कांग्रेस ने तोड़ी पुरानी परम्परा, भाई-बहन की जोड़ी ने नए चेहरों को दी तरजीह, भविष्य में हो सकते हैं और भी बदलाव
क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस की कमान मिल गई और इससे पहले दक्षिणी प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही दिखाई दिया।
नयी दिल्ली। क्या बदलाव के रास्ते की तरफ कांग्रेस ने कदम बढ़ा दिए हैं ? यह इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि जिस तरह से नवजोत सिंह सिद्धू को भारी विरोध का सामना करना पड़ा, उसके बाद भी उन्हें पंजाब कांग्रेस इकाई का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया है। जबकि कैप्टन अमरिंदर सिंह नहीं चाहते थे कि उन्हें यह पद मिले। भाई-बहन की जोड़ी ने कांग्रेस की पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए अब नए लोगों पर विश्वास जताना शुरू कर दिया है।
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पहले वफादारों पर दांव खेलने वाली कांग्रेस का अब बदला-बदला रूप दिखाई दे रहा है। क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस की कमान मिल गई और इससे पहले दक्षिणी प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही दिखाई दिया। तेलंगाना में भी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर घमासान मचा हुआ था। लेकिन कांग्रेस ने तमाम विरोधों से हटकर रेवंत रेड्डी को तेलंगाना कांग्रेस इकाई का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया।
आपको बता दें कि रेवंत रेड्डी ने अक्टूबर 2017 में तेलुगु देशम पार्टी से नाता तोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था। ऐसे में रेवंत रेड्डी को प्रदेश कांग्रेस इकाई का अध्यक्ष नियुक्त करना चौंका देने वाला फैसला रहा। लेकिन इससे कांग्रेस ने एक संदेश तो दे दिया है कि अब वह वफादारों की जगह पर युवा और कुशल नेतृत्व को तरजीह देने वाली है।रेड्डी ने ABVP से की थी शुरुआत53 साल के रेवंत रेड्डी ने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से की। हालांकि कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने से पहले वो प्रदेश के दो मुख्य दलों टीआरएस और तेलगु देशम में रहे हैं। पुरानी कांग्रेस में यह संभव नहीं था कि नवजोत सिंह सिद्धू और रेवंत रेड्डी को इतनी जल्दी प्रदेश इकाई का अध्यक्ष पद मिल पाए लेकिन अब कांग्रेस वो पुरानी वाली कांग्रेस नहीं रही है।इसे भी पढ़ें: कांग्रेस को जल्द मिल सकता है नया अध्यक्ष, इन फॉर्मूलों के तहत नियुक्ति संभव !
हाल ही में कांग्रेस में बड़े संगठनात्मक बदलाव को लेकर कई सारी रिपोर्ट्स सामने आईं लेकिन तेलंगाना और पंजाब में प्रदेशाध्यक्ष के बदलाव के साथ ही इनकी पुष्टि हो जाती है कि कांग्रेस कुछ नया करने वाली है। इस बार कांग्रेस अपनी अलग रणनीति के साथ अंर्तकलह को समाप्त करने का प्रयास करेगी और नए चेहरों को मौका देगी।
PK की एंट्री की संभावनाचुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि वो शामिल होते है या नहीं इसका निर्णय तो उन्हें ही करना है लेकिन पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से उनकी मुलाकात के बाद कयासों का बाजार गर्म हो गया था। कहा यह भी जा रहा है कि प्रशांत किशोर की एंट्री के साथ ही कांग्रेस में कई प्रमुख बदलाव भी देखने को मिल सकते हैं।हार्दिक पटेल को भी मिल सकती है जिम्मेदारीपंजाब, तेलंगाना के बाद अब गुजरात की तरफ पार्टी अपना ध्यान लगाएगी। माना जा रहा है कि हार्दिक पटेल को गुजरात प्रदेश इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल पार्टी की नजरअंदाजी से खफा चल रहे थे और बीच में तो उनके आम आदमी पार्टी जाने की खबरें भी सामने आईं थीं। लेकिन कांग्रेस उन्हें गंवाना नहीं चाहेगी। पंजाब की तर्ज पर उन्हें भी खुश किया जा सकता है।इसे भी पढ़ें: 'जो डरे हुए हैं वो पार्टी छोड़ सकते हैं', राहुल के इस बयान के क्या हैं राजनीतिक मायने?
हाल ही में राहुल गांधी ने निडर नेताओं को कांग्रेस में लाने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि जो लोग हकीकत और भाजपा का सामना नहीं कर सकते वो पार्टी छोड़ सकते हैं और निडर नेताओं को कांग्रेस में लाना चाहिए। ऐसे में अगर दूसरी पार्टी से दमदार नेता कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करते हैं तो उन्हें भविष्य में अच्छे पदों से सम्मानित किया जा सकता है।
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