुनावों के दौरान जनता को जो गारंटियां दी थीं उसे पूरा करने के चक्कर में वहां की सरकार का खजाना खाली हो चुका है और रिपोर्टों के मुताबिक राज्य भारी आर्थिक कुप्रबंधन की स्थिति झेल रहा है। कांग्रेस को जब देश की जनता ने केंद्र की सत्ता से हटाया था तब भारत दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था जिसे मोदी ने पांचवें नंबर पर पहुँचाया लेकिन अब कांग्रेस सत्ता के लिए देश को आर्थिक विपदा में धकेलने को आतुर नजर आ रही है। हो सकता है कि वह फिर से देश को 11वें नंबर की अर्थव्यवस्था बनाना चाहती हो। इसलिए देश को सावधान रहना होगा और यह जो लोग आज सड़कों पर पुलिस से लड़ते नजर आ रहे हैं इनके चेहरों को पहचानना होगा और देखना होगा कि कहीं यह लोग उस ग्लोबल ट्रेंड का हिस्सा तो नहीं हैं जो दुनिया के कई देशों में ट्रैक्टर लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। जो लोग पुलिस द्वारा लगाये गये अवरोधकों को तोड़ने के लिए तमाम तरह के हथियार लेकर आये हैं और अपने ट्रैक्टरों में लाखों रुपए लगा कर उन्हें सरकारी इंतजामों से लड़ने लायक बनाया है क्या वह कहीं से आपको गरीब किसान नजर आते हैं? देखा जाये तो अपने हक की मांग करना जायज है लेकिन सारा कुछ मुझे ही मिले यह मांग करना नाजायज है। सरकारी खजाने पर किसी एक का हक नहीं है। हर फसल पर एमएसपी गारंटी कानून की मांग करने वाले लोगों को पहले यह बताना चाहिए कि इसके लिए सालाना 10 लाख करोड़ रुपया कहां से आयेगा?

इसे भी पढ़ें: पंजाब-हरियाणा सीमाओं पर डटे किसान, 15 फरवरी को 12 बजे से 4 बजे तक रेलवे ट्रैक जाम करने का ऐलान

किसान संगठनों में फूट

दूसरी ओर, इस आंदोलन को लेकर जनता में तो नाराजगी है ही साथ ही अब किसान संगठनों में भी फूट पड़ चुकी है इसलिए अधिकांश किसान संगठन इससे दूरी बनाये हुए हैं। भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने तो साफ कह दिया है कि वह किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च का समर्थन नहीं करता क्योंकि यह 'राजनीतिक' है और इसका किसानों के हितों से कोई लेना-देना नहीं है। भारतीय किसान संघ की महासचिव मोहिनी मोहन मिश्रा ने एक बयान में कहा है कि किसानों को लागत के आधार पर उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिलना चाहिए लेकिन चुनावों को ध्यान में रखते हुए किसानों के नाम पर 'राजनीतिक तिकड़मबाजी' बंद की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब चुनावों के दौरान 'राजनीतिक मंशा' के साथ किसानों के नाम पर आंदोलन किए जाते हैं तो हिंसा, अराजकता और राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान होता है। मोहिनी मोहन मिश्रा ने कहा कि इस तरह के आंदोलन किसानों के प्रति 'नकारात्मक भावनाओं' को जन्म देते हैं और अपनी बेहतरी के लिए संघर्ष कर रहे किसानों को इसका 'परिणाम' भुगतना पड़ता है। उन्होंने कहा, 'इसलिए बीकेएस हिंसक आंदोलन का समर्थन नहीं करता। हम आग्रह करते हैं कि जो लोग अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं पूरी करना चाहते हैं उन्हें ऐसा करना जारी रखना चाहिए लेकिन उन्हें समाज में किसानों के प्रति नकारात्मक भावना नहीं पैदा करनी चाहिए।'

उन्होंने कहा, 'बीकेएस, लागत के आधार पर किसानों की उपज का लाभकारी मूल्य देने की मांग को लेकर 'लगातार' संघर्ष करता आ रहा है और जब सरकार के साथ बातचीत से कोई समाधान नहीं निकलता तब आंदोलन करता है।' उन्होंने कहा, 'हम लागत के आधार पर किसानों को लाभकारी मूल्य देने की मांग करते हैं, जो किसान का अधिकार है। साथ ही कृषि में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों पर जीएसटी भी खत्म किया जाना चाहिए। किसान सम्मान निधि बढ़ाई जानी चाहिए और जीएम (जीन संबंधित) बीज की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।' उन्होंने कहा कि दुख होता है जब 'राजनीतिक मंशा रखने वाले कुछ लोग' अपने 'राजनीतिक हितों' के लिए किसानों का इस्तेमाल करते हैं।

दूसरी ओर किसान नेता राकेश टिकैत ने साफ कह दिया है कि किसान वापस नहीं जायेंगे और अपनी मांगें पूरी करवाने के लिए ही वह दिल्ली जाना चाहते हैं। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि किसानों के साथ कोई बदसलूकी नहीं होनी चाहिए। इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि सरकार सभी से बातचीत के लिए तैयार है और हम समाधान तलाश रहे हैं। बताया जा रहा है कि किसान संगठनों और मंत्रियों के बीच आज शाम चंडीगढ़ में तीसरे दौर की बातचीत होगी।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़