कांग्रेस 10 वर्षों के बाद तोड़ सकी परंपरा, गुजरात में जीती सीट

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शुरुआती रुझानों से पता चला कि कांग्रेस गुजरात में चार सीटों पर आगे चल रही थी, लेकिन अंततः ठाकोर अपनी पार्टी की ओर से अकेली विजेता बनकर उभरीं। बनासकांठा बीजेपी का गढ़ रहा है। 2019 में बीजेपी के परबतभाई पटेल ने कांग्रेस के पार्थी भटोल को 368000 वोटों से हराकर सीट जीती थी।

लोकसभा चुनाव के नतीजे सामने आ गए है। अधिकतर सीटों पर हार और जीत का फैसला हो चुका है। इसी बीच गुजरात की बनासकांठा लोकसभा सीट काफी चर्चा का विषय रही है। इस सीट पर कांग्रेस की गेनीबेन ठाकोर ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की रेखा चौधरी को 30,000 मतों से हराया, जो तीसरी बार गुजरात की सभी 26 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही थी।

शुरुआती रुझानों से पता चला कि कांग्रेस गुजरात में चार सीटों पर आगे चल रही थी, लेकिन अंततः ठाकोर अपनी पार्टी की ओर से अकेली विजेता बनकर उभरीं। बनासकांठा बीजेपी का गढ़ रहा है। 2019 में बीजेपी के परबतभाई पटेल ने कांग्रेस के पार्थी भटोल को 368000 वोटों से हराकर सीट जीती थी। 2014 के चुनाव में भी बीजेपी ने यह सीट जीती थी।

राजनीतिक विशेषज्ञों ने ठाकोर की जीत का श्रेय उनकी जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़ और प्रभावशाली ठाकोर समुदाय के बीच समर्थन को दिया, जिसकी बनासकांठा में अच्छी खासी उपस्थिति है। कांग्रेस 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य गुजरात में कोई भी सीट जीतने में विफल रही। वहीं अगर 2009 की बात करें तो गुजरात में कांग्रेस ने 26 में से 11 सीटें और भाजपा ने 14 सीटें जीती थीं। 

परुषोत्तम रुपाला भी जीते

गुजरात की राजकोट लोकसभा सीट पर भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री परुषोत्तम रुपाला ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के परेश धनानी पर 4.79 लाख से अधिक मतों की निर्णायक बढ़त हासिल कर ली है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। रुपाला को अब तक 8,49,257 मत मिले हैं, जबकि पूर्व कांग्रेस विधायक धनानी को 3,68,268 मत मिले हैं। चुनाव से पहले क्षत्रिय समुदाय ने पूर्व शासकों के बारे में रुपाला की टिप्पणी को लेकर गुजरात के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किया था। उन्होंने अपनी टिप्पणी के लिए हालांकि माफी मांगी थी, लेकिन समुदाय के कुछ नेताओं ने मांग की थी कि रुपाला की जगह किसी दूसरे उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा जाना चाहिए। जब ​​भाजपा ने उन्हें बदलने से इनकार कर दिया, तो समुदाय ने अपना आंदोलन तेज कर दिया और मतदाताओं से उन्हें हराने की अपील की। धनानी ने 2002 में राज्य की अमरेली विधानसभा सीट से रुपाला को हराया था।

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