केंद्र के कृषि कानूनों की काट के लिए छत्तीसगढ़ ने भी पारित किया विधेयक
संसोधन विधेयक के अनुसार कृषि, उद्यान-कृषि, पशु पालन, मधुमक्खी पालन, मत्स्यपालन या वन संबंधी सभी उत्पाद चाहे वह प्रसंस्कृत या विनिर्मित हो या न हो, को कृषि उपज कहा गया है।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में मंगलवार को विधानसभा के विशेष सत्र में कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक 2020 पारित कर दिया गया। संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सत्र समाप्ति की घोषणा कर दी। विशेष सत्र मंगलवार और बुधवार को तय था। विधानसभा में राज्य के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक 2020 प्रस्तुत किया। संसोधन विधेयक के अनुसार कृषि, उद्यान-कृषि, पशु पालन, मधुमक्खी पालन, मत्स्यपालन या वन संबंधी सभी उत्पाद चाहे वह प्रसंस्कृत या विनिर्मित हो या न हो, को कृषि उपज कहा गया है।
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विधेयक के अनुसार राज्य सरकार राज्य में कृषि उपज के संबंध में जरूरत पड़ने पर मंडी स्थापित कर सकेगी और निजी मंडियों को डिम्ड मंडी घोषित कर सकेगी। संशोधन विधेयक के अनुसार किसानों के हितों को दखते हुए मंडी समिति के सचिव, बोर्ड या मंडी समिति का कोई भी अधिकारी या सेवक, जिसे सक्षम प्राधिकारी द्वारा नियुक्त किया गया है, कृषि उपज का व्यापार करने वालों को क्रय-विक्रय से संबंधित लेख तथा अन्य दस्तावेजों को पेश करने का आदेश दे सकता है तथा कार्यालय, भंडागार आदि का निरीक्षण भी कर सकता है।
विधेयक के अनुसार राज्य सरकार किसानों की फसल या उत्पाद को स्थानीय मंडी के साथ-साथ राज्य की अन्य मंडियों तथा अन्य राज्यों के व्यापारियों को बेचकर बेहतर कीमत प्राप्त करने तथा आनलाईन भुगतान के लिए इलेक्ट्रानिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म की स्थापना कर सकती है। विधेयक को प्रस्तुत करने के दौरान चौबे ने इसके उद्देश्य को लेकर कहा कि राज्य में 80 फीसदी लघु और सीमांत कृषक हैं, ऐसे इन कृषकों में कृषि उपज भंडारण तथा मोलभाव की क्षमता नहीं होने से बाजार मूल्य के उतार चढ़ाव तथा भुगतान की जोखिम को देखते हुए उनकी उपज की गुणवत्ता के आधार पर सही कीमत, सही तौल तथा समय पर भुगतान सुनिश्चत कराने के लिए डीम्ड मंडी तथा इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म की स्थापना किया जाना किसानों के हित में आवश्यक हो गया है। इसलिए यह संशोधन विधेयक लाया गया है।
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चौबे ने कहा, ‘‘हम अपनी लोकतांत्रिक सीमा में रहकर यह संशोधन ला रहे हैं इस कानून का कोई भी प्रावधान केंद्र के कानूनों का उलंघन नहीं करता है। यह कानून हमारे किसानों की मदद के लिए है।’’ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा, ‘‘केन्द्र सरकार द्वारा लाया गया नया कृषि कानून किसानों के लिए नहीं, बल्कि पूंजीपतियों को लाभ देने वाला है। केन्द्र सरकार एक राष्ट्र-एक बाजार की दुहाई देती है। जब एक राष्ट्र-एक बाजार है, तो कीमत भी एक होनी चाहिए। यदि केन्द्र सरकार एक राष्ट्र-एक बाजार-एक कीमत की व्यवस्था लागू कर दें, तो हमें कानून में संशोधन करने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
बघेल ने कहा कि उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में तीन नए कानून बनाकर केन्द्र सरकार पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना चाहती है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के नए कानूनों से किसानों के मन में संशय पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को इस बात की गारंटी देनी चाहिए कि किसानों के उपज को कोई भी समर्थन मूल्य से नीचे नहीं खरीदेगा।
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चर्चा में भाग लेते हुए पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार द्वारा केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयक के विरोध में यह संशोधन पूर्ण रूप से असंवैधानिक है। इस विधेयक को राज्य के विधानसभा में पारित कराना कांग्रेस का सिर्फ राजनीतिक एजेंडा है। उन्होंने केंद्र के कृषि कानूनों को लेकर कांग्रेस पर भ्रम फैलाने का भी आरोप लगाया। सिंह ने सरकार ने पूछा कि क्या सरकार एक नवंबर से धान खरीदी करने वाली है। क्या सरकार किसानों का एक एक दाना धान खरीदेगी।
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