गुजरात में कांग्रेस को नहीं लगता वाघेला कुछ कर पाएंगे
पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला के ‘जन विकल्प’ में शामिल होने के बाद गुजरात में सत्ता विरोधी मतों के विभाजन को लेकर आशंकित कांग्रेस राज्य में अपने लिए राहत तलाश रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला के ‘जन विकल्प’ में शामिल होने के बाद गुजरात में सत्ता विरोधी मतों के विभाजन को लेकर आशंकित कांग्रेस राज्य में अपने लिए राहत तलाश रही है। हालांकि राज्य में पिछले कम से कम तीन दशक में मतदाताओं ने मुख्य धारा के दलों के अलावा किसी अन्य दल या मोर्चा को बहुत महत्व नहीं दिया है। ऐसे में कांग्रेस मान रही है कि इस बार भी मतदाता वोट "ख़राब" करने से बचेंगे। राज्य की वर्तमान विधानसभा की अवधि 22 जनवरी, 2018 को समाप्त हो रही है और इसके लिए इस वर्ष के अंत तक चुनाव करवाये जाएंगे।
कांग्रेस के प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने वाघेला द्वारा तीसरा मोर्चा बनाने से कांग्रेस की चुनावी संभावना पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछने पर बताया, ‘‘गुजरात के मतदाताओं का अभी तक का यह रिकार्ड रहा है कि उन्होंने कभी तीसरे मोर्चे को स्वीकार नहीं किया। बहुत लोगों ने प्रयास किया...। कांग्रेस को कोई नुकसान होने वाला नहीं है।’’ वाघेला द्वारा कांग्रेस के वोट काटे जाने की संभावना के बारे में पूछने पर गोहिल ने कहा, ‘‘गुजरात का मतदाता काफी स्मार्ट है। वे किसी तीसरे मोर्चे के चक्कर में नहीं आयेंगे। वे अपना वोट ख़राब नहीं करेंगे।" यह पूछे जाने पर कि क्या जन विकल्प के चुनाव मैदान में उतरने का फ़ायदा भाजपा को होगा?
गोहिल का जवाब था, "गुजरात में भाजपा का अपना सर्वे बता रहा है कि उनकी स्थिति बहुत खराब है तथा उनका राज्य नेतृत्व भी काफी कमजोर है। भाजपा में अंदरूनी घमासान चल रहा है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री को बार बार स्वयं राज्य में आना पड़ रहा है।’’ सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस नेता भले ही खुले तौर पर वाघेला के इस कदम से उनकी चुनावी संभावनाओं पर किसी तरह का असर पड़ने की बात नकार रहे हैं लेकिन सच्चाई यह है कि पार्टी के रणनीतिकार सत्ता विरोधी मतों में बंटवारा होने और इसका फायदा भाजपा को मिलने की आशंका से डरे हुए हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता व सांसद राजीव शुक्ला ने कहा, ‘‘वाघेला हमारी पार्टी छोड़ कर चले गए। अब उनके तीसरी पार्टी बनाकर वोट काटने की बात हो रही है।" शुक्ला ने कहा, ‘‘गुजरात में जो चुनाव होगा, वो कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होगा।" यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस किसी चेहरे के साथ आगामी विधानसभा चुनाव में उतरेगी, गोहिल ने कहा, ‘‘कांग्रेस की सामान्य परंपरा रही है कि हम एक टीम की तरह चुनाव में उतरते हैं। चुनाव के बाद विधायकों की राय सुनकर हाईकमान अंतिम निर्णय करता हैं।’’ वाघेला ने अहमदाबाद में 19 सितंबर को गुजरात में एक तीसरे मोर्चे के गठन की घोषणा की थी।यदि हम गुजरात विधानसभा के पिछले कुछ चुनावों पर नजर डाले तो अंसतुष्ट होकर नयी पार्टी बनाने और तीसरा मोर्चा बनाने का प्रयास करने वाले नेताओं की पार्टियों का स्वयं का प्रदर्शन बहुत संतोषजनक नहीं रहा है।
भाजपा से बगावत कर राष्ट्रीय जनता पार्टी बनाने वाले वाघेला के दल को 1998 के गुजरात विधानसभा चुनाव में महज 11.68 प्रतिशत के साथ कुल चार सीटें मिली थीं। हालांकि 1975 के राज्य विधानसभा चुनाव में गैर कांग्रेसी दलों की मदद से जनता मोर्चा की सरकार बनाने में सफलता मिली थी। इसी प्रकार भाजपा से बगावत कर गुजरात परिर्वतन पार्टी बनाने वाले केशुभाई पटेल को 2012 के विधानसभा चुनाव में 3.63 प्रतिशत वोट के साथ कुल दो सीटें मिली थीं। भारतीय निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार 2002 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को 49.12 प्रतिशत, कांग्रेस को 38 प्रतिशत और बसपा को 0.32 प्रतिशत वोट मिले थे। वर्ष 2007 के चुनाव में इन दलों को क्रमश: 49.12 प्रतिशत, 38 प्रतिशत और 2.62 प्रतिशत वोट मिले थे। वर्ष 2012 के चुनाव में इन दलों को क्रमश: 47.85 प्रतिशत, 38.93 प्रतिशत तथा 1.25 प्रतिशत वोट मिले थे।
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