ईंट-भट्टा उद्योग में बहुत बड़े पैमाने पर हो रही बाल मजदूरी

admin@PrabhaSakshi.com । Sep 21 2017 8:54AM
तथ्य सामने आया है और वह यह है कि कुल कार्यबल में एक तिहाई बच्चे हैं, जिनमें से 65 से 80 फीसदी की उम्र पांच वर्ष से 14 वर्ष के बीच है। शोध में बताया गया, ‘‘गर्मियों में बच्चे दिन में औसतन नौ घंटे काम करते हैं।
नयी दिल्ली। भारत में ईंट-भट्टा उद्योग में लाखों श्रमिक काम करते हैं। बंधुआ मजदूरी विरोधी एक समूह की एक नई रिपोर्ट सामने आई है जिसमें बताया गया है कि कर्ज के कारण बंधुआ मजदूरी यहां बहुत बड़े पैमाने पर हो रही है जबकि बाल श्रमिकों की स्थिति भी बहुत खराब है। लंदन के एंटी स्लेवरी इंटरनेशल ने शोध में बताया है कि इन ईंट-भट्टों में महिलाएं ‘अदृश्य कामगारों’ की तरह हैं जिन्हें रोजगार संबंधी सभी लाभों से वंचित रखा जाता है।
शोध में कहा गया, ‘‘कामगारों को एक पारिवारिक इकाई की तरह काम पर रखा जाता है और पैसा उस घर के मुखिया पुरूष सदस्य को ही दिया जाता है।’’ यह रिपोर्ट मुख्य रूप से ईंट को सांचे में ढालने का काम करने वाले कामगारों पर आधारित है जो पंजाब में ईंट-भट्टों पर मुख्य कार्यबल होता है। इसमें एक और तथ्य सामने आया है और वह यह है कि कुल कार्यबल में एक तिहाई बच्चे हैं, जिनमें से 65 से 80 फीसदी की उम्र पांच वर्ष से 14 वर्ष के बीच है। शोध में बताया गया, ‘‘गर्मियों में बच्चे दिन में औसतन नौ घंटे काम करते हैं।
सर्दियों में वे सात घंटे काम करते हैं। वे मुख्य कामगार या सहायक कामगार के तौर पर काम करते हैं।’’ ये बच्चे शिक्षा से वंचित रहते हैं। 14 से 18 वर्ष के कामगार गर्मियों में औसतन 12 घंटे और सर्दियों में औसतन 10 घंटे काम करते हैं।’’ संगठन ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है और उनके तहत 18 वर्ष से कम आयु का बच्चा मजदूरी नहीं कर सकता। रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 96 फीसदी कामगार बंधुआ के जैसे मजदूरी करते हैं जिन्होंने कर्ज लिया होता है।
We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:
अन्य न्यूज़