कांग्रेस नेताओं ने कोविड-19 टीके के सीमित इस्तेमाल की अनुमति पर चिंता जताई
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने भारत के औषधि नियामकद्वारा भारत बायोटेक के कोविड-19 टीके के सीमित उपयोग की अनुमति दिए जाने पर चिंता जताई और सरकार को यह बताने को कहा कि अनिवार्य प्रोटोकॉल तथा डेटा के सत्यापन का पालन क्यों नहीं किया गया।
नयी दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने भारत के औषधि नियामकद्वारा भारत बायोटेक के कोविड-19 टीके के सीमित उपयोग की अनुमति दिए जाने पर चिंता जताई और सरकार को यह बताने को कहा कि अनिवार्य प्रोटोकॉल तथा डेटा के सत्यापन का पालन क्यों नहीं किया गया। भारत के औषधि नियामक ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड के कोविड-19 टीके ‘कोविशील्ड’ और भारत बायोटेक के स्वदेश में विकसित टीके ‘कोवैक्सीन’ के देश में सीमित आपात इस्तेमाल को रविवार को मंजूरी दे दी जिससे व्यापक टीकाकरण अभियान का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
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इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श करने वाली गृह मामलों की संसदीय समिति के प्रमुख शर्मा ने कहा कि टीके के उपयोग की मंजूरी के मुद्दे पर बेहद सावधानी बरतना आवश्यक है क्योंकि किसी भी देश ने अनिवार्य चरण तीन परीक्षणों और डेटा सत्यापन के साथ समझौता नहीं किया है। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ समिति के समक्ष दी गई प्रस्तुति के अनुसार, चरण तीन के परीक्षण पूरे नहीं हुए हैं और इसलिए, सुरक्षा तथा प्रभाव के आंकड़ों की समीक्षा नहीं की गई है, जो एक अनिवार्य आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘‘स्वास्थ्य मंत्रालय को इस मामले में अनिवार्य प्रोटोकॉल और जरूरतों के साथ समझौता करने के लिए अलग-अलग कारण बताना चाहिए, क्योंकि इसमें कोविड-19 के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले स्वास्थ्य और सुरक्षाकर्मी शामिल हैं जिन्हें सीमित श्रेणी के तहत टीका लगाया जाएगा।’’
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शर्मा ने पीटीआई-से कहा, ‘‘डीसीजीआई के बयान में स्पष्टता की कमी है और सरकार को टीके की सिद्ध प्रभावशीलता पर किसी भी भ्रम से बचने के लिए वैश्विक प्रभावशीलता परीक्षणों तथा ब्रिटेन में अंतिम परीक्षणों के आंकड़ों को पेश करना चाहिए जिसे ब्रिटेन के एमएचआरए ने दोनों देशों की सरकारों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद आधिकारिक रूप से साझा किया है।’’ उन्होंने कहा कि टीके के आगमन और टीकाकरण की शुरुआत की खबर महामारी से पीड़ित देश को ‘‘वास्तव में आश्वस्त’’ करने वाली है। शर्मा ने कहा कि साथ ही यह देश के वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्ताओं और संस्थानों के लिए भी एक सम्मान है, जिन्होंने भारत को दुनिया के सबसे बड़े टीका निर्माता के रूप में स्थापित किया है। भारत के केंद्रीय औषधि प्राधिकरण की एक विशेषज्ञ समिति ने भारत बायोटेक द्वारा विकसित स्वदेशी कोविड-19 टीके ‘कोवैक्सीन’का आपात स्थिति में सीमित उपयोग किए जाने की शनिवार को अनुमति देने की सिफारिश की थी।
यह सिफारिश ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके ‘कोविशील्ड’ के लिए आपात उपयोग के लिए सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के आवेदन को समिति द्वारा मंजूरी देने के एक दिन बाद की गई। शर्मा ने कहा कि एक ऐसे टीके के मामले में सीमित उपयोग की आपात मंजूरी के लिए सिफारिश की खबरों से कुछ चिंताएं उत्पन्न हुई हैं जो अभी भी चरण 3 के परीक्षणों से गुजर रहा है और इससे वास्तव में चिंताएं उत्पन्न हुई हैं क्योंकि इसमें स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी मुद्दे जुड़े हैं। कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी चिंता जताई और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से यह स्पष्ट करने को कहा कि चरण तीन के परीक्षणों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत प्रोटोकॉल क्यों संशोधित किए जा रहे हैं। उन्होंने ट्विटर पर कहा, ‘‘भारत बायोटेक प्रथम दर्जे का उद्यम है, लेकिन यह हैरान करने वाला है कि चरण 3 के परीक्षण से संबंधित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत प्रोटोकॉल ‘कोवैक्सीन’के लिए संशोधित किए जा रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को स्पष्ट करना चाहिए।’’ इस मुद्दे पर पहले गृह मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने गहन विमर्श किया था। समिति ने सरकार से सिफारिश की है कि कोविड -19 के किसी भी टीके को उचित जांच पड़ताल और उसके पर्याप्त परीक्षण के बाद ही आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी जानी चाहिए। गत 21 दिसंबर को राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में, संसद की स्थायी समिति ने उल्लेख किया था कि सीडीएससीओ ने अतीत में कोई आपात उपयोग की मंजूरी नहीं दी है, और सुझाव दिया था कि सभी आवश्यक और अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा किया जाना चाहिए तथा सभी परीक्षण के चरण पूरे किए जाने चाहिए।
Kudos to our scientists & researchers of Bharat Biotech on approval of the indigenously developed Corona vaccine & Serum Institute & its scientists too.
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) January 3, 2021
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