ये तो बस शुरुआत है, 2024 के लिए कांग्रेस ने बदली अपनी रणनीति, PM मोदी पर अटैकिंग मोड अनवरत रहने वाला है जारी
कर्नाटक में एक रैली में पीएम मोदी ने कहा कि 91 उदाहरण थे जब उन्हें गांधी परिवार द्वारा निशाना बनाया गया था। जिसके तुरंत बाद प्रियंका वाड्रा ने पलटवार करते हुए कहा था कि “यदि हम गिनती करें कि मेरे परिवार का कितनी बार अपमान किया गया और नाम पुकारा गया, तो हम पुस्तक प्रकाशित कर सकता है।
कैलिफोर्निया में राहुल गांधी का पहला भाषण अमेरिका में इस तरह की कई बातचीत की बानगी भर है। जैसा कि अपेक्षित था, भाषण ने भाजपा और कांग्रेस के बीच एक कोल्ड वार को जन्म दे दिया। पूर्व सांसद के शेष सत्रों और बातचीत से विवाद भी पैदा होने की संभावना है। ग्रैंड ओल्ड पार्टी और राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर विदेशों में भी हमला करने का फैसला किया है। इसे कांग्रेस की अच्छी तरह से तैयार की गई संचार रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है। कुछ ऐसा जिसकी योजना कर्नाटक चुनाव के दौरान भी बनाई गई थी। कांग्रेस अब इस नैरेटिव को नहीं मानती है कि प्रधानमंत्री पर व्यक्तिगत हमले बूमरैंग की तरफ उल्टा उस पर ही असर करते हैं। वास्तव में, जब कर्नाटक में एक रैली में पीएम मोदी ने कहा कि 91 उदाहरण थे जब उन्हें गांधी परिवार द्वारा निशाना बनाया गया था। जिसके तुरंत बाद प्रियंका वाड्रा ने पलटवार करते हुए कहा था कि “यदि हम गिनती करें कि मेरे परिवार का कितनी बार अपमान किया गया और नाम पुकारा गया, तो हम पुस्तक प्रकाशित कर सकते हैं।
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हर बार जब राहुल गांधी विदेश यात्रा पर जाते हैं तो उनकी बातचीत चर्चा का विषय बन जाती है। ऐसा नहीं है कि वो या पार्टी इस तरह की टिप्पणियों से हंगामे या विवाद जैसी स्थिति से अनभिज्ञ हैं। वास्तव में, ऐसे कई उदाहरण हैं जब कि वो प्रधानमंत्री के उपहास का आनंद लेते नजर आए हैं। इसे कांग्रेस की इस बदली हुई रणनीति का एक तरीका माना जा रहा है जिस पर कर्नाटक चुनाव के दौरान और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले काम किया जा रहा है। पार्टी के संचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा का कहना है कि ये एक व्यक्ति यानी केवल और केवल पीएम के बारे में नहीं हो सकता है। हमें यह सोचना बंद करना होगा कि वो (पीएम मोदी) अपने ऊपर होने वाले हमलों को लेकर 'छुई मुई' हो सकते हैं।
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सूत्रों का कहना है कि यह हमेशा राहुल गांधी का मानना रहा है। उन्होंने पहले दिन से ही कहा था कि किसी को भी प्रधानमंत्री पर हमला करने और उनसे सवाल पूछने से नहीं शर्माना चाहिए। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि यह कदम उल्टा पड़ेगा। हालाँकि, 2014 और 2019 के नतीजे सामने आए और पार्टी ने हार के कारणों का विश्लेषण किया। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने आकलन किया कि 'चाय वाला' और 'नीच आदमी' जैसी टिप्पणियों ने पीएम और बीजेपी को एक नैरेटिव बनाने में मदद की थी। लेकिन अब कांग्रेस को नौ साल बाद अहसास हुआ है और इसलिए पीएम मोदी पर हमला न करना गलत रणनीति होगी। ग्रैंड ओल्ड पार्टी को लगता है कि एक वोट बैंक ऐसा भी है जो प्रधानमंत्री पर इस हमले को पसंद करेगा क्योंकि वे परेशान हैं। यह वह वोट बैंक है जिसे कांग्रेस भुनाना चाहती है और राहुल गांधी का विदेशी सत्र उसी को लाक्षित कर रहा है। क्या ये वास्तविकता में असर करेगा, केवल समय ही बताएगा।
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