मुख्यमंत्री ने पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित विभूतियों को बधाई दी
मुख्यमंत्री ने कहा कि चम्बा से संबंध रखने वाली ललिता वकील गत 50 वर्षों से चम्बा रूमाल के उन्नयन में जुटी हुई हैं और यह सम्मान न केवल उन्हें बल्कि चम्बा जिला की पारम्परिक चम्बा रूमाल कला को भी एक नई पहचान देगा।
शिमला । मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने विद्यानन्द सरैक और ललिता वकील को विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्यों के लिए पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित करने पर बधाई दी है। अपने शुभकामना संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की यह दोनों विभूतियां चैथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री के लिए चयनित हुई हैं और इन दोनों का ही अपने-अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चम्बा से संबंध रखने वाली ललिता वकील गत 50 वर्षों से चम्बा रूमाल के उन्नयन में जुटी हुई हैं और यह सम्मान न केवल उन्हें बल्कि चम्बा जिला की पारम्परिक चम्बा रूमाल कला को भी एक नई पहचान देगा। जय राम ठाकुर ने कहा कि विद्यानन्द सरैक विभिन्न विधाओं में पारंगत विभूति हैं जो पिछले पांच दशकों से पहाड़ी संस्कृति को संरक्षित और प्रचलित करने में अपना योगदान देते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि विद्यानन्द सरैक ने अनेक लोकगीत, नाटियां और लोक साहित्य की रचना की है।
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मुख्यमंत्री ने दक्षिणी रेंज के पुलिस महानिरीक्षक हिमांशु मिश्रा को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुलिस मेडल से पुरस्कृत करने पर बधाई दी है। उन्होंने बेहतरीन सेवाओं के लिए पुलिस मेडल से सम्मानित चार अन्य पुलिस अधिकारियों जिनमें पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त रंजना चैहान, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विजय कुमार शर्मा, निरीक्षक लक्ष्मण कुमार और सहायक उप निरीक्षक जगदीश चन्द को भी बधाई दी है।
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हिमाचल प्रदेश के चंबा का रूमाल काफी प्रसिद्ध है। उस पर कलाकारी उकेरी जाती है । चंबा के रुमाल को नई बुलंदियों पर पहुंचाने का श्रेय चंबा की ललिता वकील को ही जाता है। 50 वर्षों की मेहनत का ही नतीजा है कि उन्हें 2018 में नारी शक्ति पुरस्कार से नवाजा गया था । ललिता वकील चंबा की अकेली महिला हैं । जिन्हें तीसरी मर्तबा भारत सरकार ने राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा है. वह चंबा शहर के चोंतडा मोहल्ला की रहने वाली हैं। ललिता वकील को 1993 में तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने सम्मानित किया था। 2012 में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने शिल्प गुरु सम्मान से सम्मानित किया। ये सम्मान पाने वाली ललिता वकील इकलौती हिमाचली हस्तशिल्पी हैं ।
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ललिता वकील चंबा रुमाल की कला को आने वाली पीढ़ियों को भी रूबरू करवाने के लिए वह अपने घर में निशुल्क लड़कियों को कला की बारीकियां सिखाती हैं । उन्होंने पद्मश्री पुरस्कार के लिए ऑनलाइन आवेदन किया. चंबा का रुमाल अद्भुत कला और शानदार कशीदाकारी के कारण देश के अलावा विदेशी में भी लोकप्रिय है। चंबा रुमाल की कारीगरी मलमल, सिल्क और कॉटन के कपड़ों पर की जाती है । रुमाल पर कढ़ाई ऐसी होती है कि दोनों तरफ एक जैसी कढ़ाई बनकर उभरती है ।
सिरमौर के राजगढ़ क्षेत्र के देवठी मझगांव निवासी प्रसिद्ध साहित्यकार, कलाकार और लोकगायक विद्यानंद सरैक को साहित्य-शिक्षा क्षेत्र में पद्मश्री मिलने से खुशी की लहर है। देवठी मझगांव के विद्यानंद सरैक का जन्म 26 जून 1941 को गणेशाराम सरैक और मुन्नी देवी के घर हुआ। निर्धन परिवार में जन्में विद्यानंद सरैक के पिता की मृत्यु जल्द हो गई थी । उन्होंने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद स्नातक तक शिक्षा हासिल की। 1959 से 1976 तक शिक्षा विभाग में अध्यापक रहे । पारिवारिक पृष्ठभूमि के चलते चार वर्ष की आयु से ही वह करियाला (नाटक) मंच से जुड़ गए और लोक संस्कृति के प्रति उनका लगाव बढ़ता गया और 81 वर्ष की आयु में भी वह लोक साहित्य, लोक संस्कृति के संरक्षण में जुड़े हुए हैं । वर्ष 1972 में उन्होंने पहाड़ी कविताओं की पुस्तकों का संग्रह चिट्टी चादर, होरी जुबड़ी, नालो झालो रे सुर भाषा एवं संस्कृति विभाग के साथ मिल कर किया । 200 से अधिक सम्मान प्राप्त करने वाले विद्यानंद सरैक को 2018 में राष्ट्रपति अवार्ड से भी नवाजा गया। उन्होंने 2003 में चूड़ेश्वर लोक नृत्य सांस्कृतिक मंडल के साथ मिलकर लोक संस्कृति और पहाड़ी भाषा के संरक्षण का कार्य आरंभ किया ।
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