कॉलेजियम ने पांच उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए नामों की सिफारिश की

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इस प्रस्ताव को बृहस्पतिवार को अपलोड किया गया। न्यायमूर्ति नागू के संबंध में कॉलेजियम ने कहा कि उन्हें एक सक्षम न्यायाधीश माना जाता है और उनमें उच्च न्यायिक पद पर आसीन व्यक्ति के लिए आवश्यक उच्च स्तर की सत्यनिष्ठा और आचरण है।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने केंद्र को राजस्थान, पंजाब एवं हरियाणा, गौहाटी, इलाहाबाद और झारखंड उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त किये जाने वाले पांच न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश की है। कॉलेजियम ने राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए न्यायमूर्ति मनींद्र मोहन श्रीवास्तव, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के लिए न्यायमूर्ति शील नागू, गौहाटी उच्च न्यायालय के वास्ते विजय बिश्नोई, इलाहाबाद उच्च न्यायालय मेंअरुण भंसाली और झारखंड उच्च न्यायालय के लिए न्यायमूर्ति बी आर सारंगी के नाम की सिफारिश की।

उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम के प्रमुख प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ हैं और इसमें न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी आर गवई सदस्य हैं। न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह के उच्चतम न्यायालय में पदोन्नत होने के बाद राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पद खाली हो गया था। कॉलेजियम ने 27 दिसंबर के एक प्रस्ताव में कहा, ‘‘कॉलेजियम ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनींद्र मोहन श्रीवास्तव को राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की है।’’

इसमें कहा गया, ‘‘उनके नाम पर विचार करते समय, कॉलेजियम ने इस तथ्य को भी ध्यान में रखा कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय (जो उनका मूल उच्च न्यायालय है) का उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।’’ इस प्रस्ताव को बृहस्पतिवार को अपलोड किया गया। न्यायमूर्ति नागू के संबंध में कॉलेजियम ने कहा कि उन्हें एक सक्षम न्यायाधीश माना जाता है और उनमें उच्च न्यायिक पद पर आसीन व्यक्ति के लिए आवश्यक उच्च स्तर की सत्यनिष्ठा और आचरण है।

न्यायमूर्ति बिश्नोई पर कॉलेजियम ने कहा कि उन्होंने बार और बेंच में पेशेवर नैतिकता का उच्च स्तर बनाए रखा है। कॉलेजियम ने कहा कि न्यायमूर्ति भंसाली ने राजस्थान उच्च न्यायालय में न्याय देने का व्यापक अनुभव हासिल किया है। न्यायमूर्ति सारंगी के संबंध में, कॉलेजियम ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उनके 10 साल से अधिक के कार्यकाल के दौरान मामलों के निपटान के माध्यम से न्यायपालिका में उनके योगदान का हवाला दिया।

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