Prabhasakshi NewsRoom: Congress ने चुनाव आयोग पर किया हमला तो ऐसा पलटवार मिला जिसे विपक्षी दल याद रखेंगे

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निर्वाचन आयोग पर निशाना साधने के क्रम में अब कांग्रेस ने दावा किया है कि विपक्षी गठबंधन इंडिया के घटक दलों के प्रतिनिधि मंडल से मिलने से निर्वाचन आयोग ने इंकार कर दिया है। कांग्रेस ने इसे अन्याय बताते हुए कहा है कि यह लोकतंत्र की बुनियाद पर आघात करने वाला है।

आज राष्ट्रीय मतदाता दिवस है। लोकसभा चुनाव निकट हैं इसलिए हर राजनीतिक दल मतदाताओं को अपने-अपने तरीके से लुभाने की कोशिश में भी लग गया है। लेकिन आश्चर्य की बात है कि अधिकांश राजनीतिक दल अपनी नीतियों और कार्यक्रमों का प्रचार करने की बजाय निर्वाचन आयोग पर और ईवीएम पर सवाल उठाने में लगे हुए हैं। ऐसे दलों को चुनाव आयोग ने करारा जवाब भी दे दिया है। देखा जाये तो ईवीएम के जरिये ही सत्ता पाते रहे विपक्षी दलों को यह बात भलीभांति पता है कि भारतीय निर्वाचन आयोग की पूरी दुनिया में बड़ी साख है और दुनिया में कहीं भी चुनाव हो तो संयुक्त राष्ट्र की ओर से भारतीय निर्वाचन आयोग के अधिकारियों को अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर जरूर भेजा जाता है। लेकिन फिर भी अपनी कमियों को ढंकने के लिए निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाये जाते हैं। यहां यह बात भी गौर करने लायक है कि ईवीएम पर सवाल उठाने वालों के लिए चुनाव आयोग की ओर से समय-समय पर ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप साबित करने की खुली चुनौती भी दी जाती है लेकिन कोई भी आज तक यह बात साबित नहीं कर पाया कि ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है। लेकिन फिर भी अपनी हार सामने देख कर कुछ दल शुरू से ही ईवीएम पर निशाना साधने लग जाते हैं ताकि चुनाव परिणाम के बाद उनके नेताओं की साख पर असर नहीं पड़े। लोकसभा चुनाव निकट देखकर कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल तमाम तरह के वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं और यह दावा करके कि ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है, मतदाताओं को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं। 

निर्वाचन आयोग पर निशाना साधने के क्रम में अब कांग्रेस ने दावा किया है कि विपक्षी गठबंधन इंडिया के घटक दलों के प्रतिनिधि मंडल से मिलने से निर्वाचन आयोग ने इंकार कर दिया है। कांग्रेस ने इसे अन्याय बताते हुए कहा है कि यह लोकतंत्र की बुनियाद पर आघात करने वाला है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा है कि विपक्षी दल निर्वाचन आयोग के समक्ष वीवीपैट के विषय पर अपनी बात रखना चाहते हैं। जयराम रमेश ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, "भारत निर्वाचन आयोग द्वारा हर वर्ष 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है। लेकिन दुख की बात है कि यह स्वतंत्र संस्था 'इंडिया' गठबंधन की पार्टियों के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इंकार कर रही है।'' उन्होंने कहा है कि विपक्षी दल केवल मतदाताओं द्वारा वोट डालने पर वीवीपैट के अधिक से अधिक उपयोग पर अपनी बात रखना चाहते हैं। जयराम रमेश ने कहा है कि पिछले साल 30 दिसंबर को निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि ‘इंडिया’ के एक प्रतिनिधिमंडल को वीवीपैट पर्चियों पर अपने विचार रखने के लिए मिलने का समय दिया जाए। पत्र के जवाब में निर्वाचन आयोग ने वीवीपैट पर रमेश की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा था कि इसके माध्यम से ‘‘ऐसा कोई नया दावा या उचित एवं वैध संदेह नहीं उठाया गया है जिसके लिए और स्पष्टीकरण की आवश्यकता है।’’ आयोग ने जवाबी पत्र में यह भी कहा था कि मतदाता पर्चियों संबंधी नियम कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा ही 2013 में पेश किए गए थे। इसके बाद रमेश ने आयोग को फिर से 8 जनवरी को पत्र लिखकर मिलने के लिए समय मांगा था।

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हम आपको यह भी बता दें कि मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ने कहा है कि राजनीतिक दल भारत के जीवंत लोकतंत्र की धुरी हैं और यह जरूरी है कि वे ऐसी चर्चाओं में शामिल हों जो विभाजित करने के बजाय प्रेरित करें। मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी कहा है कि चुनावी प्रक्रिया में लोगों के विश्वास और भरोसे को कम करने के लिए गलत सूचना, ‘डीपफेक’ और कृत्रिम बुद्धिमता का इस्तेमाल तेजी से किया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि चुनावों की सुचिता को बनाए रखने के लिए झूठे आख्यानों का त्वरित और मजबूती से जवाब दिया जाएगा। ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ पर अपने संदेश में उन्होंने मतदान करने के प्रति शहरी और युवाओं की उदासीनता का भी जिक्र किया और उम्मीद जताई कि इस साल, युवा मतदान करने के लिए बाहर आएंगे और अपने साथियों को प्रेरित करके एक शानदार उदाहरण पेश करेंगे।

उन्होंने कहा कि चूंकि देश लोकसभा चुनावों की ओर बढ़ रहा है, इसलिए चुनाव आयोग उनसे निरंतर समर्थन की अपील करता है और उन्हें हमारे पूर्ण सहयोग का आश्वासन देता है। सीईसी ने कहा, ''नैतिक और सम्मानजनक राजनीतिक विमर्श को बढ़ावा देना लोकतांत्रिक प्रक्रिया को आकार देने और हमारे युवा मतदाताओं को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह जरूरी है कि राजनीतिक दल ऐसी चर्चाओं में शामिल हों जो विभाजन के बजाय प्रेरणा दें, जो व्यक्तिगत हमलों के बजाय विचारों को बढ़ावा दें।’’ उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल चुनाव आयोग के सबसे बड़े हितधारक हैं और उन्हें नैतिक यात्रा सुनिश्चित करने में इसके सबसे अच्छे भागीदार बनना चाहिए। हम आपको बता दें कि चुनाव आयोग की स्थापना भारत के गणतंत्र बनने से एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को हुई थी। गत 14 साल से 25 जनवरी को ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है।

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